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शिवाजी सिर्फ नाम नहीं, वीरता और आस्था के प्रतीक, वंशज बोले- आज भी महाराष्ट्र का हर बच्चा उनकी प्रेरणा लेकर बड़ा होता है

महाराष्ट्र में जल्द ही विधानसभा चुनाव तारीखों की घोषणा होनी है। इस बार का चुनाव कई मायनों में अलग और गर्माहट वाला होगा। यहां की राज और नीति दोनों छत्रपति शिवाजी महाराज के सहारे ही चलती है इनके नाम से हर राजनीतिक पार्टी वोट मांगने जाती है। शिवाजी के वशंज और इतिहासकारों से जाना कि क्यों आज भी हर महाराष्ट्रवासियों के लिए शिवाजी एक आस्था और प्रेरणा के केंद्र हैं।

By Sandeep Rajwade Edited By: Sandeep Rajwade Updated: Sat, 21 Sep 2024 07:59 AM (IST)
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महाराष्ट्र की राजनीति शिवाजी के बिना न कभी थी न कभी होगी

संदीप राजवाड़े, नई दिल्ली।

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने को लेकर पूरे राज्य की राजनीति गरमाई हुई है। प्रतिमा का गिरना वहां के हर व्यक्ति की आस्था पर एक ठेस की तरह है। कुछ दिनों में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है, ऐसे में इस घटना ने वहां हर दल को एक मुद्दा दे दिया है। वहां के सीएम और देश के प्रधानमंत्री तक को इस घटना को लेकर माफी मांगनी पड़ी। महाराष्ट्र के हर व्यक्ति के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज एक नाम ही नहीं बल्कि वीरता, समानता, प्रेरणा के साथ आस्था के केंद्र हैं। स्वराज स्थापना से लेकर आज तक महाराष्ट्र की राजनीति शिवाजी के नाम से ही आगे बढ़ रही है। उनकी वीरता और कभी हार न मानने की जिद आज भी लोगों को प्रेरित करती है। इतिहासकारों व उनके वशंजों का कहना है कि शिवाजी की वीरता की गाथा सुनाकर लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए तैयार किया गया। महाराष्ट्र की राजनीति शिवाजी के बिना न कभी थी न कभी होगी। महाराष्ट्र के लोगों के लिए छत्रपति शिवाजी आस्था का केंद्र हैं, उनसे उनका भावनात्मक लगाव है। आज इस लेख में शिवाजी महाराज से पहले के महाराष्ट्र से लेकर वर्तमान तक के महाराष्ट्र को जानेंगे।

शिवाजी महाराज के वशंज भी राजनीति में, एक कांग्रेस तो दूसरे भाजपा से सांसद

छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशजों की दो गद्दियां हैं। पहली गद्दी सतारा की है, जिस पर शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र छत्रपति संभाजीराजे के 13वें वंशज छत्रपति उदयनराजे भोसले विराजमान हैं। वे वर्तमान में सतारा से सांसद हैं। दूसरी गद्दी कोल्हापुर (करवीर) की है, जहां शिवाजी महाराज के दूसरे बेटे राजाराम के 12वें वंशज श्रीमंत शाहू शाहजी महाराज छत्रपति हैं। वे वर्तमान में कोल्हापुर से सासंद हैं। शाहू शाहजी छत्रपति ने मराठी जागरण से बातचीत में बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने लोगों को स्वतंत्रता का मंत्र देकर लड़ने की प्रेरणा दी। आज भी महाराष्ट्र का हर बच्चा उनकी प्रेरणा लेकर बड़ा होता है। वे महाराष्ट्र के पंचप्राण हैं और हमेशा रहेंगे।

किसानों के राजा थे शिवाजी महाराज, आज भी उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं लोगः इतिहासकार इंद्रजीत

