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गोवा पहुंचे बिलावल भुट्टो, उनकी चार पीढ़ियों की कहानी; नाना बोले थे- भारत से 1000 सालों तक करेंगे लड़ाई

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो आज भारत पहुंचे हैं। बता दें कि गोवा में SCO समिट हो रही है जिसमें शामिल होने के लिए विदेश मत्री बिलावल भुट्टो गोवा पहुंचे हैं। आइए इस खबर के माध्यम से जानते हैं कि भुट्टो परिवार का भारत से क्या कनेक्शन रहा है।

By Versha SinghEdited By: Versha SinghUpdated: Fri, 05 May 2023 07:27 AM (IST)
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बिलावल भुट्टो आज आएंगे भारत, लेंगे गोवा में SCO बैठक में भाग
नई दिल्ली। 12 साल बाद पाकिस्तान से कोई विदेश मंत्री भारत पहुंचे हैं। बता दें कि हिना रब्बानी खार (Heena Rabbani Khar) साल 2011 में भारत आई थीं और वहीं अब SCO की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) गोवा (Goa) पहुंचे हैं।

बिलावल भुट्टो 4-5 मई को होने वाली SCO मीटिंग (SCO Meeting In Goa) के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ भी द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

आज गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर जानकारी साझा की है। रूस-चीन के विदेश मंत्री इससे पहले मार्च में G20 की एक मीटिंग के लिए भारत आए थे।

गौरतलब है कि, खुद बिलावल भुट्टो पाकिस्तान के विदेश मंत्री और भुट्टो परिवार के वारिस हैं। वही भुट्टो परिवार, जिसका भारत से 4 पीढ़ी पुराना नाता है।

दरअसल भुट्टो परिवार ने पाकिस्तान की सियासत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1967 में बनी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) का नेतृत्व इसी परिवार के पास रहा है। बिलावल भुट्टो इस परिवार की चौथी पीढ़ी हैं।

मामा शाहनवाज भुट्टो

बिलावल भुट्टो के मामा शाहनवाज भुट्टो का इतिहास जूनागढ़ की रियासत से जुड़ा है। वो ब्रिटिश भारत के सिंध क्षेत्र (लरकाना) के बहुत बड़े जमींदार हुआ करते थे। शाहनवाज भुट्टों के पास लाखों एकड़ जमीन भी थी। सिंध का इलाका उस समय बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था। बॉम्बे प्रेसिडेंसी बनवाने में भी शाहनवाज भुट्टो का बड़ा योगदान था।

शाहनवाज भुट्टो ने 1931 में सिंध को बंबई प्रांत से अलग करने की मांग करते हुए सिंधी मुसलमानों के नेता के रूप में गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था। जिसके बाद 1935 में उनकी ये मांग मान ली गई थी। 1937 के प्रांतीय चुनावों में वो जिस पार्टी से चुनाव लड़े, उसका बाद में मुस्लिम लीग में विलय हो गया। इसी बीच वह एक मुस्लिम नेता के तौर पर स्थापित हो गए और साल 1947 आते-आते वह जूनागढ़ रियासत से जुड़ गए।

1947 के शुरुआती महीनों में शाहनवाज जूनागढ़ के नवाब मुहम्मद महाबत खान III के दीवान (प्रधानमंत्री) बन गए थे। 15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने पाकिस्तान में जाने का ऐलान कर दिया। कहा जाता है कि नवाब को पाकिस्तान में विलय का आइडिया शाहनवाज भुट्टो ने ही दिया था।

नाना जुल्फिकार अली भुट्टो (Zulfikar Ali Bhutto)

बात करें जुल्फिकार अली भुट्टो (Zulfikar Ali Bhutto) की जुल्फिकार ब्रिटिश भारत में ही पले-बड़े थे। 1942 के आस-पास मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही वह भारत विभाजन की राजनीति करने वाले संगठनों के आंदोलनों में शामिल हो गए थे। जिसके बाद उन्हें आगे की पढ़ाई करने के लिए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय भेज दिया गया था। जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और जब वो विदेश से अपने देश वापस लौट कर आए तो देश का बंटवारा हो चुका था।

