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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam)

DR. APJ Abdul Kalam Biography एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा है। कलाम साहब हमेशा सीखने की कला को महत्व देते थे। वह बचपन में अखबार बेचते थे क्योंकि उनके परिवार के पास ज्यादा पैसे नहीं थे और न ही उनके पिता जैनुलाब्दीन ज्यादा पढ़े लिखे थे।

By Devshanker ChovdharyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 27 Jul 2023 01:20 PM (IST)
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राजनीतिक गलियारों में पीपल्स प्रेसिडेंट के तौर पर जाने गए एपीजे अब्दुल कलाम।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। DR. APJ Abdul Kalam Biography: डॉ अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, बच्चों के लिए अंकल कलाम तो बड़ों के लिए कलाम साहब। कलाम साहब को साइंस की दुनिया में मिसाइल मैन का नाम मिला था, तो राजनीतिक गलियारों में उनकी पहचान पीपल्स प्रेसिडेंट के तौर पर बनीं। कलाम साहब की पूरी जिंदगी किसी ऊर्जा के समान है, जिन्होंने अखबार बेचने से लेकर भारत के पहले नागरिक बनने तक का सफर तय किया।

कौन थे एपीजे अब्दुल कलाम?

एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा है। कलाम साहब हमेशा सीखने की कला को महत्व देते थे। वह बचपन में अखबार बेचते थे, क्योंकि उनके परिवार के पास ज्यादा पैसे नहीं थे और न ही उनके पिता जैनुलाब्दीन ज्यादा पढ़े लिखे थे। कलाम साहब पांच भाई-बहन थे।

एपीजे अब्दुल कलाम की प्रारंभिक जीवन

कलाम साहब ने पांच साल की उम्र में पढ़ना शुरू कर दिया था। उन्होंने रामेश्वरम से शुरुआती शिक्षा प्राप्त की। कलाम साहब को उड़ना पसंद था, जैसे खुले आसमान में चिड़ियां उड़ती हैं और उड़ते हुए चिड़ियां को देखकर ही कलाम साहब ने तय किया कि उन्हें विमान विज्ञान के क्षेत्र में जाना है। उनका चाहत पायलट बनने की थी, लेकिन ईश्वर ने उनके लिए कुछ और ही रच रखा था।

इसरो में कलाम साहब की एंट्री

एपीजे अब्दुल कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश लिया, जहां उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम किया। इसके बाद वह 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में आये, इसरो में कलाम साहब ने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई।

एपीजे अब्दुल कलाम को क्यों कहा गया मिसाइल मैन?

इसरो में एपीजे अब्दुल कलाम ने परियोजना निदेशक के तौर पर भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस यान से भारत ने रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था। इस मिसाइल को बनाने में उन्होंने कड़ी मेहनत की थी, जिस वजह से उन्हें मिसाइल मैन कहा गया। इसके बाद, कलाम साहब ने देश को कई सारे मिसाइल दिए।

पोखरण से भारत ने दुनिया को दिया था संदेश

एपीजे अब्दुल कलाम जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार बने। कलाम साहब के नेतृत्व में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और इससे पूरी दुनिया को महाशक्ति बनने का एहसास दिलाया। इस मिशन में कलाम साहब ने अभूतपूर्व योगदान दिया था।

कलाम साहब का राजनीतिक सफर

एपीजे अब्दुल कलाम 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति बनने के बाद भी कलाम साहब के स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया और इसी के बदौलत उन्हें जनता के राष्ट्रपति की उपाधि मिलीं। कलाम साहब ने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे जनता के लिए खोल दिए। ऐसे कई किस्से हैं, जब राष्ट्रपति भवन में उनके साथ कोई आम इंसान या किसान खाना खा रहे होते, तो कभी पुलिस वालों से वे बात कर रहे होते। कलाम साहब 2007 तक राष्ट्रपति रहे।

राष्ट्रपति के पद से मुक्त होने के बाद एपीजे अब्दुल कलाम ने देश के विभिन्न कॉलेज-संस्थानों में काम किया। उन्होंने लोगों के बीच रहना पसंद किया। वह हमेशा देश के नागरिकों से मिलते थे। कलाम साहब ने कई पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पुस्तकें लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुईं। कलाम साहब का सपना 2020 तक भारत को शक्तिशाली और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना था।

एपीजे अब्दुल कलाम को मिले मुख्य पुरस्कार

कलाम साहब के 79 वें जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्हें भारत सहित दुनियाभर के देशों ने कई पुरस्कारों से नवाजा है। भारत सरकार ने उन्हें 1997 में भारत रत्न, 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

वर्ष पुरस्कार प्रदाता
2014 डॉक्टर ऑफ़ साइन्स एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन
1998 वीर सावरकर पुरस्कार भारत सरकार
1997 भारत रत्न भारत सरकार
1990 पद्म विभूषण भारत सरकार
1981 पद्म भूषण भारत सरकार

एपीजे अब्दुल कलाम का निधन

एपीजे अब्दुल कलाम का 27 जुलाई 2015 की शाम को निधन हुआ था। वह भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक कार्यक्रम में लेक्चर दे रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह बेहोश होकर गिर पड़े। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन दो घंटे बाद ही उनका निधन हो गया और इस तरह 27 जुलाई यानी कि आज ही के दिन कलाम साहब ने 84 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा था।