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Himachal में पहली बार FDR टेक्नोलॉजी से बनेंगी 666 सड़कें, खर्च होंगे करोड़ों; जानिए क्यों खास है यह तकनीक

Himachal हिमाचल प्रदेश में उखाड़ी गई सामग्री से बनने वाली सड़कों के लिए हिमाचल सरकार उत्तर प्रदेश का मॉडल अपनाएगी। सरकार ने लोक निर्माण विभाग को उत्तर प्रदेश मॉडल अपनाने की स्वीकृति दी की। प्रदेश के सभी जिलों में फुल डेफ्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से 666 किलोमीटर सड़क निर्माण होगा। इस तकनीक में खनन सामग्री का उपयोग नहीं होगा। परिणामस्वरूप सड़क की मोटाई पहले जैसी रहेगी

By Parkash BhardwajEdited By: Prince SharmaUpdated: Wed, 18 Oct 2023 05:30 AM (IST)
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Himachal में पहली बार FDR तकनीक से बनेंगी 666 सड़कें, खर्च होंगे करोड़ों; जानिए क्यों खास है यह टेक्नोलॉजी

राज्य ब्यूरो, शिमला। प्रदेश में उखाड़ी गई सामग्री से बनने वाली सड़कों के लिए हिमाचल सरकार उत्तर प्रदेश का मॉडल अपनाएगी। सरकार ने लोक निर्माण विभाग को उत्तर प्रदेश मॉडल अपनाने की स्वीकृति दी की। 10 करोड़ से अधिक मूल्य की आठ मशीनें सड़क निर्माण के काम में लगाई जाएंगी।

तीन-चार वक्स्र को जोड़कर न्यूनतम 40 किमी किया जाएगा।

प्रदेश के सभी जिलों में फुल डेफ्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से 666 किलोमीटर सड़क निर्माण होगा। इस तकनीक में खनन सामग्री का उपयोग नहीं होगा। परिणामस्वरूप सड़क की मोटाई पहले जैसी रहेगी, पर्यावरण संरक्षित होगा, रेत, बजरी के लिए पहाड़ खोदने की आवश्यकता नहीं रहेगी। एफडीआर तकनीक सड़क निर्माण के लिए दस दिनों के भीतर लोक निर्माण विभाग के चारों जोन में निविदा खोली जाएगी। इससे पहले तीन-चार वक्स्र को जोड़कर न्यूनतम 40 किमी किया जाएगा।

एफडीआर तकनीक के लिए शर्त ये रहेगी कि कंपनी के पास सड़क निर्माण संबंधी मशीनरी उपलब्ध हो। एफडीआर तकनीक से बनने वाली सड़कों पर 666 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। एफडीआर तकनीक से बनने वाली सड़कों के तहत प्रदेश के चार जिलों कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर में अधिक लंबाई की सड़कों का निर्माण होगा। जबकि पांच जिलों लाहुल-स्पीति, किन्नौर, सिरमौर, सोलन व चंबा में एफडीआर तकनीक का उपयोग नहीं होगा। जनजातीय किन्नौर जिला ऐसा है जहां पर पीएमजीएसवाई सड़कें नहीं हैं।

एफडीआर तकनीक से होने वाले लाभ

इस तकनीक से सड़क का दोबारा निर्माण होने से सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि बिछाई गई परत पहले जैसे रहेगी। ऐसा करने से सड़क के साथ लगते भवनों में पानी नहीं घुसेगा। न ही सड़क उखड़ेगी। पर्यावरण संरक्षण होगा। अनावश्यक तौर पर पहाडा़ें से रेत, पत्थर, रोड़ी निकालने की जरूरत नहीं रहेगी।

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ऐसा माना जा रहा है कि सामान्य तौर पर निर्मित होने वाली सड़क दस साल तक उपयोग में रहती है, जबकि एफडीआर तकनीक से बनने वाली सड़क बीस साल तक उपयोगी रहेगी। इस तरह से निर्मित होने वाली सड़क में उखाड़ी गई पुरानी सामग्री में सीमेंट और रासायनिक स्टेबलाइजर का मिश्रण बिछाया जाता है।

लोक निर्माण विभाग शीघ्र की एफडीआर तकनीक से सड़क निर्माण शुरू करेगा। देश के कई राज्यों में इस तकनीक से सड़क निर्माण हो रहा है। उत्तर प्रदेश में इस तकनीक से साढ़े पांच हजार किमी से अधिक लंबाई की सड़कों का निर्माण हो चुका है। प्रदेश में एफडीआर तकनीक से डेढ़ साल के भीतर हमेंं 666 किमी सड़कें बनानी है। इसके लिए विभाग की ओर से एफडीआर तकनीक वाली मशीनरी रखने वाली कंपनियों के लिए ग्लोबल टेंडरिंग की जाएगी।

- अजय गुप्ता, इंजीनियर-इन-चीफ लोक निर्माण विभाग।

हिमाचल में पहली बार 665.96 किमी सड़क निर्माण एफडीआर तकनीक से होगा

राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2023 व 2024 के दौरान तीसरे चरण में कुल 254 वक्र्स के तहत 2682.98 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। पीएमजीएसवाई के तहत परंपरागत तरीके से 1460.52 किमी के लिए 137 सड़कों पर निर्माण कार्य होगा।

राज्य में पहली बार उपयोग की जा रही एफडीआर तकनीक से 62 वक्र्स में 665.96 किमी लंबाई की सड़कों पर पुनर्निर्माण की नई तकनीक का उपयोग होगा। फुल डेप्थ रिक्लेमेशन एक ऐसी सड़क निर्माण की तकनीक है, जिसमें सड़क की मौजूदा सामग्री को उखाड़कर दोबारा कुल अन्य मिश्रण उपयोग कर निर्माण किया जाता है।

          जिला, परंपरागत तकनीक, एफडीआर, सीटीबी, कुल वक्र्स, कुल किमी

  • बिलासपुर, 6, 56.69 किमी, 7, 69.38 किमी, 6, 58.55 किमी, 19, 184.62 किमी
  • हमीरपुर, 8, 50.45 किमी, 6, 50.56 किमी, 7, 77.31 किमी, 21, 177.91 किमी
  • ऊना, 0, 0, 1, 5.07 किमी, 18, 154.12 किमी, 19, 159,19 किमी
  • मंडी, 8, 123.66 किमी, 14, 192.37 किमी, 1, 5.50 किमी, 23, 321.53 किमी
  • कुल्लू, 6, 57.27 किमी, 4, 46.02 किमी, 0, 0, 10, 103.29 किमी
  • चंबा, 14, 129.86 किमी, 0, 0, 3, 37.5 किमी, 17, 167.36 किमी
  • लाहुल-स्पीति, 7, 63.69 किमी, 0, 0, 0, 0, 7, 63.69 किमी
  • शिमला, 43, 513.06 किमी, 0, 0, 3, 36 किमी, 46, 549.06 किमी
  • सोलन, 17, 198.38, 0, 0, 8, 92.88 किमी, 25, 291.26 किमी
  • सिरमौर, 9, 198.38 किमी, 0, 0, 8, 92.88 किमी, 25, 291.26 किमी
  • किन्नौर, 0, 0, 0, 0, 0, 0, 0, 0़
  • कांगड़ा, 19, 160.0 किमी, 27, 247.26 किमी, 0, 94.62 किमी, 55, 501.88 किमी
  • कुल, 137, 1460.52 किमी, 62, 665.96 किमी, 55, 556.48 किमी, 254, 2682.98 किमी

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