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1857 की क्रांति से रूबरू होंगे हरियाणा के लोग, अंबाला में 1 से 5 दिसंबर तक र‍िक्रिएट होगी एतिहासिक घटना

हरियाणा के लोग 1857 की क्रांति से रूबरू होंगे। अंबाला छावनी में एक से 5 दिसंबर तक दास्‍तान-ए-अंबाला का मंचन किया जाएगा। वहीं छावनी के सुभाष पार्क में इसका क्रांति का चित्रण भी किया जा रहा ताकि लोगों की गौरव गाथ याद रहे।

By Jagran NewsEdited By: Anurag ShuklaUpdated: Mon, 14 Nov 2022 09:06 AM (IST)
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अंबाला छावनी में दास्‍तान ए अंबाला का मंचन।

अंबाला, जागरण संवाददाता। 1857 की क्रांति की चिंगारी मेरठ से पहले अंबाला में सुलगी थी। 165 साल पुरानी इस घटना को जहां 300 करोड़ से बन रहे शहीदी स्मारक की दीवारों पर उकेरा जा रहा है। अब उसका चित्रण छावनी स्थित सुभाष पार्क में किया जाएगा ताकि अंबाला को इतिहास की किताबों मे गौरव दिलवाने इस गाथा को लोग भली-भांति जान सकें।

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने बताया कि शहीदी स्मारक में 1857 की क्रांति से संबंधित जो भी कार्य किया जा रहा है। उसकी एक-एक जानकारी 1 से 5 दिसंबर तक सुभाष पार्क में होने वाले नाट्य मंचन के दौरान दी जाएगी ताकि छावनी सहित आसपास के लोग अंबाला की धरती से जुड़े आंदोलन से रूबरू हो सकें।

इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। जल्द ही कार्यक्रम को लेकर जानकारी भी साझा कर दी जायेंगी। हरियाणा के सक्रिय नाट्य दल अभिनय रंगमंच द्वारा आजादी की पहली लड़ाई पर केंद्रित नाटक दास्तान-ए-अंबाला तैयार किया गया है। नाटक में दिखाया जाएगा कि किस तरह 1857 में आजादी की लड़ाई मेरठ से भी पहले अंबाला में शुरू हुई। इसमें यह भी दिखाया जायेगा कि अंबाला को ही छावनी क्यों बनाया गया।

अंबाला का इतिहास भी जानें, यहां है एतिहासिक चर्च

ब्रिटिश शासन काल के दौरान बनी सड़कें आज भी है। रक्षामंत्री की तरफ से अंग्रोजों के समय में बनी सड़कों का नाम बदलकर अब शहीदों के नाम किए जाने की घोषणा की जा चुकी है। हालांकि समय के साथ कुछ के नाम तो बदल दिए गए, लेकिन नए नाम का बोर्ड नहीं लगाया गया। अब तो ज्यादातर लोग पुराने नामों से ही पुकारते हैं, जबकि कुछ लोगों नए नाम को प्रचलित करने का काम कर रहे हैं।

अंबाला छावनी परिषद के अभिलेखों में आज भी पुराने नाम से कागजी कार्यवाही होती है। कैंटोनमेंट बोर्ड के रिकार्ड को देखें तो लारेंस रोड ताजा उदाहरण है। आइबी बाजार से बैंक रोड तक लारेंस रोड है। यहां आज भी ब्रिटिशन शासनकाल में बना चर्च है, जहां प्रत्येक वर्ष इशा मसीह के जन्मदिवस को धूमधाम से मनाया जाता है।

लार्रेंस रोड का इतिहास

अंग्रेजों ने अंबाला कैंट को 1843 में अपनी छावनी बनाया था। यहां पर इटेलियन कैपूचिन वीनेंस जो दिल्ली से आए थे ने अपनी सेवाएं दीं। उनकी देखरेख में ही इस चर्च को बनाया गया, जो 1848 में बनकर तैयार हुई थी। अंबाला की यह पहली चर्च मानी जाती है। इसके साथ ही लार्रेंस रोड विकसित किया गया, यहां पर एक चर्च बनाकर प्रेयर शुरू हुई। आज भी यह ब्रिटिश शासनकाल की याद दिलाता है।

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'' कैंटोनमेंट बोर्ड में इस तरह के मार्ग के नाम बदले जा रहे हैं। इसमें सबसे पहले काली पल्टन पुल का नाम बदलकर अब शहीद उमराव सिंह फ्लाईओवर कर दिया गया है। इसी तरह स्टाफ रोड को जवाहर लाल नेहरु मार्ग किया गया।

                                                                                                             - अजय बवेजा, पूर्व पार्षद।

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'' हमारे वार्ड में भी कई सड़कें हैं जो आज भी अभारतीयों के नाम पर है, जिसका नाम बदलकर शहीद सैनिकों के नाम पर किए जाने की चर्चा बैठक में हो चुकी है। अब कैंटोनमेंट बोर्ड की तरफ से प्रस्ताव पास कराकर शहीदों के नाम पर सड़कों का नाम होगा।

                                                                                                                - वीरेंद्र गांधी, पूर्व पार्षद।

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सितंबर माह में नाटक के पोस्टर को गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा रिलीज किया गया था । गृहमंत्री नाटक के सभी गीत और स्क्रिप्ट को पढ़ चुके हैं। नाटक में मशहूर फिल्म अभिनेता पंकज बेरी भी अभिनय करेंगे। नाटक का संगीत प्रसिद्ध संगीत निर्देशक श्रीधर नागराज ने तैयार किया है। नृत्य संरचना राखी दुबे द्वारा की जाएगी। नाटक लेखन यशराज शर्मा द्वारा किया गया है। नाटक की शोध सामग्री के रूप में अंबाला के इतिहासकार प्रोफेसर यूवी सिंह, तेजेंद्र सिंह वालिया, प्रोफेसर अतुल यादव की किताबों ने बहुत सहयोग किया है। सह निर्देशन उमा शंकर एवं कबीर दहिया द्वारा किया जाएगा।