13000 विद्या भारती के स्कूलों में मनाया जाएगा स्वतंत्रता दिवस समारोह, गूंजेगा ये गीत
आजादी की 75 वीं वर्षगांठ को धूमधाम से मनाने की तैयारी की गई है। इस उत्सव को मनाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समविचारी संगठन भी पीछे नहीं है। उनमें से एक संगठन विद्या भारती के भी सभी स्कूलों में वर्ष भर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
रांची,जासं।आजादी की 75 वीं वर्षगांठ को पूरे देश में धूमधाम से मनाने की तैयारी की गई है। इस उत्सव को मनाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समविचारी संगठन भी पीछे नहीं है। उनमें से एक संगठन विद्या भारती के भी सभी स्कूलों में वर्ष भर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके तहत पूरे देश में विद्या भारती के संचालित प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा के 13000 से अधिक विद्यालयों में नवयुग की नव गति नवलय,हम साथ होकर रहे निर्भय, मुक्त कंठ से दसों दिशा में गूंजे भारत मां की जय गीत गूंजेगा। इस गीत के माध्यम से बच्चों को यह बताया जाएगा कि जब हम परतंत्र थे तो कितना कष्ट था और आजादी प्राप्त करने में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कितने कष्ट सहे हैं। इसके साथ ही बच्चों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले शहीद बलिदानियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। विद्या भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीराम आरावकर ने कहा कि सभी स्कूलों में इसकी तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। सभी प्रांतों में इस गीत की लांचिंग भी 15 अगस्त के अवसर पर की जाएगी।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों को 1947 से लेकर के अब तक भारत ने विज्ञान, शिक्षा, सुरक्षा आदि क्षेत्रों में जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं। उसे भी बताया जाएगा। बच्चों को यह भी जानकारी दी जाएगी कि जिन विभूतियों ने अब तक पद्म पुरस्कार प्राप्त किए हैं उनकी विशेषता क्या है। परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले वीरों की जानकारी भी इन बच्चों को दी जाएगी। अब तक के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की उपलब्धियों के बारे में भी बच्चों को बताई जाएगी।
इसके साथ ही स्कूल के बच्चे संबंधित जिले में कृषि, सङक, बिजली, पानी, सिंचाई, स्वास्थ्य, उद्योग व व्यवसाय आदि के क्षेत्र में कितना विकास हुआ इसकी एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। उनहोंने कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने का प्रयास विद्या भारती कर रही है।
संबंधित गीत जो एक साथ सभी स्कूलों में गू़ंजेगा
नवयुग की नव गति नवलय हम ,
साध रहे होकर निर्भय।
मुक्तकंठ से दसों - दिशा में ,
गूँजे भारत माँ की जय।।
स्वतंत्रता का अमृत उत्सव ,
जनगणमन का पर्व महान।
याद आ रहे वीर सभी वे ,
हुए देशहित जो बलिदान।।
उनका कृतज्ञ वंदन करने का
महापर्व है यह निश्चय।।
मुक्तकंठ से दसों - दिशा में
गूँजे भारत माँ की जय।।
बड़ी विकट थी कालरात्रि वह
पराधीनता लदी हुई।
कितने कष्ट सहे माता ने
युग समान वे सदी गईं।।
पंद्रह अगस्त सन सैंतालिस
स्वातंत्र्य सूर्य था पुनः उदय।।
मुक्तकंठ से दसों - दिशा में
गूँजे भारत माँ की जय।।
सजग सपूत समर्थ बनें हम
कभी सूर्य यह अस्त न हो।
अमृत पुत्रों के रहते फिर
भारत माता त्रस्त न हो।।
यह स्वातंत्र्य फले और फूले
सदा रहे अमृत अक्षय।।
मुक्तकंठ से दसों - दिशा में
गूँजे भारत माँ की जय।।