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तीरों के टकराने के लिए रामायण में अपनाई गई गजब की ट्रिक, युद्ध सीन के लिए मेकर्स ने किया था ये जुगाड़

रामानंद सागर की रामायण का जलवा आज भी देखने को मिलता है। शो को खत्म हुए कितने साल बीत गए। इस बीच नए अंदाज में कितनी ही पौराणिक कहानियों को दिखाया गया लेकिन किसी भी शो ने वो जादू नहीं बिखेरा जो रामानंद सागर की रामायण ने बिखेरा है। यह शो तब इतना हिट है जब इसे बिना वीएफएक्स के बनाया गया था।

By Karishma Lalwani Edited By: Karishma Lalwani Updated: Sat, 15 Jun 2024 05:06 PM (IST)
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'रामायण' में ऐसे शूट होता था युद्ध सीन. फोटो क्रेडिट- जागरण

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। आजकल किसी भी फिल्म में वीएफएक्स का भरपूर इस्तेमाल होता है। सिर्फ बड़े पर्दे पर ही नहीं, छोटे पर्दे पर भी तकनीकी दुनिया में वीएफएक्स का यूज बढ़ चढ़ कर किया जाता है। इसकी मदद से चीजों को सजा कर दिखाना आसान हो जाता है। लेकिन जब वीएफएक्स नहीं था, तब एक्शन सीन शूट करने के लिए मेकर्स को अजब-गजब जुगाड़ लगाना पड़ता था। ऐसा ही कुछ जुगाड़ रामानंद सागर ने 'रामायण' के लिए लगाया था।

बिना वीएफएक्स शूट हुई थी 'रामायण'

रामनंद सागर की 'रामायण' को आज भी पसंद किया जाता है। लॉकडाउन में जब शो फिर से शुरू हुआ, तो लोग इसे देखने के लिए पागल हो जाते थे। रामानंद सागर ने इस शो से ऐसा जलवा बिखेरा कि आज भी सीरियल की तारीफ होती है। कमाल की बात यह है कि रामानंद सागर ने 'रामायण' को तब इतने खास तरीके से तैयार किया, जब वीएफएक्स का जमाना नहीं था।

ट्रिक से बनाए थे 'रामायण' के सीन

जब टेक्नोलॉजी एडवांस नहीं थी, तब रामानंद सागर ने ट्रिक से कुछ जुगाड़ लगाते हुए रामायण की शूटिंग पूरी की थी। कुंभकरण के वध सीन से लेकर बादल दिखाने तक, रामानंद सागर ने अपनी सोच का करिश्मा दिखाते हुए कई कठिन सीन को आसान बनाया था। ऐसा ही एक सीन था युद्ध का। कहानी में जब भी लड़ाई वाला सीन दिखाया गया, तब तीरों के टकराने पर एक रोशनी निकलती थी। इसे रामानंद सागर ने एक ट्रिक से तैयार किया था।

इस तकनीक से तैयार होते थे युद्ध के सीन

रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने कभी इस बात का खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि जिस समय रामायण की शूटिंग हो रही थी, तब मार्केट में नई मशीन SEG 2000 लॉन्च हुई थी। इस मशीन की मदद से धनुष और तीर वाले सीन के स्पेशल इफेक्ट्स तैयार किए गए। युद्ध के सीन में तीरों के टकराने पर रोशनी निकालने और उस पर आवाज निकालने के लिए इसी मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।

शीशे की मैटिंग का भी होता था इस्तेमाल

ऐसा स्पेशल इफेक्ट क्रिएट करने के लिए शीशे की मैटिंग और मैकेनिकल इफेक्ट का भी इस्तेमाल किया गया था। इन दो ट्रिक्स के भरपूर इस्तेमाल से युद्ध का एक शॉट पूरा हो पाता था।

इसी तरह बाकी कुछ सीन्स भी ऐसी ही कुछ ट्रिक के इस्तेमाल से पूरे किए जाते थे। जैसे कोहरे को दिखाने के लिए धूप और अगरबत्ती के धुएं का इस्तेमाल किया जाता था। अगर बादलों को दिखाना है, तो रुही और तकनीक की मदद से ऐसा किया जाता था।

प्लास्टर ऑफ पेरिस से बने थे कुंभकरण के हाथ

कुंभकरण के शरीर के अलग-अलग हिस्से को दिखाने के लिए एक मोल्ड तैयार किया गया था। जब कुंभकरण का वध सीन दिखाया जाना था, तब उनके कटे हाथों को प्लास्टर ऑफ पेरिस से तैयार किया गया था। जब कुंभकरण का हाथ कट कर गिरता है, तो असल में वह प्लास्टर ऑफ पेरिस होता है, जो कट कर नीचे गिरता है।

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