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Haryana News: हरियाणा की ओर बढ़ता यमुना का कटाव, करोड़ों खर्च होने पर भी नहीं पुख्ता बचाव; हर साल बह रही जमीन

यमुना नदी यूं तो साल भर शांत रहती हैं लेकिन मानसून के समय नदी का रौद्र रूप भयभीत कर देता है। इन दिनों नदी अपने सामने आने वाली हर वस्तु को बहा कर ले जाती है। इसी कड़ी में हरियाणा में हर साल किसानों की फसलें यमुना की भेंट चढ़ जाती है। यही नहीं हर साल स्टड और तटबंध बनाए जाते हैं। लेकिन उनका कोई फायदा नहीं होता।

By Sanjeev kumar Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 09 Aug 2024 03:14 PM (IST)
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हरियाणा की ओर बढ़ता यमुना का कटाव, करोड़ों खर्च होने पर भी नहीं पुख्ता बचाव
जागरण संवाददाता, यमुनानगर। हरियाणा व उत्तर प्रदेश के बीचोबीच बह रही जीवन दायिनी यमुना मानसून सीजन में कब रौद्र रूप धारण कर ले कुछ कहा नहीं जा सकता।

पानी का बहाव बढ़ जाने से फसलें जलमग्न भी हो जाती हैं और जमीन यमुना में भी समा जाती है। बचाव के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर किनारों पर स्टड व तटबंध बनाए जाते हैं, लेकिन पुख्ता बचाव आज भी नहीं है। नदी पर नुकसान के रास्ते खुले हैं।

उधर, यमुना नदी का बहाव हर साल 40 से 50 मीटर हरियाणा की ओर बढ़ रहा है। किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन हर साल यमुना नदी में समा जाती है। यमुना नदी के साथ-साथ सोम व पथराला नदी में आई बाढ़ के कारण भी किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है।

यूपी के जिला सहारनपुर के नकुड क्षेत्र में शासन ने यमुना नदी पर कच्ची पटरी बना दी है। जिससे दिक्कत ज्यादा बढ़ रही है। यह एनजीटी के नियमों की भी अवेहलना है।

10 साल में हुआ इतना नुकसान

  • 2011-12 : साढे़ 13 करोड़ रुपये
  • 2012-13 : आठ करोड़
  • 2013-14 : साढे़ दस करोड़
  • 2014-15 : 17 करोड़
  • 2015-16 : 11 करोड़
  • 2016-17 : नौ करोड़,
  • 2017-18 : 14 करोड़,
  • 2018-19 : आठ करोड़
  • 2019-20 : 22 करोड़,
  • 2020-21 : 13 करोड़
  • 2022-23 : 30 करोड़
  • 2023-24 : 56 करोड़

इन गांवों रहता अधिक खतरा

माली माजरा, नवाजपुर, लाक्कड़, लेदी, बेलगढ़, टापू कमालपुर, होदरी, लापरा, बीबीपुर, मांडेवाला, खानूवाला, आंबवाली, टिब्बड़ियों, काटरवाली, रामपुर गेंडा, रणजीत पुर, भंगेड़ा, मलिकपुर, रणजीतपुर, मुजाफत, नगली, प्रलादपुर, पौबारी, संधाला, संधाली, लालछप्पर, माडल टाऊन करेहड़ा, उन्हेड़ी, संधाला, संधाली, गुमथला समेत दर्जनों गांवों में हर वर्ष बाढ़ का खतरा रहता है।

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यमुना नदी का रुख हरियाणा की ओर बढ़ गया है। बीते वर्ष कमालुपर टापू, गुमथला, लालछप्पर व नगली में काफी कटाव हुआ है।

तीन विधानसभा क्षेत्रों से बहाव

हथनीकुंड बैराज से लेकर गुमथला राव तक की बात की जाए तो यमुना नदी जगाधरी, यमुनानगर व रादौर तीन विधानसभा क्षेत्रों से बह रही है। अंबाला व कुरुक्षेत्र दो लोकसभा क्षेत्रों से होकर बहती है। चुनाव के दिनों में हर साल बाढ़ का मुद्दा उठता रहा है।

जन प्रतिनिधियों की ओर से पुख्ता इंतजाम के आश्वासन भी मिलते रहे हैं, लेकिन परिणाम आज तक शून्य है। हर साल वही कार्य अस्थायी तौर पर तटबंध बना दिए जाते हैं। पानी का बहाव बढ़ने पर ये हर साल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। कई जगह अनियमितताएं बरते जाने के भी आरोप लगते हैं।

बचाव के पुख्ता इंतजाम जरूरी

देवधर के किसान रतन सिंह देवधर का कहना है कि बाढ़ से बचाव के कार्यों पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इस बार भी करीब 56 करोड़ खर्च किए जाने के दावे किए जा रहे हैं।

इससे पहले भी 15-20 कराेड़ रुपये सालाना खर्च हाेते रहे हैं। बावजूद इसके हर साल नदियों में कटाव होता है। बीते मानसून सीजन में तो हद ही हो गई थी। बेलगढ़, टापू कमालपुर, जठलाना व गुमथला क्षेत्र में कटाव ज्यादा हुआ था। बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम जरूरी हैं।

कार्यों को लेकर सरकार गंभीर: अरोड़ा

विधायक घनश्याम दास अरोड़ा का कहना है कि बाढ़ से बचाव के कार्यों को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है। फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक में चर्चा के बाद ही नदियों पर कार्य करवाए जाते हैं।

कमालपुर टापू में कटाव रोकने के लिए कंकरीट के तटबंध बनवा दिए गए हैं। भविष्य में प्रयास रहेगा कि सभी कार्य समय पर हों और पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाए।

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