'सफलता के शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी होता है अकेलेपन का अहसास', नारायण मूर्ति ने बयां किया अपना अनुभव
अंजना दत्त द्वारा लिखित उद्योगपति मदन मोहनका की जीवनी आई डिड व्हाट आई हैड टू डू नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए मूर्ति ने कहाशीर्ष पर पहुंच कर नेतृत्व करने पर पूरी तरह अकेलापन महसूस होता है। मैं इससे गुजर चुका हूं।
अहमदाबाद, एजेंसी। इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने रविवार को कहा कि सफलता के शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी आप अकेलापन महसूस करते हैं और मैं इससे गुजर चुका हूं।
अंजना दत्त द्वारा लिखित उद्योगपति मदन मोहनका की जीवनी 'आई डिड व्हाट आई हैड टू डू' नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए मूर्ति ने कहा कि नेतृत्व सही काम करने और उन सैकड़ों और हजारों लोगों का विश्वास बढ़ाने के बारे में भी है जो मार्गदर्शन के लिए आपकी ओर देख रहा होता है।
'शीर्ष पर पहुंच कर नेतृत्व करने पर पूरी तरह अकेलापन महसूस होता है। मैं इससे गुजर चुका हूं और मैं इसे मदन (मोहनका) और अब मेहुल (मोहनका के बेटे) दोनों में महसूस कर सकता हूं, जिन्होंने हाल ही में साझा किया है कि वह भी इससे गुजर रहे हैं और बहुत अकेला महसूस करते है।'
हजारों लोगों को विश्वास प्रदान करना एक नेता की जिम्मेदारी
मदन मोहनका ने 1976 में टेगा इंडस्ट्रीज लिमिटेड की स्थापना की और इसके अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया। उनके बेटे मेहुल कंपनी के प्रबंध निदेशक और समूह सीईओ हैं। मूर्ति ने कहा कि इन हजारों लोगों को विश्वास प्रदान करना एक नेता की जिम्मेदारी है।
मोहनका की जीवनी के बारे में बात करते हुए, मूर्ति ने कहा कि उद्योगपति 'उदासी की सबसे गहरी गहराई में चले गए और आनंद के उच्चतम पहाड़ों को नाप लिया।'उन्होंने कहा कि पुस्तक संक्षेप में इस बारे में है कि एक आदमी ने वह कैसे किया जो उसे करना था।
मूर्ति ने कहा कि यह किताब इस कहानी के बारे में है कि कैसे एक व्यक्ति ने हजारों लोगों को आत्मविश्वास देकर, इंद्रधनुष और खूबसूरत पहाड़ों का आश्वासन देकर और उस ओर चलने का आश्वासन देकर उनका नेतृत्व किया।