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सिल्ली के पूर्व विधायक अमित पहुंचे उलिहातू, कहा मैं भी बिरसा

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी अर्जुन मुंडा सुदेश महतो मधु कोड़ा और बड़े भाई हेमंत सोरेन सभी ने झारखंड के साथ गद्दारी की है।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 21 Feb 2022 10:56 PM (IST)
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सिल्ली के पूर्व विधायक अमित पहुंचे उलिहातू, कहा मैं भी बिरसा

संवाद सूत्र, खूंटी : राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, सुदेश महतो, मधु कोड़ा और बड़े भाई हेमंत सोरेन सभी ने झारखंड के साथ गद्दारी की है। झारखंडियों के हित की रक्षा के लिए किसी न्र भी कारगर कदम नहीं उठाया। अब जबतक खतियानधारी झारखंडियों को उनका हक और अधिकार नहीं दिला देते हैं तबतक चुप नहीं बैठेंगे। उक्त बातें सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो ने कहीं। वे सोमवार को अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ मोटरसाईकिल जुलूस लिकालकर खूंटी जिला अंतर्गत अड़की प्रखंड में स्थित भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु पहुंचे थे। उलिहातु पहुंचने के बाद उन्होंने बिरसा मुंडा की आदमकद प्रतिमा के समक्ष उलगुलान का ऐलान किया।

सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो ने झामुमो से इस्तीफा देने के बाद सोमवार को धरती आबा बिरसा मुंडा के जन्मस्थल अड़की प्रखंड के उलिहातु पहुंचे। खतियानधारी साथियों के साथ लगभग तीन सौ मोटरसाइकिल की रैली निकालकर उलिहातु पहुंचने के बाद उन्होंने बिरसा मुंडा की आदमकद प्रतिमा में श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इसके साथ ही उन्होंने झारखंड में 1932 खतियान के लिए उलगुलान का बिगुल फूंका। धरती आबा की जन्मस्थली पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले भगवान बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम मुंडा और उनकी धर्मपत्नी का पांव छू कर आशीर्वाद लिया। मौके पर अमित महतो ने आम जनता और क्रांतिकारी साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि 1932 के खतियान को लेकर झारखंड सरकार को हमने 20 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया था। लेकिन दुर्भाग्यवश झारखंड की पार्टी कहलाने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा ने माटी का कर्ज अदा नहीं किया और 1932 खतियान आधारित स्थानीयता लागू करने की दिशा में कोई पहल नहीं की। ऐसे में पूर्व में मेरे द्वारा घोषित इस्तीफा मुझे और मेरी पत्नी सिल्ली की पूर्व विधायक सीमा महतो को देना पड़ा। अब वे पार्टी से बढ़कर माटी की लड़ाई के लिए आगे आए आए हैं। इस संघर्ष में सभी का साथ चाहिए। भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ में एलान-ए-जंग किया था। अब वे भी बिरसा हैं और उनके भी बिरसाइत हैं। झारखंड के मान सम्मान और यहां के खतियानधारियों की प्रतिष्ठा के लिए वे झारखंड के गद्दारों और झारखंडियों के विरोधियों के विरुद्ध जंग का ऐलान करते हैं।

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