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राजधानी में वायु प्रदूषण पर निगरानी के लिए डीपीसीसी ने तैयार किया आनलाइन मैकेनिज्म, जानिए कैसे रखी जाएगी निगाह

वायु प्रदूषण पर हर वक्त नजर रखने की तैयारी-500 वर्ग मीटर से बड़े निर्माण स्थलों पर लगने वाले इन सेंसर को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के वेब पोर्टल डस्ट पोल्यूशन कंट्रोल सेल्फ असेसमेंट से करना होगा लिंक।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Mon, 14 Feb 2022 02:44 PM (IST)
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कार्य स्थलों पर प्रदूषण के स्व आकलन के लिए डीपीसीसी ने एक आनलाइन मैकेनिज्म तैयार किया है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजधानी में अब हर बड़े निर्माण स्थल पर पीएम 2.5 और पीएम 10 के सेंसर लगाने अनिवार्य होंगे। इनको दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के वेब पोर्टल डस्ट पोल्यूशन कंट्रोल सेल्फ असेसमेंट पर लाइव डैश बोर्ड और क्लाउड स्टोरेज प्लेटफार्म से लिंक भी करना होगा। ऐसा इसलिए ताकि वायु प्रदूषण पर हर समय निगाह रखी जा सके। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से 11 जून 2021 को जारी दिशा निर्देशों के अनुसरण में निर्माण एजेंसियों और उनके कार्य स्थलों पर प्रदूषण के स्व आकलन के लिए डीपीसीसी ने एक आनलाइन मैकेनिज्म तैयार किया है।

इसके तहत सिविल ढांचों के लिए 500 वर्ग मीटर से बड़े निर्माण स्थलों पर सभी निर्माण और ध्वस्तीकरण परियोजनाओं का भी वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इन परियोजनाओं के प्रस्तावकों को धूल नियंत्रण से जुड़े वेब पोर्टल पर दिए गए सभी दिशा निर्देशों के अनुपालन की दिशा में अपना घोषणा प्रपत्र अपलोड करना होगा। साथ ही निर्माण स्थल पर रिमोट कनेक्टिविटी के साथ वीडियो फेसिंग का प्रविधान भी करना होगा।

इसके अतिरिक्त सीएक्यूएम से 20 दिसंबर 2021 को जारी दिशा- निर्देशों के अनुपालन में 500 वर्ग मीटर अथवा इससे बड़ी किसी भी परियोजना के प्रस्तावक, बिल्डर, एजेंसी, ठेकेदार या प्राधिकरण को आनलाइन रिमोट मानीटरिंग के लिए अपनी परियोजना का भी उक्त वेब पोर्टल पर तत्काल पंजीकृत करना होगा। डीपीसीसी के सदस्य सचिव डा. केएस जयचंद्रन ने इस आशय की सार्वजनिक सूचना जारी कर दी है। इस संबंध में अनुपालन नहीं करने वालों के खिलाफ सीएक्यूएम के निर्देशानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।

औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण 31 मार्च तक

राजधानी में औद्योगिक इकाइयां भी अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की मंजूरी के बिना नहीं चल सकेंगी। भले ही वो प्रदूषण न भी फैलाती हों, लेकिन फिर भी डीपीसीसी से सहमति लेना अनिवार्य है। इसमें पुरानी औद्योगिक इकाइयां भी शामिल हैं। इस आशय का आवेदन 31 मार्च 2022 तक आनलाइन सहमति प्रबंधन व निगरानी प्रणाली के तहत साइड पर अपलोड करना है। जो भी उद्योग डीपीसीसी की सहमति के बगैर चलता मिलेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।