Jamshedpur News: छोटी कंपनियों की सुरक्षा मानकों में चूक, आफत में कर्मचारियों की जान, कई बार जाते-जाते बची कर्मचारियों की जान
Jamshedpur News आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में संचालित जिन कंपनियों में गैस व फर्नेस का उपयोग होता है। वहां अनिवार्य रूप से गैस डिटेक्टर का उपयोग होना है। इसके अलावा जहां फर्नेस है वहां जब कोल जलता है तो कार्बन मोनो आक्साइड निकलता है।
जमशेदपुर, जासं। आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में संचालित कंपनियों में जिस तरह से सेफ्टी में चूक के बाद आत्मघाती दुर्घटनाएं हो रही हैं। उससे न सिर्फ पूरे सिस्टम पर सवाल उठ रहा है बल्कि इस तरह की चूक से इन कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों की जान भी आफत में आ गई है।
कंपनियों में हो रही दुर्घटना पर सरकारी तंत्र पर भी उठ रहे हैं सवाल
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में संचालित जिन कंपनियों में गैस व फर्नेस का उपयोग होता है। वहां अनिवार्य रूप से गैस डिटेक्टर का उपयोग होना है। इसके अलावा जहां फर्नेस है, वहां जब कोल जलता है तो कार्बन मोनो आक्साइड निकलता है। ऐसे में कंपनियों को स्लैग ग्रेंवेलेशन प्लांट (एसजीपी) का निर्माण होना है। जिसमें चिमनी के टाप पर आग जलते रहता है जो पर्यावरण में सम्मिलित होने से पहले कार्बन मोनोआक्साइड को जला देता है। लेकिन कंपनियों में इस तरह की व्यवस्था है या नहीं, कंपनियां सेफ्टी मानकों का अनुपालन कितनी करती है, यह जांच का विषय है। क्योंकि सात अप्रैल को चांडिल स्थित वनराज स्टील में हुई दुर्घटना इसका प्रमाण है कि कहीं न कहीं सेफ्टी मानकों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण इस दुर्घटना में दो कर्मचारियों की मौत हो गई। बुधवार को चौका स्थित नरङ्क्षसह इस्पात और राउरकेला स्थित राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के ब्लास्ट फर्नेस-5 में हुई दुर्घटना भी इसका जीवंत प्रमाण है। फैक्ट्री एक्ट में यह प्रावधान है कि कंपनी छोटी हो या बड़ी, सेफ्टी अधिकारी की नियुक्ति जरूरी है। लेकिन कई ऐसी कंपनियां हैं, जहां सेफ्टी अधिकारी ही नहीं है। अगर कहीं है भी तो वहां सेफ्टी का ध्यान नहीं दिया जाता है।
सेफ्टी में चूक के बाद अब तक हुई दुर्घटनाएं
टाटा स्टील
15 नवंबर 2013 की दोपहर तीन बजकर 15 मिनट पर टाटा स्टील के एलडी-2 गैस होल्डर ब्लास्ट हो गया था। जिसकी आवाज लगभग चार किलोमीटर की परिधि में सुनाई दी थी। इस दुर्घटना में एक दर्जन से अधिक कर्मचारी घायल हो गए थे। जांच में यह बात सामने आई कि 55 मीटर व्यास व 80 हजार घनमीटर क्षमता वाले एलडी गैस होल्डर में मेंटेनेंस का काम चल रहा था लेकिन सेफ्टी में हुई चूक से गैस होल्डर का ऊपरी हिस्सा उड़ गया था। इस गैस होल्डर में कार्बन मोनो आक्साइड, कार्बन डाइ आक्साइड व नाइट्रोजन गैस स्टोर होता था। दुर्घटना के कारण गैस आपूर्ति लाइन में आग लग गई थी, जिसे घंटो मशक्कत के बाद बुझाया गया था।
टाटा मोटर्स
27 मई 2008 में टाटा मोटर्स के टेल्को कालोनी स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में एक दुर्घटना हुई। यहां पानी की सफाई में उपयोग किए जाने वाले पुराने क्लोरिन गैस सिलेंडर से अचानक रिसाव होने लगा। जिससे आसपास के रहने वाले कई स्थानीय निवासी प्रभावित हुए थे। इस मामले में झारखंड सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की शिकायत पर कंपनी के प्लांट मैनेजर व सेफ्टी आफिसर को गिरफ्तार कर कार्रवाई की गई थी।
वनराज स्टील
सात अप्रैल 2022 को चांडिल स्थित वनराज स्टील में कर्मचारी कीलन की सफाई कर रहे थे। यहां सेफ्टी में हुई चूक के कारण काम के दौरान काफी मात्रा में गर्म धुंआ, गैस व आग की ङ्क्षचगारी निकली। जिसमें सात कर्मचारी घायल हुए जिनमें से दो कर्मचारी गंभीर रूप से झुलसे। इस घटना में इलाज के दौरान दो कर्मचारियों की टीएमएच में मौत भी हो गई।
राउरकेला इस्पात संयंत्र
राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के ब्लास्ट फर्नेस-5 में मंगलवार रात हुए गैस रिसाव पर छह कर्मचारी घायल हो गए। प्रथम²ष्टता यह बात सामने आ रही है कि गैस रिसाव होने से सभी कर्मचारी अस्वस्थ हुए। हालांकि सभी को अस्पताल ले जाकर आक्सीजन देने के बाद छोड़ दिया गया। वहीं एक कर्मचारी जिन्हें उल्टी की शिकायत हो रही थी, उसे बुधवार को स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई। इस घटना से यह बात साबित हो चुकी है कि यदि प्लांट में गैस डिटेक्टर सेंसर होता तो इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता था।