Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Exclusive: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में विश्व वोरा का अहम योगदान, ज्योतिष शास्त्रों का अध्ययन कर ऐसे निकाला मुहूर्त

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक क्षण का सभी को सदियों से इंतजार था और अब गिनती के ही दिन बचे हैं। अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त का क्षण सिर्फ 88 सेकंड का होगा। विश्व वोरा ने ढाई महीने तक अलग-अलग ग्रंथों का अध्ययन कर यह मुहूर्त तय किया। ज्योतिषी विश्व वोरा के साथ खास बातचीत...

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 06 Jan 2024 11:56 PM (IST)
Hero Image
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में विश्व वोरा का अहम योगदान (फाइल फोटो)

किशन प्रजापति, अहमदाबाद। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक क्षण का सभी को सदियों से इंतजार था और अब गिनती के ही दिन बचे हैं। अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त का क्षण सिर्फ 88 सेकंड का होगा। जिसमें मूल रूप से गुजरात के रहने वाले ज्योतिषी विश्व वोरा का अहम योगदान है। विश्व वोरा ने ढाई महीने तक अलग-अलग ग्रंथों का अध्ययन कर यह मुहूर्त तय किया। इस बारे में विश्व वोरा ने दैनिक जागरण (गुजराती जागरण) से खास बातचीत की।

गौरतलब है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने देश के दिग्गज पीठाचार्यों, शंकराचार्यों और महंतों के साथ अहमदाबाद शहर के युवाओं को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित किया। प्राण प्रतिष्ठा के समय को लेकर गणेश्वर शास्त्रीजी, गोबिंद देव गिरिजी, ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, पीठाधिपति रामभद्राचार्यजी से भी सुझाव लिए गए। जब समय निर्धारित किया गया तो सबसे पहले 12.22 से 12.33 का समय चुना गया।

'मुहूर्त देखने के लिए गोविंद देव गिरि जी महाराज ने कहा था'

गुजराती जागरण से बात करते हुए विश्व वोरा ने बताया कि मुझे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के गोविंद देव गिरि जी महाराज, गणेश्वर शास्त्रीजी और राम सूर्य नारायण जी ने 22 तारीख को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त देखने के लिए बताया था।

यह भी पढ़ें: कारसेवक पिता के सपने को पूरा करने हैदराबाद से अयोध्या निकला भक्त, रामनगरी पहुंचकर सीएम को सौंपेगा र्स्वणजड़ित चरण पादुका

गोविंद देव गिरि जी के साथ संपर्क को लेकर विश्व वोरा ने बताया कि मैं 2010 में अहमदाबाद में साबरमती गुरुकुलम में शामिल हुआ और 2020 तक ज्योतिष के अष्टांग का अध्ययन किया। जिसमें उन्होंने ज्योतिष रत्न विशारद की डिग्री लेकर काशी-बनारस में ज्योतिष का अध्ययन भी किया। इसी दौरान अयोध्या में मेरा परिचय गोविंद देव गिरि जी से हुआ। इसी बीच चर्चा अयोध्या की चर्चा हुई थी।

'मेरे पास गुरु वशिष्ठ द्वारा करवाये गए राज्याभिषेक की कुंडली की डिटेल थी'

विश्व वोरा ने आगे बताया,

उस समय वास्तु, शिल्प और कोई अन्य समिति नहीं थी, लेकिन मेरे संस्कृत ग्रंथों के अध्ययन है, गोविंद देव गिरि जी महाराज द्वारा रामसूर्यनारायणजी के साथ अध्ययन और परिचय भी था। यह मुहूर्त कैसा होना चाहिए? इसकी विशेषताएं क्या होगी? समय, लग्न नवमांश, कुंडली, इसकी सारी जानकारी मेरे पास थी। जिस पर चर्चा की गई थी।

'पांच से अधिक मूल ग्रंथों का अध्ययन किया और मुहूर्त निकला'