1957 में देश लौटते ही जुल्फिकार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल में सदस्य बने थे। वो लगातार राजनीति में बहुत सक्रिय रहे और भारत विरोधी गतिविधियों में भी लगे रहे। जुल्फिकार ने विदेश मंत्री रहते हुए 1965 में ऑपरेशन जिब्राल्टर (operation gibraltar) चलवाया। जिसमें जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से प्रशिक्षित करके आतंकी भेजे गए थे जो बाद में पकड़े गए। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत यहीं से हुई थी।

इस युद्ध में सीजफायर का ऐलान हुआ था और फिर 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच ताशकंद में समझौता हुआ था। अयूब खान के समझौते का जुल्फिकार अली ने पूरे दमखम से विरोध भी किया था।

इस विरोध के बाद ही वह पाकिस्तान में और अधिक मशहूर हो गए थे। 1967 में उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया जिसकी आलोचना आज तक होती है। 1967 में एक रैली में उन्होंने कहा था कि ‘हम भारत से एक हजार साल तक जंग लड़ेंगे।

जुल्फिकार ने फाड़े थे सीजफायर के समझौते के कागज

साल 1971 में बांग्लादेश बनने वाले दिन जुल्फिकार अली भुट्टो अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने वहां सीजफायर के समझौते के कागज को फाड़ दिया और इसका विरोध किया और वह बैठक से उठकर चले गए। उनके इस तेवर को भी पाकिस्तान में खूब सराहा गया था।

इसके बाद ही जुल्फी अलीकार भुट्टो पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने थे और 1972 में भारत आए थे। भारत आकर उन्होंने तत्कालीन PM इंदिरा गांधी के साथ शिमला समझौते पर साइन भी किया था। इस समझौता के अनुसार कश्मीर का मसला दोनों देश आपस में बातचीत करके हल करेंगे।

बता दें कि जुल्फिकार अक्सर अपने बयानों से पलटते रहते थे। शिमला में समझौता करके लौटते ही उन्होंने पाकिस्तान में सबसे पहले यही बयान दिया कि कश्मीर के मामले में पाकिस्तान ने अपनी नीति में कोई समझौता नहीं किया है।

साल 1974 में 2 साल बाद जब भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था तो जुल्फिकार भुट्टो तब पाकिस्तान के PM थे। उन्होंने वहां इससे आहत होकर कहा कि अब ये इलाका असुरक्षित हो गया है और हम घास खा लेंगे, लेकिन परमाणु बम जरूर बनाएंगे।

कुछ ही सालों बाद पाकिस्तान की राजनीति में सेना का हस्तक्षेप बढ़ने लगा और सेना प्रमुख जिया उल हक की तानाशाही के बीच 1979 में जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दे दी गई थी।

मां बेनजीर भुट्टो (Benazir Bhutto)

अगर बात करें बिलावल भुट्टो (benazir bhutto) की मां की तो उनकी मां बेनजीर 2 बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं हैं और कश्मीर को लेकर हमेशा से मुखरता से अपना पक्ष रखती रही हैं। भारत को लेकर उनका रुख बहुत विरोध का तो नहीं रहा, लेकिन यह भी नहीं कहा जा सकता कि उनके मन में भारत के लिए प्रेम था।

वो कई सार्वजनिक मौकों पर कहती थीं कि उनके तीन आदर्श हैं, उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो, फ्रांस की राष्ट्रवादी संत जॉन ऑफ ऑर्क और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi)। पूरब की बेटी के नाम से जानी जाने वाली बेनजीर किसी भी मुस्लिम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं।

पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद बेनजीर भुट्टो ने कश्मीर को लेकर भी कई बयान दिए थे। साल 1990 में बेनजीर भुट्टो ने कश्मीर के राज्यपाल पर टिप्पणी की थी।

जिसके बाद उन्हें अपने इस भाषण का काफी लाभ हुआ और वो दोबारा सरकार में आ गईं थी। चुनावी माहौल के बीच उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर में भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कश्मीर के लोगों को मौत का डर नहीं है क्योंकि वे मुसलमान हैं। कश्मीरियों में मुजाहिदीन का खून है। कश्मीर के लोग वकार (इज्जत) के साथ जिंदगी जीते हैं, जल्दी ही हर गांव से एक ही आवाज निकलेगी- आजादी। हर स्कूल से एक ही आवाज निकलेगी- आजादी। हर बच्चा चिल्लाएगा- आजादी, आजादी, आजादी।

