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Lok Sabha Elections: बेटी का फॉर्म रिजेक्ट हुआ तो बीमार मां ने लड़ा चुनाव, राजमाता के लिए चुनावी रण में उतरे थे अटल

राजमाता के स्वास्थ्य को देखते हुए पार्टी ने तुरंत प्लान बी तैयार किया और अपनी ओर से डमी प्रत्याशी के रूप में राजमाता की बेटी यशोधरा राजे सिंधिया का भी नामांकन पत्र जमा करा दिया। हालांकि दुर्भाग्य ऐसा हुआ कि यशोधरा राजे का नामांकन तकनीकी कारणों के चलते अस्वीकृत हो गया। ऐसी स्थिति में भाजपा के पास बीमार राजमाता को चुनाव लड़ाने के अलावा दूसरा विकल्प ही नहीं बचा लेकिन...

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Wed, 06 Mar 2024 05:41 PM (IST)
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बेटी का फॉर्म रिजेक्ट हुआ तो राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने लड़ा था चुनाव। (Photo Jagran)

ध्रुव झा, गुना। राजनीति में हर कदम सोच-समझकर योजनाबद्ध तरीके से उठाया जाता है, लेकिन फिर भी कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है जब राजनीतिक चाणक्यों की रणनीति का प्लान एक के बाद एक बिगड़ता चला जाता है। ऐसा कभी विरोधी पक्ष की चाल से होता है तो कई बार ऐसे संयोगों की श्रृंखला बनती चली जाती है कि तैयारी और योजनाएं धरी की धरी रह जाती हैं। यह किस्सा संयोगों का है।

राजमाता विजयाराजे सिंधिया की अचानक बिगड़ी तबीयत

किस्सा है 1998 के लोकसभा चुनाव का। यूं तो गुना सीट से भाजपा की उम्मीदवार पहले की तरह राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही थीं, लेकिन उनका स्वास्थ्य लगातार खराब चल रहा था इसलिए उनका मन चुनाव लड़ने का नहीं था। लेकिन पार्टी का दबाव था तो उन्होंने गुना पहुंचकर नामांकन फॉर्म दाखिल कर दिया। इस दौरान वे करीब एक घंटे रुकीं, लेकिन नामांकन दाखिल करने के कुछ ही देर बाद उनकी तबियत बिगड़ने पर उन्हें तत्काल दिल्ली ले जाया गया।

भाजपा ने तुरंत तैयार किया प्लान बी

राजमाता के स्वास्थ्य को देखते हुए पार्टी ने तुरंत प्लान बी तैयार किया और अपनी ओर से डमी प्रत्याशी के रूप में राजमाता की बेटी यशोधरा राजे सिंधिया का भी नामांकन पत्र जमा करा दिया। हालांकि दुर्भाग्य ऐसा हुआ कि यशोधरा राजे का नामांकन तकनीकी कारणों के चलते अस्वीकृत हो गया। ऐसी स्थिति में भाजपा के पास बीमार राजमाता को चुनाव लड़ाने के अलावा दूसरा विकल्प ही नहीं बचा, लेकिन उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था।

चुनाव की कमान यशोधरा राजे सिंधिया के हाथ

मतदान तक विजियाराजे के प्रचार के लिए आना असंभव देख पार्टी ने पूरे चुनाव की कमान यशोधरा राजे सिंधिया को सौंपी। उन्होंने शहर से गांव तक अपनी मां के लिए वोट मांगे। राजमाता दिल्ली में थीं। वे चुनाव प्रचार के दौरान एक बार भी गुना नहीं आ सकीं।

जब राजमाता के लिए चुनावी रण में उतरे अटल

इधर, बिना उम्मीदवार के चुनाव लड़ रही पार्टी भी कोई कमी छोड़ना नहीं चाह रही थी, इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की गुना व शिवपुरी में सभाएं भी कराई गईं। आखिर में जब नतीजा आया तो बिना चुनाव मैदान में उतरे राजमाता सिंधिया ने कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र सिंह रघुवंशी को एक लाख दो हजार 998 मतों से पराजित कर दिया था।

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