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Himachal: जयराम ठाकुर ने CM सुक्खू के दावे को बताया झूठ! कहा- आपदा पीड़ितों को तिरपाल तक नसीब नहीं

जयराम ने कहा कि सरकार कह रही है कि हम राहत का काम कर रहे हैं लेकिन सत्य यही है कि जिनके घर उजड़ गए खेत बह गए सरकार उन्हें तिरपाल तक नहीं दे पाई। सरकार पहले तिरपाल तक नहीं खरीद पाई। लोग तिरपाल के लिए लाइन में लगे पूरा दिन इंतजार के बाद बताया जा रहा है कि तिरपाल नहीं हैं। सरकार ने इस प्रकार आपदा प्रबंधन किया है।

By rohit nagpalEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 19 Sep 2023 05:30 AM (IST)
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जयराम ठाकुर ने CM सुक्खू के दावे को बताया झूठ (file photo)

जागरण संवाददाता, शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन में मुख्यमंत्री को जवाब दिया कि सरकार आपदा में राहत देने में पूरी तरह असफल रही है। लोगों को न तो त्वरित सहायता मिल पाई और न ही बाद में अपेक्षित सहायता मिल रही है। उन्होंने आपदा में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपदा से निपटने के लिए सरकार की कोई तैयारी नहीं थी। उच्च स्तर पर कोई बैठक नहीं हुई। आपदा आने के बाद सरकार का क्या प्रबंधन रहा है, इसे पूरे प्रदेश ने देखा है। अब भी बहुत से प्रभावित हैं, जिन्हें आर्थिक सहायता तो दूर तिरपाल तक नहीं मिल पाया है। लोगों ने स्वयं तिरपाल खरीदे। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि एक लाख रुपये दे रहा हूं पर धरातल में 10-15 हजार रुपये ही पहुंच रहे हैं।

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जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार कह रही है कि हम राहत का काम कर रहे हैं, लेकिन सत्य यही है कि जिनके घर उजड़ गए, खेत बह गए, सरकार उन्हें तिरपाल तक नहीं दे पाई। सरकार पहले तिरपाल तक नहीं खरीद पाई। लोग तिरपाल के लिए लाइन में लगे, पूरा दिन इंतजार के बाद बताया जा रहा है कि तिरपाल नहीं हैं।

सरकार ने इस प्रकार आपदा प्रबंधन किया है। सरकार को जमीनी सच्चाई पर बात करनी होगी। सेब सीजन में सड़कें बंद होने से सेब लोगों के घरों में सड़ गए। सरकार सड़कें समय से सही नहीं करवा पाई। जब किसी ने अपने सड़ते हुए सेब को फेंक दिया तो पुलिस उसे थाने में बुलाकर धमकाती है और सरकार उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा देती है।

सदी की सबसे बड़ी त्रासदी, काम रोको प्रस्ताव के तहत चर्चा हो

जयराम ठाकुर ने कहा कि यह सदी की सबसे बड़ी त्रासदी है, इसलिए सारा काम रोककर इस पर चर्चा होनी चाहिए। सरकार जो प्रस्ताव लाई है उसकी मंशा कुछ और है, इसलिए नियम 67 के तहत जो प्रस्ताव विपक्ष लाया है उसे स्वीकार किया जाना चाहिए।

हमें गर्व था कि हिमाचल में सभी लोगों के पास घर है, मगर प्राकृतिक आपदा के बाद आज ऐसी स्थिति नहीं है, इसलिए नियमों की परिधि से बाहर रहकर इस मामले पर चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि इस मामले को वह नियमों की परिधि में नहीं बांध सकते। उन्होंने कहा कि नियम 67 के तहत आपदा पर चर्चा होनी चाहिए, हम पूरा सहयोग करेंगे।