बाबरी मस्जिद का निर्माण
बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट कमांडर मीर बाकी ने कराया था। मीर बाकी ने ही इस मस्जिद का नाम बाबरी रखा था।
अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम निर्धारित है। इस अवसर पर देश की नहीं अपितु पूरे विश्व की निगाहें हैं। रामलला की मूर्ति का चयन भी हो चुका है। मंदिर को अंतिम रूप देने के लिए दिन-रात काम चल रहा है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा देशभर से लाखों विशेष अतिथि अयोध्या आ रहे हैं। कार्यक्रम के संपन्न होने के बाद आम श्रद्धालु भी भव्य एवं ऐतिहासिक राम मंदिर के दर्शन कर सकेंगे।
बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट कमांडर मीर बाकी ने कराया था। मीर बाकी ने ही इस मस्जिद का नाम बाबरी रखा था।
मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुवरदास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।
विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति प्रकट हुई। इसके बाद उस स्थान पर लोग पूजा करने लगे।
गोपाल सिंह विषारद ने फैजाबाद कोर्ट में मुकदमा दायर करके पूजा के अधिकार की मांग की थी। इसी केस के बाद हिंदुओं को मंदिर में पूजा-अर्चना का अधिकार मिला था।
परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा और मूर्तियों को रखने की लिए फैजाबाद कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। परमहंस के इस कदम से राम मंदिर के आंदोलन को नई धार मिली।
निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल पर कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया।
यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कब्जे को लेकर मुकदमा दायर किया।
1 फरवरी, 1986: स्थानीय अदालत ने स्थल को हिंदुओं की पूजा के लिए खोलने का आदेश दिया।
14 अगस्त, 1989: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
6 दिसंबर, 1992: विवादित ढांचे को ढहा दिया गया। इसके बाद राम मंदिर के लिए आंदोलन ने और गति पकड़ी।
अप्रैल 2002: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की।
30 सितंबर, 2010: हाईकोर्ट ने विवादित स्थल को तीन बराबर हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला में बांटने का फैसला सुनाया।
9 मई, 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन बराबर हिस्सों में बांटने के फैसले पर रोक लगाई।
8 फरवरी, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
2019: सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया।
6 अगस्त, 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर प्रतिदिन सुनवाई होने लगी और 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया।
2019, 09 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्री राम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया कराने का आदेश दिया गया।