शिवाजी पर 14 किताबें लिख चुके और उनके परिवार से जुड़े कोल्हापुर के इतिहासकार इंद्रजीत सावंत का कहना है कि शिवाजी महाराज किसानों के राजा थे। उन्होंने कृषि और किसानों के कल्याण के लिए बहुत कुछ किया था। पिछड़े वर्ग के लिए उन्होंने हमेशा काम किया। उन्होंने किसान, कृषि और महिला सम्मान में बहुत योगदान दिया। उस क्षेत्र में पहले वतनदार (महाराष्ट्र में उस दौरान भू-स्वामियों को यह उपाधि दी जाती थी), उनके अधीन किसान काम करते थे। वतनदारों का राज था। शिवाजी ने वतनदारों का सिस्टम खत्म कर राजा और किसानों के बीच जुड़ने का काम किया। उनकी राजसत्ता का जुड़ाव सीधे किसानों से हो गया। इससे लोग उनसे जुड़ने लगे। शिवाजी और आम लोगों के बीच कोई नहीं था, उनके बीच सीधा संवाद था। इसलिए महाराष्ट्र के लोगों को उस दौरान और अभी भी लगता है कि यह लगाव उसके कारण ही है। इस आत्मीयता के कारण आज शिवाजी महाराष्ट्र के लोगों के लिए देवतुल्य हैं। शिवाजी ने लोगों के अंदर यह प्रेरणा दी कि हम सब यहां के निवासी हैं, भूमिपुत्र हैं, यहां राज करने के लिए सक्षम हैं और जो बाहरी लोग आए हैं, उनका राज यहां नहीं चलेगा। इसी भावना से स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ी गई। इसलिए उन्होंने अपने राज्य को स्वराज्य बोला.. उन्होंने भोसले का राज्य नहीं बोला। इसी भावना से हम चलेंगे तो वर्तमान के लिए अच्छा रहेगा।

इतिहासकार इंद्रजीत बताते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति शिवाजी महाराज के बिना कभी नहीं चल सकती है। शिवसेना पार्टी बाला साहेब ठाकरे जी ने उनके नाम से ही खड़ी की थी। उनका नाम ही लोगों को आकर्षित करता था, उससे लोग अपना जुड़ाव मानते थे। लोगों को शिवाजी नाम से जुड़ाव है। कोई भी पार्टी हो, शिवाजी के नाम के बिना महाराष्ट्र में नहीं चल सकती है। लोगों के मन व आस्था में शिवाजी जुड़े हुए हैं।

सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि लोगों की सोच, विचार और प्रेरणा हैं, महाराष्ट्र में राजनीति उनके सहारे हीः इतिहासकार प्रशांत

मुंबई इतिहास संकलन समिति के कोकण प्रांत सहसचिव प्रशांत रावदेव ने बताया कि छत्रपति शिवाजी सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि महाराष्ट्र के लोगों के लिए एक सोच, विचार और प्रेरणा हैं। कई सौ साल पहले किए गए उनके कार्य व वीरता की लड़ाई आज भी लोगों को प्रेरित करती है। इनके बिना महाराष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इतिहास की कई घटनाएं हैं, जिनमें बताया गया है कि शिवाजी महाराज ने सिर्फ स्वराज्य की स्थापना को अपने राज्य तक ही नहीं बल्कि पूरे देश तक फैलाया। अपने राज्य में अपने लोगों का राज होना चाहिए, कोई बाहरी यहां राज नहीं कर सकता है, इस विचार को लेकर उन्होंने लोगों को किसी के आगे न झुकने के लिए प्रेरित किया और लड़ने का बल दिया। कई घटनाओं में उनकी वीरता की मिसाल देखने को मिलती है। इससे आज भी लोग अपना जुड़ाव मानते हैं। उनके लिए शिवाजी मतलब भगवान हैं। वे भावुक रूप से उनसे जुड़े हुए हैं, उनको लेकर एक आस्था है। वर्तमान में अगर बात करें तो महाराष्ट्र की राजनीति हो या अन्य कोई मामला, शिवाजी के विचार और नाम को लेकर ही चलती है। अब उसका पालन कितना राजनीतिक पार्टियों द्वारा किया जाता है, यह अलग बात है।

देश की आजादी के आंदोलन में शिवाजी प्रेरणा बने

- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व भी मराठों ने किया था। 1857 के बाद महाराष्ट्र में उमाजी नाईक ने अंग्रेजों के खिलाफ बड़ा विद्रोह किया। वो मातंग समाज के थे और खुद को शिवाजी महाराज का सैनिक कहते थे। इनके बाद क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फडके, इन्होंने भी रामोसी समाज को साथ में लेकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। ये भी शिवाजी महाराज को अपना आदर्श मानते थे। इनके बाद लोकमान्य तिलक जी ने शिवाजी जयंती मनाना शुरू किया। लोगों को इकट्ठा करने के लिए तिलक जी ने यह उत्सव शुरू किया। इसके बाद वीर सावरकर ने शिवाजी महाराज की आरती लिखी, वो भी शिवाजी महाराज को अपना आदर्श मानते थे।

- शिवाजी महाराज का राज छोटा था, लेकिन उनका ध्यान पूरे देश पर था। उन्होंने असम के बरफुकन, नेपाल नरेश, राजपूतों, जाटों को खत लिखा था और पूरे हिंदुस्तान को मुगलों से मुक्त कराने के लिए इकट्ठा होने को कहा था।

