विचार: किसानों के लिए वरदान है नया जीएसटी, बढ़ेगी आय और मिलेंगे अधिक निवेश के अवसर
हमारी सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास’ और अंत्योदय के संकल्प के साथ यही सिद्ध कर रही है कि खेत-खलिहान की खुशहाली ही राष्ट्र की प्रगति का पर्याय है। अबकी बार पूरा देश ‘स्वदेशी से समृद्धि’ के संकल्प के साथ दीपावली मनाएगा। घर-घर स्वावलंबन के दीप जलेंगे कुटीर उद्योगों से जय स्वदेशी का मंगल स्वर गूंजेगा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारे किसान विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करेंगे।
शिवराज सिंह चौहान। खेती सरल हो, उत्पादन लागत घटे और किसान को अधिक मुनाफा हो, इसके लिए निरंतर प्रयास जारी हैं। अन्नदाताओं का जीवन बदलना और कृषि को विकसित बनाना प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य भी है और संकल्प भी। हाल में जीएसटी परिषद द्वारा किए गए संशोधन किसान हितैषी सोच को दर्शाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने जीएसटी में नेक्स्ट जेनरेशन रिफार्म का जो संकल्प लिया था, आज वह नए भारत की समृद्धि का आधार बन रहा है। देश की आम जनता और किसानों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए जीएसटी दरों में जो व्यापक सुधार किए गए, वे कृषि व्यवस्था को गति और किसानों को प्रगति देने वाले हैं।
इन सुधारों से देश के 10 करोड़ से अधिक सीमांत किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा। पहले जहां कृषि उपकरणों पर 18 प्रतिशत तक जीएसटी देना पड़ता था, वहीं अब यह दर घटाकर केवल 5 प्रतिशत कर दी गई है। इसका मतलब है कि हर किसान को हजारों रुपये की सीधी बचत होगी। यदि कोई किसान 35 हार्सपावर का ट्रैक्टर खरीदता था तो पहले उसे लगभग 6.5 लाख रुपये खर्च करने पड़ते थे।
अब यही ट्रैक्टर करीब 6.09 लाख रुपये में मिलेगा। यानी लगभग 41 हजार की बचत होगी। 45 एचपी ट्रैक्टर पर करीब 45 हजार और 50 एचपी ट्रैक्टर पर 53 हजार रुपये की सीधी बचत होगी। बड़े 75 एचपी ट्रैक्टर पर लगभग 63 हजार रुपये का लाभ होगा। ट्रैक्टर ही नहीं, पावर टिलर पर करीब 12 हजार, धान रोपण यंत्र पर 15 हजार और थ्रेशर पर लगभग 14 हजार रुपये की राहत मिलेगी।
पावर वीडर और सीड-ड्रिल जैसे उपकरणों पर भी 5 से 10 हजार रुपये तक की बचत होगी। जीएसटी सुधारों से कटाई और बोआई की बड़ी मशीनें भी किसानों को सस्ते में उपलब्ध हो सकेंगी। 14 फीट कटर बार पर करीब 1.87 लाख, स्क्वायरबेलर पर 94 हजार और स्ट्रारीपर पर करीब 22 हजार रुपये बचेंगे। मल्चर, सुपरसीडर, हैप्पीसीडर और स्प्रेयर भी सस्ते हुए हैं।
कृषि को अधिक लाभदायक बनाने के लिए मशीनीकरण जरूरी है। स्प्रिंकलर, ड्रिप इरिगेशन, कटाई मशीन, हाइड्रोलिक पंप और कलपुर्जों पर टैक्स घटने से सीमांत किसान भी आसानी से आधुनिक उपकरण खरीद पाएंगे। इससे श्रम लागत कम होगी, समय बचेगा और उत्पादकता बढ़ेगी। खेती के खर्च में कमी आने से स्वाभाविक रूप से किसान की आमदनी में वृद्धि होगी।
ये अनुमानित कीमतें हैं। कंपनियों और राज्यों की नीतियों के आधार पर थोड़ी-बहुत भिन्नता संभव है, लेकिन यह तय है कि किसानों की लागत घटेगी और फायदा निश्चित मिलेगा। किसानों को घटी हुई दरों का लाभ तुरंत मिले, इसके लिए मैंने कृषि मशीन निर्माताओं के संघों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी की।
ये सुधार केवल किसानों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश की आर्थिक चक्रीयता और आत्मनिर्भरता के लिए अभिनंदनीय कदम हैं। कृषि की लागत घटने से किसान अपनी उपज से अधिक लाभ कमा पाएंगे, जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि होगी। इसका सकारात्मक असर लघु और कुटीर उद्योगों पर भी पड़ेगा, क्योंकि उन्हें कच्चा माल सस्ते में उपलब्ध होगा और उत्पादन लागत घटेगी।
