हड़ताल पर सरकारी कर्मियों पर कार्रवाई के आदेश को महबूबा मुफ्ती ने बताया अपमानजनक, बोली- 'तानाशाही मानसिकता की आ रही बू'
जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में अब सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते। अगर करेंगे तो नपेंगे और उनके खिलाफ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई होगी। इन नियमों पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगया है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस आदेश में तानाशाही मानसिकता की बू आती है।
पीटीआई, श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन के उस आदेश को 'अपमानजनक' बताया, जिसमें कर्मचारियों को अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन और हड़ताल करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
महबूबा मुफ्ती बोलीं- 'तानाशाही मानसिकता की आती बू'
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस आदेश से तानाशाही मानसिकता की बू आती है। इसके साथ ही उन्होंने एक्स पर कहा कि सरकारी कर्मचारियों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर एलजी प्रशासन का पूर्ण प्रतिबंध तानाशाही मानसिकता का संकेत देता है। लोकतंत्र में तर्क की आवाज को दबाना अस्वीकार्य है। उन्हें गंभीर परिणाम और अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी देना अपमानजनक है।
नियमों के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई
केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने शुक्रवार को कर्मचारियों को उनके प्रस्तावित आंदोलन को आगे बढ़ाने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह के कृत्यों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जम्मू और कश्मीर सरकार कर्मचारी (आचरण) नियम, 1971 यह स्पष्ट कर रही है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी सेवा या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी की सेवा से संबंधित किसी भी मामले के संबंध में किसी भी तरह से हड़ताल का सहारा नहीं लेगा या किसी भी तरह से उकसाएगा नहीं।
साथ ही आदेश में कहा गया कि कानून का प्रावधान केवल घोषणात्मक प्रकृति का नहीं है और ऐसे किसी भी कर्मचारी के ऐसे कृत्यों में लिप्त पाए जाने की स्थिति में निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
माकपा ने लोकतांत्रिक अधिकारों का बताया उल्लंघन
इसके साथ ही माकपा नेता मोहम्मद युसुफ तारीगामी ने कहा कि सरकार का कर्मचारियों के हड़ताल और प्रदर्शन पर रोक लगाना लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह तानाशाही है। इससे पहले यहां प्रदेश सरकार ने सरकाीर अधिकारियों और कर्मचारियों को इंटरनेट मीडिया पर सरकारी नीतियों के खिलाफ बोलने पर रोक लगाई थी, अब उन्हें अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल और प्रदर्शन के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र नहीं तानाशाही का आलम है।
कांग्रेस ने आदेश को बताया तानाशाही
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में हरेक आदमी मौजूदा हालात से तंग आ चुका है। सरकारी कर्मचारियों के साथ किए गए वादों, उनके मुद्दों के समाधान में भी सरकार विफल रही है। कई सरकारी विभागों में कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है।
सरकार डरी हुई है कि अगर सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले तो उसने जो जम्मू कश्मीर में हालात के सामान्य होने का, यहां विकास और खुशहाली का जो गुब्बारा फुला रखा है, उसकी हवा निकल जाएगी। इसलिए उनके हड़ताल और धरने प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए यह तानाशाहीपूर्ण आदेश जारी किया गया है। इस आदेश को जारी कर सरकार ने खुद मान लिया है कि जम्मू कश्मीर में वह विफल हो चुकी है।