Lockdown News 2021-22: लॉकडाउन के दौरान नहाने लायक हो गया था यमुना का पानी
Lockdown News 2021-22 ताजा अध्ययन में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान विभिन्न मानकों के आधार पर दिल्ली में यमुना के जल में 21 फीसद प्रदूषण कम दर्ज किया गया। साथ ही जल की उपलब्धता पांच गुना तक बढ़ी थी।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने पिछले वर्ष लॉकडाउन (मार्च से मई 2020) के दौरान यमुना के जल का अध्ययन किया। नौ जगहों से लिए गए जल के नमूनों का प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया गया। इनमें से पल्ला व सूरघाट पर पानी नहाने लायक पाया गया था। आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद शोधार्थियों ने पाया कि यमुना के जल में प्रदूषण का स्तर घटा। इसके पीछे बड़ी वजह जल की अधिक उपलब्धता व औद्योगिक इकाइयों का बंद होना बताया गया है। अध्ययन में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान विभिन्न मानकों के आधार पर दिल्ली में यमुना के जल में 21 फीसद प्रदूषण कम दर्ज किया गया। साथ ही जल की उपलब्धता पांच गुना तक बढ़ी थी।
डिजाल्व ऑक्सीजन का स्तर
जब हानिकारक रसायनों की मात्र अधिक हो जाती है तो डीओ लेवल कम हो जाता है। दरअसल, यह जल में विलीन ऑक्सीजन की वह मात्र है जो जलीय जीवों के श्वसन के लिए आवश्यक होती है। जल में डीओ की मात्र आठ मिलीग्राम प्रति लीटर से कम हो जाती है तो ऐसे जल को प्रदूषित माना जाता है, जैसे-जैसे यह मात्र कम होती है प्रदूषण का स्तर गंभीर होता चला जाता है। लाकडाउन के दौरान पल्ला घाट पर यमुना के जल में डीओ की मात्र 8.3 मिलीग्राम, आइटीओ पर 4.1, निजामुद्दीन पर 3.5 मिलीग्राम, आगरा कैनाल पर 4.2, ओखला बैराज पर चार मिलीग्राम पाया गया।
इन जगहों पर किया गया अध्ययन
पल्ला घाट, सूरघाट, आइटीओ घाट, निजामुद्दीन, ओखला बैराज, खजूरी पुल, कुदेशिया घाट, आगरा कैनाल, शाहदरा ड्रेन
इन जगहों पर कम हुआ प्रदूषण
- निजामुद्दीन
- ओखला बैराज
- आगरा कैनाल
- शाहदरा ड्रेन
अध्ययन में इनकी पड़ताल की गई
- केमिकल आक्सीजन डिमांड (सीओडी)
- बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी)
- डिजाल्व आक्सीजन (डीओ)
- टोटल डिजाल्व सालिड (टीडीएस)
- इलेक्टिकल कंडक्टिविटी (ईसी)
- पीएच (पावर आफ हाइड्रोजन)
- तापमान
तय मानकों के मुताबिक नहीं रही बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड
यह ऑक्सीजन की वह मात्र है जो जल में कार्बनिक पदार्थो के जैव रासायनिक अपघटन के लिए आवश्यक होती है। बीओडी लेवल में असंतुलन जलीय जीवों के लिए खतरनाक है। बीओडी की मात्र एक मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। लाकडाउन से पहले शोध वाले स्थानों पर बीओडी लेवल तीन मिलीग्राम से ज्यादा था। शोध में पाया गया कि लॉकडाउन के दौरान शाहदरा ड्रेन के पास यमुना जल में बीओडी लेवल में 66 फीसद तक की गिरावट देखी गई। इसी तरह सूरघाट और आगरा कैनाल पर लाकडाउन से पहले के मुकाबले क्रमश: 27 और 33 फीसद गिरावट रिकार्ड की गई। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान भी यह कहीं पर तय मात्र से कम नहीं पाया गया।
गौरतलब है कि यमुना को प्रदूषण मुक्त करने को हजारों करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। बीते वर्ष लाकडाउन के दौरान जब कुदरत को बिना दखलंदाजी के काम करने का मौका मिला तो कुछ ही दिनों में यमुना की सेहत
पीएच स्तर नियंत्रण में
लाकडाउन के दौरान पीएच 7.24 से 8.06 के बीच मापा गया। जबकि औसत मान 7.26 रहा, जबकि लाकडाउन से पहले सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक यह 8.7 तक था। लाकडाउन के दौरान सूरघाट पर सर्वाधिक पीएच 8.6 रिकार्ड किया गया, जबकि सबसे कम 7.24 खजूरी पुल पर मापा गया। जल का पीएच मान यह इंगित करता है कि जल कठोर कितना अम्लीय है।