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'गंदी औरत' कहना नहीं कोई अपराध, इससे महिला की गरिमा को नहीं पहुंचती ठेस- दिल्ली HC

Delhi HC on Gandi Aurat Word एक महिला को गंदी औरत कहने वाले एक व्यक्ति पर मुकदमा चलाने के आदेश को रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने स्थिति स्पष्ट की है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि किसी महिला का अपमान करना या उसके साथ अभद्र व्यवहार करना उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के समान नहीं होगा।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 29 Aug 2023 09:28 PM (IST)
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'गंदी औरत' कहना नहीं कोई अपराध, इससे महिला की गरिमा को नहीं पहुंचती ठेस- दिल्ली HC
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एक महिला को ''गंदी औरत'' कहने वाले एक व्यक्ति पर मुकदमा चलाने के आदेश को रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने स्थिति स्पष्ट की है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि किसी महिला का अपमान करना या उसके साथ अभद्र व्यवहार करना उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के समान नहीं होगा।

अदालत ने कहा कि न्यायिक तटस्थता कानूनी प्रणाली की एक अनिवार्य आधारशिला है, जो यह सुनिश्चित करती है कि लिंग (Gender) की परवाह किए बिना सभी पक्षों के साथ निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यवहार किया जाए।

निचली अदालत के आदेश को रद्द किया

उक्त टिप्पणी के साथ ही अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 509 (किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) के तहत आरोप तय करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया।।

इस शब्द को लेकर कोर्ट ने क्या कहा?

अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता महिला और आरोपित एक ही संगठन में काम करते थे। आरोप है कि जब महिला ने उसे एक हजार रुपये देने से इनकार किया तो उसने उसके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए उसे ''गंदी औरत'' कहा था। हालांकि, अदालत ने कहा कि उक्त शब्द का संबोधन आईपीसी की धारा 509 के दायरे में नहीं आएगा।

'पति से माता-पिता छुड़वाकर उस पर 'घर जमाई' बनने का दबाव डालना क्रूरता के समान'

पति से माता-पिता छुड़वाकर उस पर 'घर जमाई' बनने का दबाव डालना क्रूरता के समान है। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक शादीशुदा जोड़े को तलाक की आधिकारिक मंजूरी दे दी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि एक पत्नी अपने पति से अपने माता-पिता को छोड़ने और घर जमाई बनने या उसके घर में रहने का आग्रह करना क्रूरता के समान है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने विवाह करने वाले एक जोड़े का तलाक मंजूर कर लिया। दोनों ने 2001 में विवाह किया था। इसके एक साल बाद अलग रहना शुरू कर दिया था।

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