Clapperboard: क्या होता है क्लैपर बोर्ड, फिल्मों की शूटिंग में कैसे होता है यूज? जानिए सारी डिटेल्स
फिल्मों के बनाने के पीछे बहुत सारी तैयारियां की जाती हैं। खासतौर पर शूटिंग के दौरान कुछ उपकरण ऐसे होते हैं जिनके बिना कोई फिल्म नहीं बनाई जा सकती है उनमें से एक है क्लैपर बोर्ड। शूटिंग में Clapperboard अहम भूमिका अदा करता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर ये क्या होता है और एक के नजरिए से इसकी महत्वता क्या है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फिल्ममेकिंग के दौरान एक निर्माता कई तैयारियों के साथ एक मूवी को बनाता है। आमतौर पर लोग फिल्मों को हीरो-हीरोइन और कहानी के नजरिए से देखते हैं, लेकिन जो लोग फिल्म बनाने में रुचि रखते हैं, उन्हें इस बात का अंदाजा होता है कि वह फिल्म कैसे तैयार हुई होगी और उसके लिए कौन-कौन से उपकरण का प्रयोग हुआ होगा, जिनकी वजह से मूवी की शूटिंग सपन्न हुई होगी।
इन प्रॉक्स में क्लैपर बोर्ड एक ऐसा उपकरण होता है, जिसके बिना किसी भी फिल्म की शूटिंग अधूरी रहती है। आइए जानते हैं कि आखिर ये Clapperboard होता क्या है और फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से क्यों कारगर माना जाता है।
कब हुई क्लैपर बोर्ड की शुरुआत
सिनेमा जगत का इतिहास बहुत पुराना और गहरा है। फिल्ममेकिंग के लिए कई ऐसे यंत्र हैं, जिनका सदियों से प्रयोग किया जा रहा है। क्लैपर बोर्ड भी उनमे से एक है, इसका इतिहास भी अनोखा है। बताया जाता है कि ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध डायरेक्टर एफ डब्लू थ्रिंग ने क्लैपर बोर्ड अविष्कार किया था।
सन 1931 में ये अस्तित्व में आया। ऐसे में तब से फिल्मों की शूटिंग के लिए इसका विशेष रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत में भी आजादी से पहले फिल्मों की शूटिंग के लिए इसका उपयोग शुरू होना माना जाता है।
क्लैपर बोर्ड शूटिंग में कैसे करता है काम
किसी भी फिल्म की शूटिंग के क्लैपर बोर्ड के बिना अधूरी रहती है। इसकी बदौलत ही एक फिल्म बन पाती है। दरअसल क्लैपर बोर्ड की मदद से मूवी की डबिंग का काम संभव हो पाता है। आवाज और वीडियो का मेलजोल मिलाने के लिए इस उपकरण को यूज किया जाता है।
फिल्मों की शूटिंग के समय सिर्फ और सिर्फ दृश्यों को शूट किया जाता है। जबकि बाद में कैरेक्टर्स के डायलॉग्स को रिकॉर्ड किया जाता है। ये प्रक्रिया शूटिंग से परे की जाती है। शूटिंग के दौरान हर एक सीन के शॉट से पहले क्लैपर बोर्ड को दिखाया जाता है, इस पर सीन और टेक के नंबर्स की जानकारी लिखी होती है।
जब फिल्म की एडिटिंग की जाती है तो उस समय क्लैपर बोर्ड पर दृश्य की संख्या और अन्य डिटेल्स के माध्यम से आसानी से डबिंग का कार्य पूरा किया जाता है, जिसके चलते एडटिंग डेस्क पर ऑडियो और वीडियो का तालमेल बिठाया जाता है।
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जानिए क्लैपर बोर्ड पर कौन सी डिटेल्स लिखी होती हैं
आपने देखा होगा कि शूटिंग के समय पर हर शॉट के पहले फ्रेम में डायरेक्टर के एक्शन बोलने के बाद क्लैपर बोर्ड का प्रयोग किया जाता है। लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं इस पर कई सारी जानकारियां भी लिखी होती हैं।
एक क्लैपर बोर्ड पर फिल्म का नाम, डायरेक्टर का नाम, प्रोडेक्शन कंपनी, टेक-सीन की संख्या, समय, सीन का वक्त दिन-रात, सिनेमैटोग्राफर का नाम और कैमरा एंगल जैसी कई अहम डिटेल्स दर्ज होती हैं। जो फिल्ममेकिंग के लिए बहुत जरूरी होती हैं।
बदलते वक्त के साथ बदला क्लैपर बोर्ड
गुजरे जमाने में क्लैपर बोर्ड काफी साधा होता था। इसे फिल्म स्टेल भी कहा जाता है। ब्लैक कलर के रूप में इसका अविष्कार हुआ, जिस पर चॉक के माध्यम से फिल्ममेकर्स डिटेल्स नोट डाउन करते थे और बाद में अगले सीन की शूट के वक्त मिटा देते थे।
लेकिन अब आधुनिक युग में क्लैपर बोर्ड भी काफी एडवांस हो गया है और अब ये ब्लैक के साथ-साथ व्हाइट बोर्ड में भी नजर आता है। सिर्फ इतना ही नहीं अब के क्लैपर बोर्ड डिजिटल होने लगे हैं और इनमें डिटेल्स अब ऑटोमेटिक तरीके से फीड की जाती हैं।
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