Delhi High Court: 'केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए CUET अनिवार्य नहीं', PIL पर HC में केंद्र ने रखा अपना पक्ष
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) को बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अनिवार्य नहीं है। वह अपनी स्वायत्तता का आनंद ले सकते हैं। केंद्र की ओर से इस संबंध में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला दिया गया। वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसके बिल्कुल विपरीत दलील रखी है।
By Ashish GuptaEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Tue, 29 Aug 2023 12:56 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अनिवार्य नहीं है। वह अपनी स्वायत्तता का आनंद ले सकते हैं। केंद्र की ओर से इस संबंध में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला दिया गया।
वहीं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसके बिल्कुल विपरीत दलील रखी कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सीयूईटी अनिवार्य है।
डीयू में प्रवेश के लिए CLT के खिलाफ दायर हुई थी PIL
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए गए पांच वर्षीय एकीकृत कानून पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कामन ला एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के निर्णय के खिलाफ दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान यह दलीलें पेश की गईं।मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र सरकार के वकील ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हवाला देते हुए कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों को प्रवेश के मामलों में स्वायत्तता प्राप्त है और इसलिए सीयूईटी अनिवार्य नहीं है।
हालांकि, यूजीसी के वकील ने कहा कि 21 दिसंबर 2022 के उसके कार्यालय आदेश के अनुसार सीयूईटी अनिवार्य है। इस मामले में इन दोनों विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय को भी पूरक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी।
रिपोर्ट इनपुट- आशीष गुप्ता
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