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इस University का Haryana से पुराना इतिहास, यहां के विद्यार्थियों का विदेशों में भी डंका Panipat News

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा से भी पुराना इतिहास संजोए हुए है। 1 जनवरी 1957 को इसकी स्थापना हुई थी। आज इसका 63वां स्थापना दिवस है।

By Anurag ShuklaEdited By: Updated: Sat, 11 Jan 2020 02:50 PM (IST)
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इस University का Haryana से पुराना इतिहास, यहां के विद्यार्थियों का विदेशों में भी डंका Panipat News

पानीपत/कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]।  कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र प्रदेश से भी पुराना इतिहास संजोए हुए है। यहां पर पढ़ लिखकर युवा प्रदेश व देश ही नहीं कई दूसरे देशों में बड़े पदों पर आसीन हैं। एक समय में संस्कृत विभाग से शुरू विश्वविद्यालय में आज 10 फैकल्टी हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वविद्यालय ने ए-प्लस ग्रेड घोषित किया है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत गत वर्ष ही एक हजार करोड़ रुपये दिए हैं। कुवि शनिवार 11 जनवरी को अपना 63वां स्थापना दिवस मना रही है। सादे समारोह में हवन यज्ञ कर आहुति डाली जाएगी। 

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957 को इसकी स्थापना की थी। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया था। उस वक्त संस्कृत विभाग ही था।

पर्यावरण संरक्षण का दे रहे संदेश 

कुवि का प्रांगण लगभग 425 एकड़ में फैला हुआ है। यहां कई बड़े विभाग हैं। इसके साथ विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रही है। 30 एकड़ में ग्रीन जोन है। इसमें पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा 300-400 एकड़ जमीन शहर से बाहर है। इस पर खेती की जा रही है। यह जमीन एक तरह से विश्वविद्यालय के लिए इनकम का भी सोर्स है। 

सात जिलों के 265 कॉलेज जुड़े 

कुवि के अंतर्गत सात जिलों के 265 कॉलेज जुड़े हुए हैं। इनमें कुरुक्षेत्र, अंबाला, पंचकुला, यमुनानगर, कैथल, करनाल व पानीपत जिले शामिल हैं। करीब 10 लाख विद्यार्थी सीधे जड़े हैं। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत एक हजार करोड़ की बड़ी राशि गत वर्ष मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंस से छह रिसर्च सेंटरों का शुभारंभ गत वर्ष किया था। 

खुशी : बेटों से ज्यादा बेटियां 

कुवि के जनसंचार विभाग के निदेशक डॉ. तेजेंद्र शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय में 13 हजार विद्यार्थी हैं। 10 फैकल्टी और 47 विभाग हैं। 180 से अधिक कोर्स कराए जा रहे हैं। कुवि में 23 हॉस्टल हैं। यहां शिक्षा प्राप्त करने वालों में लड़कों से लड़कियां अधिक हैं। इनकी संख्या करीब 60 फीसद है। 2500 लोगों की क्षमता का बड़ा ऑडिटोरियम है। उस वक्त यह एशिया का सबसे बड़ा ऑडिटोरियम होता था। इसके बाद दूसरे बड़े ऑडिटोरियम अस्तित्व में आए।

चिंता : आर्थिक तंगी से गुजर रही कुवि

कुवि का वार्षिक बजट 300-350 करोड़ के करीब है। सरकार की ओर से 30-33 फीसद बजट ही मिल पाता है। पहले पूरे प्रदेश के कॉलेज इससे जुड़े थे। अब धीरे-धीरे विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ती चली गई। 11-12 प्राइवेट विश्वविद्यालय बन गए हैं। ऐसे में कॉलेज कम होने पर बजट की तंगी भारी पड़ रही है। 

 

कुवि में शिक्षा, खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में निखार लाने के लिए बेहतर सुविधा दी जा रही हैं। आंतरिक सिस्टम में भी सुधार किया जा रहा है।

डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा, वीसी, कुवि।