- स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जैसे राम कथा का आयोजन किया जाता है। वैसे ही शिवचरित्र कथा का आयोजन होना चाहिए। सुभाष चंद्र बोस एक बार महाराष्ट्र आए। उन्होंने बंगाल जाकर कहा कि इतने महान इंसान के बारे में बांग्ला में क्यों अब तक कुछ नहीं लिखा गया है। हमें कुछ लिखना चाहिए और फिर रवींद्रनाथ टैगोर जी ने शिवाजी महाराज के ऊपर काव्य लिखा।

- शिवाजी महाराज को बहुत लोग सेक्युलर कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं था। उनके राज में मस्जिद या चर्च को अनुदान नहीं दिया जाता था। उन्होंने सेनापति नेतोजी पालकर को हिंदू धर्म में वापस लाया था। गोवा के सप्तकोटेश्वर मंदिर को पुनर्स्थापित किया। इस मंदिर को आदिल शाह और बाद में पुर्तगालियों ने गिराया था। तमिलनाडु के समोत्तर पेरूमल भगवान के दो मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाया गया था, बाद में दोनों मस्जिदों को गिराकर मंदिर बना, शिवलिंग की स्थापना की गई।

- वाराणसी से गागाभट्ट मूलतः महाराष्ट्र और पैठण के थे। उनके परदादा यहां से वाराणसी गए थे। उनके द्वारा ही हिंदू पद्धति से शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कराया गया था। उन्होंने अपने अष्टप्रधान के नाम भी संस्कृत में रखे थे। उनके स्वराज्य का नाम हिंदवी में स्वराज्य था।

- ब्रिटिश राज में कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने इंग्लैंड राजशाही को भेजे गए अपने पत्र में लिखा था कि अगर शिवाजी महाराज नहीं होते तो हम सौ साल पहले ही भारत पर कब्जा कर लेते।

- इंडियाफैक्ट्स डॉट ओआरजी में अनीश गोखले के एक लेख में बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज स्वतंत्रता पहले के देशवासियों के लिए एक राष्ट्रीय नायक बन गए थे। पंजाब से लेकर तमिलनाडु और गुजरात से लेकर असम तक, कई राष्ट्रवादी नेताओं, लेखकों, कवियों और नाटककारों ने छत्रपति शिवाजी को अंग्रेजों के खिलाफ महान संघर्ष के प्रेरणादायक के रूप में पेश किया था।

- महाराष्ट्र के अलावा जिस राज्य में छत्रपति शिवाजी का व्यक्तित्व और वीरता की बातें सबसे ज्यादा सुनाई देती थी, वह बंगाल था। यहाँ उन्हें आक्रमणकारी के अत्याचार के खिलाफ़ हिंदुओं के उत्थान का समर्थन करने वाले फीनिक्स पक्षी के रूप में देखा गया।

- लोकमान्य तिलक के शिवाजी उत्सव ने बंगाली जनता के बीच छत्रपति शिवाजी को बहुत लोकप्रिय बनाया था। ऐसा पहली बार नहीं था कि महान मराठा राजा का स्मरण किया जा रहा था, न ही तिलक शिवाजी से जुड़े एकमात्र प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे।

- इस लेख में बताया गया कि 1857 के बाद से छत्रपति शिवाजी बंगाली देशभक्तों प्रेरणा बन गए थे और टैगोर और बिपिन चंद्र पाल से लेकर अरबिंदो घोष तक सभी ने उनकी प्रशंसा की थी।

- 1993 में मुंबई में हुए बमब्लास्ट के मामले में पकड़े गए आंतकियों ने अपने एडवोकेट प्रधान को कहा था कि हमको गेटवे ऑफ इंडिया पर शिवाजी महाराज का पुतला बम से उड़ाना था। इस पर उनके वकील ने उनसे पूछा कि इससे तुमको क्या फायदा होता? इस पर उन्होंने कहा, "अगर ये आदमी नहीं होता तो पूरे हिंदुस्तान में मुसलमानों का राज होता, इसलिए इनकी प्रतिमा को बम से उड़ाना चाहते थे।”

- शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व और संदेश आज भी सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, देशभर और विदेशों तक में उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे अतीत में थे।

- महाराष्ट्र की राजनीति अभी भी शिवाजी महाराज के नाम से ही चलती है। लोगों में शिवाजी महाराज के प्रति बहुत श्रद्धा है और वहां उन्हें भगवान के रूप में देखा जाता है।

(यह जानकारी मुंबई के इतिहासकार व इतिहास संकलन समिति कोकण प्रांत सहसचिव प्रशांत रावदेव और महाराष्ट्र सरकार की छत्रपति शिवाजी मेमोरियल ऑफिशियल वेबसाइट से ली गई है।)