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Jharkhand Teacher Promotion: 1993 नियमावली के तहत ही हो शिक्षकों की प्रोन्नति, झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

झारखंड हाई कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षकों की ग्रेड चार से ग्रेड सात (हेडमास्टर) में प्रोन्नति को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि प्रोन्नति 1993 की प्रोन्नति नियमावली के तहत होगी। कोर्ट ने कहा कि ग्रेड सात में प्रमोशन 1993 की प्रोन्नति नियमावली के तहत हो। कोर्ट ने आहर्ता रखने वाले शिक्षकों को ग्रेड सात में प्रोन्नति देने का आदेश दिया है।

By Manoj Singh Edited By: Mohit Tripathi Updated: Mon, 23 Sep 2024 08:35 PM (IST)
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शिक्षकों के ग्रेड चार से ग्रेड सात में प्रोन्नति का मामला।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में प्राथमिक शिक्षकों को ग्रेड चार से ग्रेड सात (हेडमास्टर) में प्रोन्नति देने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि ग्रेड सात में प्रोन्नति वर्ष 1993 में बनी प्रोन्नति नियमावली के तहत होगी। अदालत ने आहर्ता रखने वाले शिक्षकों को ग्रेड सात में प्रोन्नति देने का आदेश दिया है।

अदालत ने कमेटी की अनुशंसा पर अब तक सरकार की ओर से जारी पत्र और प्रोन्नति को लेकर बनी वरीयता सूची को निरस्त कर दिया है। इस संबंध में राकेश कुमार सिंह सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

सरकार ने प्रोन्नति नियमावली की शर्तों को किया शिथिल 

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अदालत को बताया कि कई शिक्षकों की वर्ष 2012 में ग्रेड चार पर सीधी भर्ती हुई है। इसी ग्रेड पर कई शिक्षक प्रोन्नति पाकर पहुंचे है। लेकिन सरकार ने वर्ष 1993 की प्रोन्नति नियमावली की कुछ शर्तों को शिथिल कर दिया है।

इसमें ग्रेड चार में पांच साल तक कार्य करने की अनिवार्यता थी। लेकिन प्रोन्नति के जरिए ग्रेड चार में आने वाले शिक्षकों के लिए इसे शिथिल कर दिया, जबकि सीधी भर्ती से आने वाले शिक्षकों को इसे बढ़ाकर दस साल कर दिया गया। इसकी वजह से सीधी भर्ती वाले शिक्षक प्रोन्नति की रेस से बाहर हो गए।

1993 की प्रोन्नति नियमावली से ही हो प्रोन्नति

अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या नियमावली में कोई संशोधन किया गया है? सरकार की ओर से कमेटी की अनुशंसा पर निर्णय लेने की बात कहते हुए नियमावली में संशोधन से इनकार किया गया।

अदालत ने कहा कि जब 1993 की प्रोन्नति नियमावली लागू है तो, इसी आधार पर प्रोन्नति होनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने सरकार की ओर से कमेटी की अनुशंसा के आधार पर जारी पत्र और प्रोन्नति के लिए बनी वरीयता सूची को निरस्त कर दिया।

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