Delhi Politics: हम पैसे बचाकर अपने शिक्षकों को विदेश भेज रहे, किसी को आपत्ति क्यों- केजरीवाल
Delhi CM vs LG दिल्ली सरकार के स्कूलों के शिक्षकों को फिनलैंड में मिलने वाले प्रशिक्षण के मसले पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव जारी है। शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट व प्रेस वार्ता के जरिये इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली सरकार के स्कूलों के शिक्षकों को फिनलैंड में मिलने वाले प्रशिक्षण के मसले पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव जारी है। शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट व प्रेस वार्ता के जरिये इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हमें दिल्ली की जनता ने चुन कर भेजा, हमारी सरकार है और हम पैसे बचाकर अपने शिक्षकों को विदेश भेज रहे हैं तो किसी को क्यों आपत्ति होनी चाहिए। हमारे देश में नेता और अफसर तो खूब विदेश जाते हैं, लेकिन पिछले 75 साल में किसी ने भी शिक्षकों को विदेश नहीं भेजा।
देश में दिल्ली सरकार पहली सरकार है, जो अपने शिक्षकों और प्रिंसिपल को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजती है। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षकों और प्रिंसिपल की अथक मेहनत की वजह से ही दिल्ली ने जबरदस्त शिक्षा क्रांति की है और सरकारी स्कूलों के बहुत अच्छे परिणाम आ रहे हैं।
मनीष सिसोदिया ने भी साधा निशाना
वहीं, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेसवार्ता कर कहा कि एलजी ने कास्ट बेनिफिट एनालेसिस करने का कुतर्क देकर दिल्ली सरकार के 30 शिक्षकों के फिनलैंड में प्रस्तावित प्रशिक्षण पर रोक लगा दी है। एलजी बताएं कि दिल्ली सरकार के स्कूलों मे आए परिवर्तन, बच्चों-अभिभावकों के बढ़ते आत्मविश्वास, शानदार रिजल्ट का कास्ट बेनिफिट एनालेसिस क्या होगा? क्या 99.6 प्रतिशत परीक्षा परिणाम, सरकारी स्कूलों के सैकड़ों बच्चों का आईआईटी-मेडिकल में दाखिला इसका लाभ नहीं है।
उन्होंने कहा कि एलजी सर्विस विभाग पर असंवैधानिक कब्जा कर दिल्ली के बच्चों के हित में मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णयों को पलट रहे हैं। मेरा उपराज्यपाल से अनुरोध है कि भाजपा के षड्यंत्र में उनका साथ देकर दिल्ली के गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें।
सिसोदिया ने साझा किया कि दिल्ली सरकार दिसंबर में 30 प्राइमरी शिक्षकों के बैच को प्रशिक्षण के लिए फ़िनलैंड भेजने वाली थी और अगले 30 शिक्षकों का बैच मार्च में भेजने वाली थी। सरकार द्वारा अक्टूबर में ही एलजी साहब के पास मंजूरी फाइल के लिए भेजी गई, लेकिन फाइल को मंजूरी देने में देर करने के चक्कर में उस पर लिख कर भेजा गया कि फिनलैंड की इस यूनिवर्सिटी में जहां शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जा रहा है, उसके पास अनुभव है या नहीं। इसका जबाव देकर फाइल एलजी के पास वापस भेजा गया तो उन्होंने कहा कि इसका कास्ट-बेनिफिट विश्लेषण करवा लो और देश में ही ऐसा प्रशिक्षण करवा लो।
उन्होंने कहा कि किसी भी काम को रोकने के लिए कास्ट बेनिफिट विश्लेषण महाकुतर्क है। उन्होंने कहा कि एलजी साहब अपने दफ्तर में बैठकर रोज इतने षड्यंत्र रचते हैं। यदि उसका कास्ट-बेनिफिट विश्लेषण करवाया जाए तो आज ही एलजी दफ्तर बंद करना पड़ेगा। अभी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का आयोजन होने वाला है, जिसमें प्रधानमंत्री जाएंगे, भाजपा के सारे सीएम अपने परिवारों के साथ जाएंगे, सारे मंत्री जाएंगे, उसका कास्ट-बेनिफिट विश्लेषण क्या होगा?
प्रस्ताव को अस्वीकृत नहीं किया गया- राजनिवास
राजनिवास की ओर से टवीट करके कहा गया है कि, उपराज्यपाल ने शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का प्रस्ताव अस्वीकृत नहीं किया है। इस तरह का कोई भी बयान पूर्वाग्रह से ग्रसित और गुमराह करने वाला है। सरकार को केवल इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का कास्ट बेनेफिट एनालेसिस कराने और पूर्व में यह प्रशिक्षण पा चुके शिक्षकों की प्रभावशीलता का आंकलन मात्र करने की सलाह दी गई है। साथ ही सरकार को एक सुझाव यह भी दिया गया है कि भारत में जो ऐसा प्रशिक्षण देने वाले संस्थान हैं, उन्हें लेकर भी विचार किया जाना चाहिए।