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CM सोरेन के आवास के पास किसकी परमिशन से आए CRPF के जवान? JMM का आरोप- केंद्र सरकार का है किया धरा

मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन से शनिवार को ईडी के अधिकारियों ने सीएम आवास में पूछताछ की। इस दौरान सीएम आवास के पास सीआरपीएफ जवानों के आने पर अब सवाल उठ रहे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस संबंध में गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय से जानकारी मांगी है कि कैसे सीआरपीएफ के जवान प्रतिबंधित इलाके में आ गए और इसके लिए जवानों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।

By Jagran News Edited By: Arijita Sen Updated: Mon, 22 Jan 2024 08:40 AM (IST)
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मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन और सुप्रियो भट्आचार्या की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से शनिवार को ईडी की पूछताछ के दौरान सीएम आवास के समीप सीआरपीएफ के जवानों के आने का मामला तूल पकड़ रहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने इस संबंध में गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय से पूरी जानकारी मांगी है। पूछा गया है कि कैसे सीआरपीएफ के जवान प्रतिबंधित इलाके में आ गए और इसके लिए जवानों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।

जवान सीएम आवास में घुसना चाहते थे: झामुमो

उधर, इस संदर्भ में राज्य के पुलिस महानिदेशक ने सीआरपीएफ के अधिकारियों को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

पत्र में पूछा गया है कि किसकी अनुमति अथवा आग्रह पर सीआरपीएफ के जवान प्रतिबंधित इलाके में गए और उन्हें वहां जाने का आदेश किस स्तर पर दिया गया था।

बता दें कि शनिवार को जब ईडी के अधिकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके कांके रोड स्थित सरकारी आवास में पूछताछ कर रहे थे, उसी बीच कई बसों में भरकर सीआरपीएफ के जवान सीएम के पास आए थे।

सीआरपीएफ के जवानों ने सीएम हाउस के आसपास मोर्चा संभाला और थोड़ी देर बाद वापस चले गए। सत्तारूढ़ दल झामुमो ने भी आरोप लगाया है कि जवान मुख्यमंत्री आवास में घुसना चाहते थे।

झामुमो ने कहा, यह सोची-समझी साजिश, होगा आंदोलन

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय और सुप्रियो भट्टाचार्य ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि सीआरपीएफ का यह कृत्य एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें सीआरपीएफ के आइजी समेत अन्य वरीय अधिकारी शामिल थे।

शनिवार को मुख्यमंत्री से ईडी की पूछताछ के दौरान केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों के पक्षपातपूर्ण रवैये के विरुद्ध आम लोगों तथा झामुमो कार्यकर्ताओं द्वारा सीएम आवास के पास शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन किया जा रहा था।

सीआरपीएफ के जवान और अधिकारी चाहते थे कि प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं और जवानों के बीच मारपीट हो जाए और प्रदर्शनकारी उग्र होकर हमला कर दें, ताकि राज्य सरकार पर संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाकर राष्ट्रपति शासन की भूमिका तैयार की जा सके।

नियमत: सीआरपीएफ जिला प्रशासन के अनुरोध अथवा अनुमति के बिना विधि-व्यवस्था से संबंधित कोई कार्य नहीं कर सकती है। इससे स्पष्ट है कि सीआरपीएफ ने यह केंद्र सरकार के इशारे पर किया है। यह राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास और संघीय ढांचे पर कायराना हमला है।

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