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Kanch Mandir Indore: बेल्जियम से मंगवाया रंगीन कांच, जयपुर और ईरान के कारीगरों ने तैयार किया खूबसूरत 'कांच मंदिर'

Kanch Mandir Indore इंदौर में स्थित कांच मंदिर अपने शीशे की सजावट के कारण सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। तीन मंजिला यह मंदिर 11 जुलाई को अपने निर्माण के 101 साल पूरे कर रहा है। शुरू में यह मंदिर केवल दर्शनार्थियों के लिए था।

By Babita KashyapEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2022 12:55 PM (IST)
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Kanch Mandir Indore: रंगीन कांच और चांदी की चमक वाला इंदौर का तीन मंजिला मंदिर

इंदौर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। इंदौर के प्रसिद्ध कपड़ा बाजार के बीच में बना मंदिर न केवल भगवान को मानने वालों को बल्कि कलात्मकता और अध्ययन, शोध की प्रशंसा करने वालों को भी आकर्षित करता है। शहर के इतवारिया बाजार में दुकानों के बीच राजस्थान की हवेली की याद दिलाने वाली यह इमारत बाहर से दिखने में अंदर से कई गुना ज्यादा खूबसूरत है। पूरे मंदिर में बनाई गई अद्भुत कलाकृतियों में जैन धर्म के विषय में बताया गया है। इसकी इमारत में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं है बल्कि चूने से पत्थर की जुड़ाई की गई है। इसका आर्किटेक्ट खुद सेठ हुकुमचंद ने किया था।

11 जुलाई को 101 साल पुराना हो जाएगा कांच मंदिर 

दिलवाड़ा का जैन मंदिर संगमरमर पर नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, वहीं इंदौर का यह मंदिर अपने शीशे की सजावट के कारण सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। बेल्जियम से लाए गए रंगीन कांच और इसके साथ चांदी की कारीगरी के साथ इस मंदिर को 'कांच मंदिर' के नाम से जाना जाता है। तीन मंजिला यह मंदिर 11 जुलाई को अपने निर्माण के 101 साल पूरे कर रहा है।

भगवान शांतिनाथ को समर्पित इस जैन मंदिर का निर्माण शहर के सेठ हुकमचंद, कस्तूरचंद और त्रिलोकचंद्र कासलीवाल ने होलकर शासनकाल में करवाया था। इस मंदिर की नींव 1912 में रखी गई थी और मंदिर का काम 1921 में पूरा हुआ था। मंदिर के संचालन और रखरखाव को लेकर उस समय जो व्यवस्था लागू की गई थी, वह अब तक जारी है। मंदिर के साथ-साथ शांतिनाथ दिगंबर जैन धर्मशाला (हुकुमचंद धर्मशाला) और दुकानों का निर्माण किया गया ताकि इससे होने वाली आय से मंदिर का रखरखाव हो सके।

रंगीन कांच और चांदी की चमक

न केवल दीवारें बल्कि मंदिर में छत और फर्श को भी शीशे से सजाया गया है। कांच के पीछे चांदी की परत लगाकर इसकी पारदर्शिता को रोका गया। इस मंदिर का निर्माण जयपुर और ईरान के कारीगरों को बुलाकर किया गया था। इसे करीब ढाई सौ कारीगरों ने मिलकर बनाया था। किंवदंतियों को कांच के साथ भी चित्रित किया गया था, इसलिए कांच को गर्भगृह में इस तरह रखा गया था कि 24 मूर्तियां जो वेदी पर रखी गई मूर्तियों के प्रतिबिंब के रूप में दिखाई देती हैं।

तीन मंजिला कांच मंदिर की खासियत

कांच मंदिर सांस्कृतिक कार्यक्रम के संयोजक प्रिंसपाल तोंग्या के अनुसार शुरू में यह मंदिर केवल दर्शनार्थियों के लिए था लेकिन बाद में इसे पर्यटकों के लिए भी खोल दिया गया। फिलहाल पर्यटक इसे सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक देख सकते हैं। इस तीन मंजिला मंदिर की पहली मंजिल पर भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं और ऊपरी मंजिल में सरस्वती भंडार बनाया गया है जहां हस्तलिखित पांडुलिपियों सहित 417 ग्रंथों का संग्रह है। जबकि तहखाने का उपयोग भंडारण और संग्रहण के लिए किया जाता है।

महावीर जयंती पर निकला जाता है सोने का रथ

मंदिर में एक सोने का रथ भी बनवाया गया है, जो महावीर जयंती के खास अवसर पर निकाला जाता है। इस मंदिर को देखने आने वाले सैलानियों और दर्शनार्थियों के लिए कलाकृति हैरान कर देने वाली है। मंदिर के अंदर आने आने वाले लोग इसकी खूबसूरती को निहारते रह जाते हैं।

मंदिर निर्माण के लिए छोड़ा था घी

मध्य प्रदेश के महावीर ट्रस्ट के महासचिव बाहुबली पंड्या का कहना है कि करीब पांच हजार वर्ग फुट में बने इस मंदिर के निर्माण में उस समय करीब पांच लाख रुपये खर्च किए गए थे। यह मंदिर जितना खूबसूरत है, इसके निर्माण की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के समय बेल्जियम से कांच आने में समय लग रहा था और इस कारण मंदिर का काम बंद हो गया था। तब तीनों सेठों ने प्रण लिया था कि जब तक मंदिर का काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक तीनों परिवार घी का सेवन नहीं करेंगे।