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JK Lok Sabha Election Results: गुलाम नबी आजाद की पार्टी के दोनों उम्मीदवार हारे, विधानसभा चुनाव की राह भी होगी मुश्किल

गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी का कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाया। ऊधमपुर-डोडा संसदीय सीट से पूर्व मंत्री जीएम सरूरी अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट से सलीम पर्रे मैदान में थे। आजाद ने करीब एक महीने से अधिक समय तक चुनाव प्रचार किया। लोकसभा चुनाव में मिली हार से अब आगामी विधानसभा चुनाव में आजाद के लिए राह आसान नहीं होगी।

By satnam singh Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 05 Jun 2024 12:55 PM (IST)
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गुलाम नबी आजाद की पार्टी का कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाया (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, जम्मू। लोकसभा चुनाव में गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) का कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाया। विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे आजाद ने अलग पार्टी बनाकर प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में उतारे थे ताकि पार्टी के आधार का पता चल सके।

जम्मू-कश्मीर के लिए हुए लोकसभा चुनाव (Lok Sabah Election) में किसी भी सीट पर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी प्रत्याशी पहचान नहीं छोड़ पाए।

गुलाम नबी आजाद ने एक महीने तक किया चुनाव प्रचार

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी ने उधमपुर-डोडा लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री जीएम सरूरी, अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट से सलीम पर्रे को मैदान में उतारा था। सरूरी ने 39599 वोट हासिल किए। सलीम पर्रे ने 25561 वोट हासिल किए। सरूरी तीसरे स्थान व पर्रे चौथे स्थान पर रहे।

हालांकि आजाद ने करीब एक महीने से अधिक समय तक चुनाव प्रचार किया। सरूरी के समर्थन में तो आजाद ने चिनाब घाटी के तीनों जिलों डोडा,रामबन और किश्तवाड में कई जनसभाओं माध्यम से प्रचार भी किया था।

आजाद के लिए आसान नहीं होगी विधानसभा चुनाव की राह

उधमपुर सीट से गुलाम नबी आजाद की पार्टी के उम्मीदवार रहे जीएम सरूरी का किश्तवाड़ में अपना प्रभाव है। सरूरी कांग्रेस के विधायक और प्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में आजाद के लिए राह आसान नहीं होगी। विधानसभा चुनाव तक आधार मजबूत करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

जम्मू संभाग में दो सीटें हारने वाली कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी करीब आठ प्रतिशत बढ़ गया है। ऐसे में कांग्रेस छोडकर अपनी अलग पार्टी बनाने वाले आजाद को कांग्रेस से भी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

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जम्मू और बारामूला में नहीं उतारे थे प्रत्याशी

अनंतनाग- राजौरी संसदीय सीट पर नेशनल कांफ्रेंस के मियां अल्ताफ को लोगों का भारी समर्थन मिला तो श्रीनगर में भी नेकां ही जीती। जम्मू में आजाद ने कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा था। बारामुला संसदीय सीट से निर्दलीय इंजीनियर रशीद चुनाव जीतें जिनके समर्थन देने की घोषणा आजाद ने की थी।

पार्टी के महासचिव विशाल चोपड़ा ने कहा कि हमारे समर्थन वाला उम्मीदवार इंजीनियर रशीद जीत गया है। हमारी पार्टी के लिए राह खुली है। इस चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती हार गए है। आजाद का अलग पार्टी बनाने का फैसला सही था। हमारा आधार मजबूत हो रहा है।

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