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दिल्ली HC ने डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्र से मांगा जवाब, कहा- तकनीक पर लगाम नहीं लगा सकते

Artificial Intelligence News दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने डीपफेक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के होते गलत तरीके से उपयोग को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट में इसको लेकर एक जनहित याचिका डाली गई है। कोर्ट ने कहा कि वह एआई के गलत तरीके से उपयोग को रोकने के लिए कोई कानून लागू नहीं कर सकता है।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 04 Dec 2023 06:30 PM (IST)
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दिल्ली HC ने डीपफेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्र से मांगा जवाब, कहा- तकनीक पर लगाम नहीं लगा सकते

पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने डीपफेक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के होते गलत तरीके से उपयोग को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट में इसको लेकर एक जनहित याचिका डाली गई है। कोर्ट ने कहा कि वह एआई के गलत तरीके से उपयोग को रोकने के लिए कोई कानून लागू नहीं कर सकता है। अदालत ने मामले को 8 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि कानून अपनी प्रकृति से पीछे है।

डीपफेक एक तरह का सिंथेटिक मीडिया है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) से संचालित डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से किसी फोटो या वीडियो को किसी और के चेहरे से मॉर्फ किया जा सकता है। इसमें अवाजा भी उसी शख्स आवाज प्रयोग की जा सकती है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) पर लगाम नहीं लगाई जा सकती और याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे पर विचार-विमर्श की आवश्यकता है, जो केवल सरकार ही कर सकती है।

न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कहा कि एआई एक बहुत जटिल तकनीक है। इसके होते दुरुपयोग को रोकने का कोई आसान समाधान नहीं है। इसके लिए बहुत विचार-विमर्श करने की जरूरत है।

हालांकि कोर्ट ने आगे कहा कि AI के कुछ सकारात्मक उपयोग भी हैं। साथ ही कहा कि इसके कुछ फैक्टर्स को संतुलित करने की जरूरत है और इस तकनीक को लेकर सरकार ही कुछ कर सकती है।

केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है और निर्देश लेने के लिए समय मांगा है। एआई को नियम लागू हैं। साथ ही मंत्रालय कह चुका है कि यह एक गंभीर मुद्दा है। वकील मनोहर लाल द्वारा प्रस्तुत याचिकाकर्ता ने कहा कि जहां तकनीकी विकास तेजी से हो रहा है, वहीं कानून कछुए की गति से आगे बढ़ रहा है।