इसके बाद उन्होंने हाथ का जो इशारा किया वो कश्मीर में आतंकियों को उकसाने वाला था। उन्होंने तत्कालीन कश्मीरी गवर्नर जगमोहन मल्होत्रा को संबोधित करते हुए दाहिने हाथ की खुली हथेली से बाएं हाथ की मुट्ठी को टकराते हुए कहा था ‘जग, जग, मो-मो, हन-हन’। यह सब कुछ इतना आक्रामक था कि 1990 में ये सब कुछ टीवी पर टेलिकास्ट होने से रोक दिया गया था।

साल 2007 में एक आत्मघाती बम धमाके में आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी थी।

बिलावल भुट्टो (Bilaval Bhutto)

भुट्टों परिवार के चौंथी पीढ़ी के वारिस बिलावल भुट्टो (bilaval Bhutto) साल 2007 से पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (Pakistan People's Party) के चेयरमैन हैं और फिलहाल पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी हैं। साल 2012 में ऑक्सफोर्ड से BA कर लौटे बिलावल कुछ साल राजनीति में सक्रिय रहे। अगस्त 2018 के आम चुनावों में उनकी पार्टी PPP ने 43 सीटें जीती थीं और बिलावल भुट्टों पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य बने थे।

इमरान खान के तख्तापलट के बाद बिलावल को अप्रैल 2022 में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और वो पाकिस्तान के सबसे कम उम्र के विदेश मंत्री बने हैं। बिलावल भुट्टो ने दिसंबर 2022 में PM मोदी पर टिप्पणी की थी।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा था कि ओसामा बिन लादेन मर चुका है पर 'बुचर ऑफ गुजरात' जिंदा है और वो भारत का प्रधानमंत्री है। जब तक वो प्रधानमंत्री नहीं बना था तब तक उसके अमेरिका आने पर पाबंदी थी। बिलावल भुट्टो के इस भाषण के उनकी कड़ी आलोचना हुई थी और भारत ने भी इस पर कड़ा विरोध जताया था।

क्या बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच सुधरेंगे रिश्ते?

बता दें कि इस समय पाकिस्तान आर्थिक तंगी और अन्य दिक्कतों से जूझ रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट और आतंरिक राजनीतिक कलह से जूझ रहा है। ऐसे में कुछ भी कहना संभव नहीं है। हालांकि दोनों देशों के बीच में द्विपक्षीय वार्ता होनी है। 

भारत ने भेजा पाकिस्तान को आमंत्रण

जैसा कि सभी को पता है कि भारत इस समय शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (Shanghai Cooperation Organization) का अध्यक्ष है। भारत ने सभी सदस्य देशों को आमंत्रण भेजा है। इस आमंत्रण में पाकिस्तान भी शामिल है। 

वहीं, जब से पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टों की भारत यात्रा की घोषणा हुई थी तब से ही कयास लगाए जा रहे थे कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी?

पाकिस्तान के विदेश मंत्री का भारत दौरे पर काफी अहम माना जा रहा है। पूरे 12 साल बाद आखिरकार पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत आ रहा है। भुट्टो से पहले 2011 में हिना रब्बानी खार भारत दौरे पर आई थीं। उन्होंने उस समय तब के भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मुलाकात की थी।

बता दें कि बिलावल भुट्टो से पहले उनके खानदान के 3 व्यक्ति भारत के दौरे पर आ चुके हैं। 1972 में बिलावल भुट्टो के नाना और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो भी भारत के दौरे पर आए थे।

डिस्क्लेमर : इस खबर में प्रयुक्त एक ग्राफिक में भूलवश बिलावल भुट्टो के मामा को नाना लिख दिया गया था। इस त्रुटि को सुधार दिया गया है। जागरण अपने पाठकों को सच्ची एवं पुष्ट खबरें देने के लिए प्रतिबद्ध है। आपको हुई असुविधा के लिए खेद है।