वैश्विक रूप से क्रिप्टो को रेगुलेट करने की तैयारी शुरू, जी-20 देशों में बनी सहमति
क्रिप्टो का लेनदेन अलग-अलग देशों से हो रहा है और सिर्फ भारत में नियम बनाकर इसे रेगुलेट नहीं किया जा सकता है। डिजिटल वित्तीय व्यवस्था की सुरक्षा के लिए क्रिप्टो को रेगुलेट करना एक जरूरी कदम माना जा रहा है। आइएमएफ और एफएसबी इसको लेकर जल्द ही ड्राफ्ट जारी करेंगे।
By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Sat, 25 Feb 2023 07:42 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जी-20 समूह के प्लेटफार्म पर वैश्विक रूप से क्रिप्टो को रेगुलेट करने की तैयारी शुरू हो गई है। अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) और फाइनेंशियल स्टैब्लिटी बोर्ड (एफएसबी) क्रिप्टो को लेकर ड्राफ्ट जारी करेंगे। इस पर अक्टूबर में आयोजित जी-20 की वित्तीय बैठक में व्यापक चर्चा की जाएगी।
डिजिटल वित्तीय व्यवस्था की सुरक्षा के लिए क्रिप्टो को रेगुलेट करना जरूरी माना जा रहा है। बेंगलुरु में आयोजित वित्तीय बैठक में जी-20 देशों ने माना कि क्रिप्टो को लेकर समग्र चर्चा की जरूरत है। यह भी देखना जरूरी होगा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली की वर्तमान चुनौतियों में क्रिप्टो एक समाधान बन सकता है या नहीं।
क्रिप्टो को रेगुलेट करना समय की जरूरत
जी-20 देशों की बैठक में क्रिप्टो पर आइएमएफ की तरफ से कहा गया कि यह संपदा कई रूपों में है। क्रिप्टो नए-नए रूप में उभरता रहेगा। आइएमएफ का मानना है कि क्रिप्टो को लेकर वैश्विक स्तर पर सूचनाओं की कमी है। क्रिप्टो संपदा के जोखिम, अवसर जैसी चीजों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए गहरी समझ की जरूरत है। इसको लेकर सीमित डाटा उपलब्ध है और इसका बिजनेस माडल अभी विकसित हो रहा है। इसलिए क्रिप्टो को लेकर बहुत असरदार नीति की जरूरत है, जो किसी भी नए माडल के साथ समायोजित हो सके।
वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा
आइएमएफ के अधिकारियों का मानना है कि क्रिप्टो वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। इसलिए इसके रेगुलेशन को लेकर काफी दबाव है।दो साल पहले क्रिप्टो के रेगुलेशन को लेकर भारत में तैयारी शुरू हो गई थी। लेकिन क्रिप्टो संचालन के अलग-अलग तरीकों को देखते हुए वित्त मंत्रालय मानने लगा कि इसको वैश्विक स्तर पर ही रेगुलेट किया जा सकता है।