अंबाला में मकराना के पत्थर से बन रहा जैन मंदिर, 36 गुबंद बढ़ाएंगे शोभा, कुछ ऐसा होगा नजारा
अंबाला की गीता नगरी में 2011 इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। अकेला मंदिर 500 गज में बनाया जा रहा है। जबकि आश्रम और भोजनालय अलग से बनाए हुए हैं। लगभग ढाई एकड में जैन मंदिर के निर्माण का कार्य चल रहा है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर। अंबाला शहर के गीता नगरी में मकराना के पत्थर से जैन मंदिर बनाया जा रहा है। इसकी खास बात यह है कि जिला के आसपास ऐसा सुंदर जैन मंदिर नजर नहीं आएगा। क्योंकि इस मंदिर की शोभा 36 गुबंद बढ़ा रहे हैं। पुरानी शैली की तर्ज पर इस जैन मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। इतना ही नहीं इसके निर्माण के दौरान लोहे की कील का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। इसकी तराशी भी मकराना में ही हो रही है। मंदिर बतौर छत लैंटर यानि लाेहे का जाल नहीं लगाया जाएगा, बल्कि डाट सिस्टम से तैयार किया जाएगा। इसमें ईंटों की मदद से डाट तैयार की जाती है।
गीता नगरी में 2011 इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। अभी भी इसमें काफी समय लगेगा। अकेला मंदिर 500 गज में बनाया जा रहा है। जबकि आश्रम और भोजनालय अलग से बनाए हुए हैं। लगभग ढाई एकड में जैन मंदिर के निर्माण का कार्य चल रहा है। मंदिर के लिए पत्थर राजस्थान के मकराना से लाया जा रहा है। वहीं से पत्थरों को तराशा जा रहा है। इसके बाद अंबाला में मंदिर में लाया जाता है। वहीं पर शिल्पकार काम में लगे हुए हैं।
2011 में शुरू हुआ था निर्माण
मंदिर का निर्माण मुनि सुरिश्वर के शिष्य मुनि विजय रत्नाकर सूरीश्वर ने साल 2011 में शुरू कराया था। जैन मंदिर को लोगों की सहायता से बनाया जा रहा है। इस मंदिर में 36 गुंबद हैं, जिनके नीचे जैन समाज के 108 आचार्य भगवानों की मूर्तियों को रखा जाएगा। शिल्प शैली के मामले में यह मंदिर हरियाणा पंजाब का हटकर मंदिर होगा।
35 गुबंद दे रहे 36 गुण
जैन मुनि विजय इंद्रदिन्न सुरीश्वर की स्मृति में गोल आकार में जैन मंदिर बनाया जा रहा है। श्रीमद् विजय धर्मधुरंधर सुरिश्वर म.सा. आदि ठाणा इस समय चार्तुमास कर रहे हैं। इस मंदिर में 84 गच्छों के शासन प्रभावक आचार्य भगवंतों की 108 पाषाण प्रतिमाएं लगाईं जाएंगी। इस मंदिर में 36 गुंबद बनाए गए हैं। इनका मकसद जैन आचार्य के 36 गुण होते हैं।
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