North-West Delhi Seat Result: भाजपा की जीत तो कांग्रेस की हार की हैट्रिक, कौन सी रणनीति BJP के लिए साबित हुई गेम चेंजर
योगेंद्र चंदोलिया की जीत के साथ ही उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर भाजपा ने इतिहास रच दिया। 1952 से लेकर 1977 तक लगातार पांच लोकसभा चुनाव जीतने वाली कांग्रेस पार्टी ने इस संसदीय क्षेत्र से हार की हैट्रिक का अनचाहा रिकॉर्ड अपने नाम किया। उत्तर पश्चिमी दिल्ली में कुल 1487207 मत पड़े। योगेंद्र चंदोलिया को 866483 (58.26 प्रतिशत) वोट मिले।
धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। योगेंद्र चंदोलिया की जीत के साथ ही उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर भाजपा ने इतिहास रच दिया। 1952 से लेकर 1977 तक लगातार पांच लोकसभा चुनाव जीतने वाली कांग्रेस पार्टी ने इस संसदीय क्षेत्र से हार की हैट्रिक का अनचाहा रिकॉर्ड अपने नाम किया।
उत्तर पश्चिमी दिल्ली में कुल 14,87,207 मत पड़े। योगेंद्र चंदोलिया को 8,66,483 (58.26 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं, उदित राज (कांग्रेस) को 5,75,634 वोट मिले। योगेंद्र ने दिल्ली में सबसे बड़े अंतर (2,90,849) से जीत दर्ज की है।
भाजपा की जीत की हैट्रिक के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि के साथ-साथ भाजपा की चेहरा बदलने की रणनीति गेम चैंजर साबित हुई।इस बार चुनाव मैदान में नया चेहरा उतारने की रणनीति का भाजपा को सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि पुराने चेहरे को लेकर जितने शिकवा-शिकायतें थीं, सब भूलकर लोगों ने भाजपा प्रत्याशी के लिए जमकर मतदान किया।
उत्तर-पश्चिम संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने पिछले चुनाव में सूफी गायक हंसराज हंस जैसी नामी हस्ती पर दांव लगाकर चुनाव जीता तो इस बार पार्टी ने अपने पुराने कार्यकर्ता पर भरोसा जताया।दरअसल, पार्टी ने पहले ही भांप लिया था कि लोग सेलिब्रिटी के बजाय स्थानीय प्रत्याशी चाहते हैं।जिससे जनता आसानी से मिल सके और अपनी दुख-तकलीफ साझा कर सके।
इसलिए, इस बार सेलिब्रिटी के बजाय कार्यकर्ता को तरजीह दी। इसी रणनीति के बूते एंटी-इन्कंबेंसी को काफी हद तक नियंत्रित करने में भाजपा सफल रही।इसी फैक्टर के बूते ग्रामीण अंचल में भाजपा ने अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी। हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशी उदित राज ने पूर्व सांसद हंसराज हंस की जनता से कथित दूरी को मुद्दा बनाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन भाजपा की ''चेहरा बदलने'' के दांव ने विपक्ष से एक मुद्दा छीन लिया।
अपने ढाई महीने के प्रचार के दौरान योगेंद्र चंदोलिया ने स्थानीय मुद्दों को उठाया, लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय मुद्दों पर भी जनता से खूब बात की। प्रधानमंत्री के नाम और काम के अलावा मजबूत राष्ट्र, देश हित जैसे मुद्दों के नाम पर वोट मांगे। वे हर सभा में खुलकर बोलते रहे हैं कि उनको दिया हुआ एक-एक वोट मोदी जी को मजबूत बनाएगा।
कौन कब-कब जीता
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अंतिम बार उत्तर-पश्चिम संसदीय क्षेत्र से जीती थी।उस समय कृष्णा तीरथ सांसद चुनी गई थीं। इसके बाद से कांग्रेस लगातार हारती आ रही है। 2014 में कांग्रेस की कृष्णा तीरथ भाजपा प्रत्याशी डॉ. उदित राज से हार गई थीं। 2019 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हंसराज हंस ने कांग्रेस के राजेश लिलोठिया को हराया था। इस बार कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरे उदित राज भाजपा के योगेंद्र चंदोलिया से चुनाव हार गए।
भाजपा की जीत के पांच कारण
- मोदी के नाम व काम का लाभ मिला
- मजबूत पार्टी संगठन
- दिल्ली के स्थानीय निवासी व पार्टी कार्यकर्ता होने का लाभ
- शहरी व ग्रामीण मतदाताओं का साथ
- ढाई महीने लगातार जनसंपर्क
कांग्रेस की हार के पांच कारण
- टिकट के विरोध में बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना व चुनाव में भितरघात
- जमीनी स्तर पर काडर का अभाव
- आम आदमी पार्टी के नौ विधायकों में से ज्यादातर का प्रचार से दूर रहना
- ग्रामीण मतदाताओं में पैठ की कमी
- देरी से टिकट, प्रचार के लिए समयाभाव