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Jharia Master Plan: फायर एरिया प्रभावितों को फिर दिखाया जा रहा 'स्मार्ट सिटी' का सपना, स्टडी के लिए जेआरडीए को मिला 3 सप्ताह का समय

Jharia Master Plan आग एवं भू-धंसान प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए झरिया मास्टर प्लान तैयार किया गया है। इस प्लान के तहत झरिया फायर एरिया के एक लाख से ज्यादा परिवारों का पुनर्वास किया जाना है। इसके लिए जेआरडीए क्रियान्वन एजेंसी है।

By MritunjayEdited By: Updated: Thu, 24 Dec 2020 09:15 AM (IST)
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झरिया में एक लाख से ज्यादा परिवार आग एवं भू-धंसान से प्रभावित हैं (फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। झरिाय फायर एरिया के प्रभावित परिवारों को पुनर्वास के लिए पिछले डेढ़ दशक से सपना दिखाया जा रहा है। कभी उम्मीदों का शहर तो कभी स्मार्ट सिटी बनाकर पुनवार्सित करने की बात की जाती रही है। तीन साल पहले झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फायर एरिया प्रभावितों के लिए स्मार्ट सिटी बनाने की बात की थी। इस स्मार्ट सिटी में हर तरह की नागरिक सुविधाओं की बात थी। पर यह बात आई-गई हो गई। पुनर्वास के लिए अब तो बेलगड़िया में जो आवास बनाए गए हैं वह मुर्गियों के दबड़े के समान हैं। अब एक बार फिर स्मार्ट सिटी की बात छिड़ी है। 

संभावना तलाशने के लिए जेआरडीए को मिला समय

झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को बसाने के लिए सरकार स्मार्ट सिटी बनाने पर विचार कर रही है। सबकुछ ठीकठाक रहा तो प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी 100 स्मार्ट सिटी की सूची में एक धनबाद भी होगा। हालांकि यह सिर्फ अग्नि प्रभावितों के लिए होगा। बुधवार को कोयला मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एम नागराजू ने इस मुद्दे पर वीडियो संवाद के जरिए बैठक की। झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (जेआरडीए) को इसकी संभावना तलाशने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है। इस दौरान जेआरडीए पदाधिकारी विचार करेंगे कि स्मार्ट सिटी के लिए सही स्थान क्या हो। इसके आकार, सुविधाएं और लागत का भी आकलन किया जाएगा।

अंतिम निर्णय नहीं स्मार्ट सिटी

जेआरडीए के प्रभारी पदाधिकारी गुलजार अंजुम ने बताया कि फिलहाल इस स्मार्ट सिटी के बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह सिर्फ एक प्रस्ताव है। इसकी संभावना तलाशी जा रही है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि स्मार्ट सिटी तो बसायी जाए, लेकिन उसमें रहने वाले अग्नि प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के क्या साधन हों, इस पर भी अध्ययन किया जाना है। फिलहाल तीन सप्ताह का समय आंकड़े जुटाने को दिया गया है। स्मार्ट सिटी की कुल आबादी क्या हो, इसमें अतिक्रमणकारियों को रखा जाए या सिर्फ रैयत को, यह अगली बैठकों में तय होगा। बैठक में उपायुक्त उमाशंकर सिंह, बीसीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह, राज्य के खनन सचिव के श्रीनिवासन, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के पदाधिकारी, कोल इंडिया व जेआरडीए के पदाधिकारी मौजूद थे।

जनवरी से जेआरडीए कार्यालय में भी बैठेंगे उपायुक्त

जनवरी से उपायुक्त उमा शंकर सिंह जेआरडीए कार्यालय में भी बैठेंगे। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को पूरे परिसर को ठीक करने का निर्देश दिया है। साथ ही तीन दिन के अंदर प्राक्कलन तैयार करने को कहा है। वह बुधवार को जेआरडीए कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने पुनर्वास कार्यों की समीक्षा भी की। साथ ही अभिलेखागार, सामान्य शाखा, प्रभारी कक्ष, सभा कक्ष, कंप्यूटर कक्ष, अभियंत्रण प्रभाग, लेखा एवं सर्वे कक्ष सहित अन्य कार्यालयों का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यपालक अभियंता को परिसर की साफ-सफाई करने, सीसीटीवी कैमरा लगवाने, भवन को शीघ्र दुरुस्त करने, महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए फायर फाइङ्क्षटग सिस्टम लगाने का निर्देश दिया।