Ranchi: राशन से जिंदा तो रहेंगे, लेकिन आगे नहीं बढ़ सकेंगे… CM सोरेन को सताई आदिवासियों की चिंता
Jharkhand News झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि आज अत्यंत संवेदनशील जनजातीय समुदाय (पीवीटीजी) विलुप्त होने के कगार पर हैं। यदि हाथ पर हाथ धरे रहे तो यह समूह क्या आने वाले दिनों में अन्य आदिवासी समुदायों के अस्तित्व पर भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। उन्होंने कहा सिर्फ राशन देने से सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती।
रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि आज अत्यंत संवेदनशील जनजातीय समुदाय (पीवीटीजी) विलुप्त होने के कगार पर हैं। यदि हाथ पर हाथ धरे रहे तो यह समूह क्या आनेवाले दिनों में अन्य आदिवासी समुदायों के अस्तित्व पर भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
राशन को लेकर बोले सीएम सोरेन
उन्होंने कहा कि अत्यंत संवेदनशील जनजातीय समुदाय सिर्फ सरकार के राशन से आगे नहीं बढ़ सकते। इस राशन से जिंदा तो रहा जा सकता है लेकिन अपना अस्तित्व नहीं बचाया जा सकता।
मुख्यमंत्री गुरुवार को डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान के सभागार में पीवीटी समुदाय के लिए निशुल्क आवासीय कोचिंग योजना के शुभारंभ के अवसर पर इस समुदाय के चयनित अभ्यर्थियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, सिर्फ राशन देने से सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। सरकार को उन संवेदनशील विषयों पर भी ध्यान लगाना पड़ता है, जहां लोग पिछड़ रहे हैं। राज्य सरकार इस ओर लगातार प्रयास कर रही है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने परंपरागत ढंग से नगाड़ा बजाकर इस योजना का शुभारंभ किया।
संघर्ष जारी है...
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे उनके बीच से ही हैं। चूंकि राजनीतिक दल से जुड़े हैं इसलिए उन्हें कई चुनौतियों से भी जूझना पड़ता है। इस बीच उन्होंने अपनी लड़ाई जारी रखी है। कहा, लड़ते रहेंगे, संघर्ष और मेहनत करते रहेंगे तभी जिंदा रह सकेंगे। गति भी बनाई रखनी होगी।
उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि संवेदनशील जनजातीय समुदाय के 156 बच्चों का चयन इस योजना के तहत हुआ है। कमाल यह है कि इनमें 63 छात्राएं हैं।
उन्होंने चयनित विद्यार्थियों से मेहनत और ईमानदारी से प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने की अपील करते हुए कहा कि वे प्रतियोगिता परीक्षा में सफल भी होंगे। फिर देखते हैं कि उनकी संख्या कैसे नहीं बढ़ती है। उन्होंने चार-पांच माह की कोचिंग में बीच में दोबारा आने का आश्वासन भी दिया।
आठ पीवीटी समुदाय की संख्या कम होने पर चिंता प्रकट की।
मुख्यमंत्री ने कहा, राज्य अलग होने के बाद कितने सपने पूरे हुए इसे आप बता नहीं सकते। लेकिन वर्तमान सरकार में आदिवासी, दलित विदेशों में पढ़ाई करेंगे इसे किसी ने सोचा तक नहीं था। स्कूल ऑफ एक्सीलेंस होंगे इसकी कल्पना नहीं की गई थी। इससे पहले, कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन ने आठ पीवीटी समुदाय की संख्या कम होने पर चिंता प्रकट की।
विभागीय सचिव राजीव अरुण एक्का ने कहा कि ये समुदाय विलुप्त हो रहे हैं तो इसमें कहीं न कहीं हमारी गलती है। हमें कारणों की पड़ताल कर उनके विकास के लिए काम करना होगा।
संस्थान के निदेशक रणेंद्र कुमार ने योजना तथा संस्थान की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। मौके पर मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव वंदना दादेल, सचिव विनय कुमार चौबे व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
पीवीटीजी के लिए निश्शुल्क आवासीय कोचिंग संचालित करनेवाला झारखंड पहला राज्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने पीवीटीजी को समाज के अन्य वर्गों के समकक्ष खड़ा करने के लिए इस तरह की योजना की शुरुआत की है। आगे इस तरह की कई योजनाएं और भी आएंगी और इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे।
जेएसएससी व एसएससी की कराई जाएगी निश्शुल्क तैयारी
इस योजना के तहत अत्यंत संवेदनशील जनजातीय (पीवीटी) समुदायों के 156 विद्यार्थियों को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग तथा कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं की तैयारी कराई जाएगी। चयनित विद्यार्थियों का निश्शुल्क आवासीय कोचिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसकी जिम्मेदारी डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान, रांची को दी गई है।
विद्यार्थियों के चयन के लिए अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे, जिनमें लगभग 373 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 156 अभ्यर्थियों का चयन दसवीं, 12वीं एवं स्नातक के प्राप्तांकों के आधार पर हुआ।
आवेदन की तिथि को 21 से 40 वर्ष के बीच किया गया निर्धारित
इसके लिए अभ्यर्थी की आयु आवेदन की तिथि को 21 से 40 वर्ष के बीच निर्धारित की गई थी। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग तथा कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं के लिए आवेदन भर चुके अभ्यर्थियों का ही इसमें चयन हुआ।
किस समुदाय से कितने विद्यार्थी चयनित- असुर: 33, बिरहोर: 03, बिरजिया : 27, कोरवा: 22, परहैया: 09, सबर: 01, माल पहाड़िया: 38, सौरिया पहाड़िया: 23