Durga Puja 2021: आदिवासियों को सनातन से अगल देखने वालों को धर्म की समझ नहीं, ऐसे लोगों को जवाब है-दसांय
Durga Puja 2021 आदिवासियों को सनातन धर्म से अलग करने की एक राजनीति चल पड़ी है। इसे चाहे तो सनातन धर्म के खिलाफ साजिश भी कह सकते हैं। ऐसे लोगों के लिए दसांय पर्व जवाब है। दुर्गा पूजा के दाैरान आदिवासी समाज में दसांय पर्व की धूम है।
संवाद सहयोगी काठीकुंड (दुमका)। काठीकुंड व गोपीकांदर प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले संताल आदिवासियों के गुरु दीक्षा का पर्व दसांय शुरू हो गया है। बेलवरण पूजा के साथ प्रारंभ यह पर्व विजयादशमी के दिन मां दुर्गा के नमन के साथ ही संपन्न होगा। संताल समुदाय के लोग इस पर्व के दौरान परंपरागत बाजे गाजे के साथ दसांय नृत्य में डूब जाते हैं। परंपरा के मुताबिक संताल समाज के लोग गांव में बड़े-बुर्जुगों को दसांय गुरु के रूप में मानते हैं। त्योहार शुरू होने के दिन से दसांय गुरु अपने गांव के शिष्यों को बेलवरण टांडी यानि की मैदान में दीक्षा देते हैं। विजयादशमी के दिन गुरु इन्हें मंत्र की सिद्धि देते हैं।
गुरुओं के द्वारा यह भी दीक्षा दी जाती है कि अपने और अपने समाज की रक्षा के लिए मंत्र ज्ञान का प्रयोग करें। इसके अलावा रोग-व्याधि से बचाने की भी जानकारी शिष्यों को दी जाती है। छोटा भुईभंगा के ग्राम प्रधान लीलू टुडू ने कहा कि दीक्षा देने वाले गुरु की दक्षिणा के शिष्य नवरात्र के पांचवें दिन से ही परंपरागत वेशभूषा में मांदर-झाल की थाप पर नृत्य कर पैसा एकत्रित करते हैं। प्रखंड के रतनपुर, आंबाजोडा, भिटरा, भंडारो, कैरासोल, चंद्रपुरा, आमझारी, समेत विभिन्न गांवों में दसांय पर्व का उत्साह देखते हुए बन रहा है। जबकि गोपीकांदर प्रखंड के दुर्गापुर, मंझराबाड़ी, आमझारी, पिपरजोरिया, करमाटांड समेत कई गांवों में दसांय को लेकर उत्साह का माहौल है।