साथ ही एमएसएमई क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। कृषि एवं पशुपालन एक-दूसरे के पूरक हैं। मधुमक्खी पालन, डेरी, पशुपालन और सहकारी समितियों को जीएसटी में जो छूट दी गई है, उससे ग्रामीण आर्थिकी में नई समृद्धि आएगी। जब किसानों के खर्च कम होंगे और उनकी आय बढ़ेगी, तो वे अपनी जीवनशैली, शिक्षा और स्वास्थ्य पर अधिक निवेश कर सकेंगे, जिससे जीवन का चहुंमुखी विकास संभव होगा।
आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि की ओर बढ़ रही है, तब किसानों को सस्ते दामों पर जैव-कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जीएसटी 12 से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। इससे किसान रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर रहने के बजाय धीरे-धीरे जैविक उर्वरकों की ओर बढ़ेंगे। मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी, धरती मां का स्वास्थ्य सुधरेगा और किसानों की लागत भी कम होगी। किसानों की जोत का आकार छोटा है, इसलिए हम इंटीग्रेटेड फार्मिंग और कृषि संबद्ध क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, ताकि किसानों की आय तेजी से बढ़े।
जीएसटी सुधारों से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को राहत मिली है। कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग यूनिट्स में निवेश बढ़ने से किसानों की उपज लंबे समय तक सुरक्षित रहेगी और प्रसंस्करण के बाद उसे बेहतर दाम मिलेगा। प्रधानमंत्री ने हमेशा कहा है कि वे किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों के विरुद्ध किसी भी नीति और समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे। जीएसटी सुधार इसी संकल्प का प्रमाण है।
इससे विदेशी वस्तुओं पर हमारी निर्भरता घटेगी और ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बल मिलेगा। ग्रामीण भारत की समृद्धि का आधार स्वयं सहायता समूह की हमारी बहनें हैं। जीएसटी सुधारों से इन समूहों और एमएसएमई की लागत घटेगी, जिससे गांवों और कस्बों में छोटे उद्योग पनपेंगे।
ग्रामीण उद्योगों और स्टार्टअप्स के लिए गांवों में प्रसंस्करण इकाइयां, भंडारण और परिवहन सुविधाएं विकसित होने से विकसित और आत्मनिर्भर भारत को नई दिशा मिलेगी। कर घटने से बिक्री बढ़ेगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और युवा गांव में रहकर ही आत्मनिर्भर बन पाएंगे। जीएसटी सुधार स्वदेशी से समृद्धि के संकल्प को सार्थक करेंगे, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था ‘लांग लिव इकोनमी’ बनेगी। ये सुधार किसान, छोटे व्यापारी, पशुपालक, मछुआरे और कुटीर उद्योग चलाने वाली बहनों के जीवन में नई ऊर्जा भरने का पुण्य प्रयास हैं।
हमारी सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास’ और अंत्योदय के संकल्प के साथ यही सिद्ध कर रही है कि खेत-खलिहान की खुशहाली ही राष्ट्र की प्रगति का पर्याय है। अबकी बार पूरा देश ‘स्वदेशी से समृद्धि’ के संकल्प के साथ दीपावली मनाएगा। घर-घर स्वावलंबन के दीप जलेंगे, कुटीर उद्योगों से जय स्वदेशी का मंगल स्वर गूंजेगा और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारे किसान विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करेंगे।
(लेखक केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री हैं)
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