विश्व वोरा ने बताया कि आरंभ सिद्धि, मुहूर्त मार्तंड, मुहूर्त चिंतामणि, वृहद दैवज्ञ, बृहद पराशर होरा शास्त्र जैसे ग्रंथों का अध्ययन करके अभिजीत का सूक्ष्म मुहूर्त 88 सेकंड दिया गया। ये मूल आधार ग्रंथ हैं। जिसकी मदद से दिन भी तय हुआ। विश्व वोराने आगे कहा,

कहा जाता है कि गुरुदेव वशिष्ठ ने इसी प्रकार का एक मुहूर्त दिया था, यह वही मुहूर्त है। उस समय राम महाराज की लग्न राशि उसी दिन की लग्न राशि है। इंद्रदेव भी इंद्रासन में बैठे थे। उन दिनों की गणना मृगशिरा नक्षत्र में अभिजीत मुहूर्त, उसके भीतर 12.22 का मुहूर्त, कवि कुंडली और उसका फल वाचन, यही विशेषता है।

'नौ ग्रह अपनी सर्वोच्च स्थिति में'

उन्होंने बताया कि उस दिन बारह नक्षत्रों, करण, योग और चंद्र राशि का मिलन है, जो नवमांश एवं ग्रहों की शुद्धि है। यह भी बहुत दुर्लभ है कि यह चरागाह का दिन है। जिसमें सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति योगकारक स्थिति में हैं। मूल का शेष भाग त्रिकोणात्मक, स्थित तत्त्व का नवमांश है। इस सर्वोत्तम मुहूर्त की गोचर ग्रह प्रणाली में अग्नितत्व के मेष लग्न को स्थिरता के वृश्चिक नवांश में लिया जाता है। जिसमें नौ ग्रह अपनी उच्च राशि में हैं।

'यह मुहूर्त वैसा ही है जैसे भगवान राम सिंहासन पर बैठे थे'

विश्व वोरा ने आगे कहा कि इस दिन की ग्रह दशा दुर्लभ है। ऋषि वशिष्ठ ने भगवान राम को अयोध्या में राजतिलक करने का अवसर दिया। प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस दिन का चयन इस वजह से किया गया, क्योंकि उस दिन जो मुहूर्त और ग्रहदशा थी, वह 22 जनवरी, 2024 को फिर से बन रही है। आज का शुद्ध एवं निर्दोष ग्रह गणित भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए फलदायी होगा।

'अंजनशलाका से शुरू होगी प्राण प्रतिष्ठा'

विश्व वोरा ने आगे कहा कि 18 तारीख को वास्तु पूजन होगा। इसके बाद 21 तारीख को यज्ञ शुरू होगा। 22 तारीख को श्रीराम जी की मूर्ति समारण से गर्भगृह में प्रवेश करेगी। प्रवेश के बाद इंस्टालेशन किया जाएगा। उस समय गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और मोहन भागवत मौजूद रहेंगे। रामलला को अयोध्या में मंदिर के गर्भगृह में लाए जाने के बाद दोपहर 12.22 बजे अंजनशलाका के साथ प्राण प्रतिष्ठा शुरू होगी।

यह भी पढ़ें: 22 जनवरी को भारत के इतिहास का होगा स्वर्णिम दिन, हर घर में मनेगी दिवाली - जयराम ठाकुर

विश्व वोरा ने कहा कि सुनहरे शलाका से अंजना लगाने के बाद भगवान राम की आंखों के सामने दर्पण या कांच की पट्टियां रखी जाएंगी। अंजनशलाका से प्राण स्थापना तक की यह सूक्ष्म अवधि 1.28 मिनट की होगी। इसके बाद मंदिर में अभिषेक, छत्र स्थापना, ध्वज स्थापना और अन्य देवी-देवताओं की स्थापना की जाएगी। इस प्रकार संपूर्ण अनुष्ठान 12.22 से 12.29 के भीतर पूरा हो जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि इस ऐतिहासिक स्वर्णिम अवसर का साक्षी बनना परम सौभाग्य की बात है। यह मेरे लिए एक माइलस्टोन है। यह सभी के आशीर्वाद से हुआ है।