Diwali 2023: इन चार मुख्य कारणों से मनाई जाती है दिवाली, यहां से पढ़ें महत्वपूर्ण तथ्य
Diwali 2023 दीपावली हमारे देश के साथ ही विदेश में भी बड़े ही धूम धाम से सेलिब्रेट किया जाता है। अक्सर लोगों में यह सवाल रहता है कि दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे बहुत से कथाएं प्रचलित हैं। इन सबकी जानकारी आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं जिससे आप इसे मनाये जाने के पीछे के तथ्यों को जान सकते हैं।
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। Diwali 2023: दीपावली का त्यौहार आज, 12 नवंबर 2023 को है। हर जगह दिवाली को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। यह त्यौहार एक बच्चों से लेकर युवा एवं बुजुर्गों तक में एक नया जुनून लेकर आता है। भारत के विभिन्न प्रदेशों में इस त्यौहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस त्यौहार को किन कारणों के चलते मनाया जाता है। पौराणिक काल से इस त्यौहार को मनाने के पीछे अलग-अलग तथ्य और कारण बताएं गए हैं जिनकी जानकारी आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
भगवान राम का वनवास खत्म करके अयोध्या लौटना
भगवान राम ने 14 वर्षों का वनवास किया था। वनवास के अंतिम वर्ष में रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था जिसके बाद राम और रावण के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में भगवान राम ने रावण और उसकी सेना का सर्वनाश करके सीता को छुड़ाया और उसके बाद वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे। राम के अयोध्या लौटने के चलते पुरे राज्य में दीप जलाये गए और इसे धूम धाम से मनाया गया। तभी से इस त्यौहार को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
श्री कृष्ण ने किया नरकासुर का वध
ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। उसका वध करने के लिए उन्होंने सत्यभामा की सहायता भी ली थी क्योंकि नरकासुर को मिले वरदान के अनुसार उसे केवल स्त्री ही मार सकती थी। नरकासुर का वध होने पर प्रजा ने पुरे राज्य को दीपों से सजाया था और इसी के चलते प्रतिवर्ष दिवाली मनाये जाने का तथ्य मिलता है।
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पांडवों की हुई थी घर वापसी
ऐसा भी माना जाता है कि पांडवों के वनवास खत्म करने के बाद जब वे वापस राज्य में आये तो पूरी प्रजा ने उनका स्वागत दीपोत्सव करके मनाया था। तभी से इस दिन को दिवाली के रूप में मनाया जाने लगा।
लक्ष्मी जी को मिली राजा बलि से मुक्ति
दिवाली का त्यौहार मनाये जाने के पीछे एक यह भी तथ्य है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को राजा बलि के चंगुल से मुक्ति दिलवाई थी उसके बाद से ही इस त्यौहार को मनाया जाने लगा।