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खजूर रस से बनाए जा रहे गुड़ की भीनी महक से महका दुमका, बंगाल के नादिया से कारीगर आकर दिखा रहे अपने हाथों का कमाल

सर्दियों के कदम रखने के साथ ही इन दिनों दुमका-सिउड़ी मेन रोड पर बसे मसानजोर जीतपुर बन्दरकोंदा कुमीरदहा के समीप खजूर के रस से गुड़ बनाने का काम किया जा रहा है। बंगाल के नदिया से कारीगर आकर यहां रसीले गुड़ बनाते हैं जिसकी भिनी खुशबू राहगीरों के मन को मोह ले रही है। इस गुड़ का इस्‍तेमाल मिठाई खीर सहित कई और पकवानों के लिए किया जाता है।

By Rohit Kumar MandalEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 19 Dec 2023 04:04 PM (IST)
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दुमका: सिउड़ी मुख्य पथ के कुमीरदहा गांव के समीप खजूर का गुड़ बनाते

संवाद सहयोगी, पत्ताबाड़ी (दुमका)। दुमका-सिउड़ी मुख्य पथ पर मसानजोर, जीतपुर बंदरकोंदा, कुमीरदहा के समीप खजूर के पेड़ से रस निकाल कर खजूर गुड़ बनाया जा रहा है। सुबह से लेकर रात तक इन इलाकों में इन दिनों गुड़ बनने की भिनी खुशबू बरबस ही ग्रामीणों को यहां तक खींच लाती है। पश्चिम बंगाल के नादिया जिला से बड़ी संख्या में गुड़ बनाने वाले कारीगर यहां प्रत्येक साल की तरह आए हुए हैं।

पेड़ का किराया देकर जितना चाहो करो इस्‍तेमाल

मसानजोर के समीप जीतपुर गांव के पास देबु गांव से आए साधु दफादार व उसका पुत्र नयन दफादार पूरे परिवार के साथ यहां खजूर के रस से गुड़ बनाने आया है। साधु ने कहा कि वह पिछले 16 वर्षों से यहां आकर खजूर के रस से गुड़ बनाता है और बेचता है।

कहा कि पहले 100 रुपये किराया देकर खजूर का पेड़ जितना चाहो मिल जाता था, लेकिन अब वह बात नहीं रह गई है। महंगाई की मार यहां भी पड़ा है। अब एक खजूर के पेड़ एक सीजन में भाड़ा 120 रुपये देना पड़ता है। गुड़ बनाने के लिए चार माह यहीं रहते हैं।

कई जगह भेजे जाते हैं यहां से गुड़

अक्टूबर माह में यहां आकर पेड़ की साफ-सफाई करते हैं। नवंबर से जनवरी माह तक खजूर के रस से गुड़ बनाकर बेचते हैं।

कहा कि इस वर्ष 400 खजूर पेड़ भाड़े पर लिया है। कहा कि जिस तरह से खजूर पेड़ के किराए में बढ़ोत्तरी हुई है उस हिसाब से गुड़ की कीमत में वृद्धि नहीं हुई है।

इस साल ढेला गुड़ 100 रुपये प्रति किलो व झोल गुड़ सत्तर रुपये प्रति किलो बिक रहा है। कहा कि यहां तैयार गुड़ पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा व कोलकाता भेजा जाता है। इस वर्ष इस क्षेत्र में गुड़ बनाने के लिए तकरीबन 50 की संख्या में कारीगर आए हैं।

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