'जब तक कनाडा सरकार अपना रवैया नहीं बदलती...', विदेश सचिव क्वात्रा ने बताया दोनों देशों के बीच क्या है सबसे बड़ा मुद्दा
India Canada Row भारत ने एक बार फिर संकेत दे दिया है कि जब तक कनाडा सरकार भारत विरोधी तत्वों को पनाह देने का अपना रवैया नहीं बदलती है तब तक उसके साथ रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बुधवार को कहा कि भारत विरोधी तत्वों को जिस तरह से कनाडा में राजनीतिक स्थान मिलता है आज वही सबसे बड़ा मुद्दा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर संकेत दे दिया है कि जब तक कनाडा सरकार भारत विरोधी तत्वों को पनाह देने का अपना रवैया नहीं बदलती है तब तक उसके साथ रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बुधवार को कहा कि भारत विरोधी तत्वों को जिस तरह से कनाडा में राजनीतिक स्थान मिलता है, आज वही सबसे बड़ा मुद्दा है। यह भारत के लिए काफी चिंता का विषय है और पूर्व में कई बार कनाडा सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाया जा चुका है।
कनाडा को लेकर भारत ने दिखाई तल्खी
क्वात्रा ने उम्मीद जताई कि भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए कनाडा सरकार उचित कार्रवाई करेगी। भारत का यह तल्ख बयान ऐसे वक्त आया है जब कनाडा में खालिस्तान विरोधी संगठनों ने हाल ही में एक बड़ी रैली निकाली है। इस रैली में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की हत्या को जायज ठहराया गया है।
यह बयान इसके मद्देनजर और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि आगामी शुक्रवार को भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो इटली में जी-7 सम्मेलन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए उपस्थित होंगे। क्या इस बैठक में दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात संभव है, इस बारे में क्वात्रा ने साफ तौर पर कुछ नहीं बताया।
कनाडा ने नहीं दिया कोई प्रमाण
भारत और कनाडा के रिश्ते हाल के महीनों में तब खराब हो गए तब कनाडा ने यह आरोप लगाया कि भारतीय एजेंसियों ने वहां खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या करवाई है। वैसे इस बारे में भारतीय एजेंसियों के शामिल होने को लेकर कनाडा अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं दे सका है। इसके बाद भारत ने भी सख्त कदम उठाते हुए यहां से कनाडा के राजनयिकों की संख्या को घटाने का आदेश दे दिया था।
कनाडा ने इस बात पर जताई चिंता
हाल ही में कनाडा के पीएम ट्रूडो ने इस बात पर चिंता जताई है कि पूरी दुनिया में दक्षिण पंथी दलों को विजय मिल रही है, जबकि स्वयं उनके देश में दक्षिणपंथी पृथकवादी खालिस्तानी संगठनों को वहां राजनीतक शरण मिल रही है। माना जा रहा है कि ट्रूडो ने उक्त बयान यूरोपीय संघ और भारत में हुए चुनाव व इसके परिणामों के संदर्भ में दिया है।
क्वात्रा से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि भारत में हाल ही में आम चुनाव संपन्न हुए हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया रही है। कोई भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बारे में क्या कहता है, इस बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन हमारे लोकतंत्र ने पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखा दी है।
रूसी सेना में कार्यरत भारतीयों की वतन वापसी को रूस पर बना रहे दबाव
विदेश सचिव क्वात्रा ने कहा कि भारत रूसी सेना में कार्यरत अपने नागरिकों की सुरक्षा और स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए रूस पर लगातार दबाव बना रहा है। उनकी यह टिप्पणी विदेश मंत्रालय द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद आई है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष में रूसी सेना में कार्यरत दो और भारतीय मारे गए हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए चार भारतीय
इस साल की शुरुआत से यूक्रेन के साथ अग्रिम मोर्चे पर रूसी सेना के साथ काम करते हुए मारे गए भारतीयों की कुल संख्या चार हो गई है। क्वात्रा ने कहा- ''पहले दिन से ही हम लगातार रूसी अधिकारियों और नेतृत्व के साथ इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि हमने रूसी अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि युद्ध क्षेत्र में सभी भारतीयों को, चाहे वे वहां कैसे भी पहुंचे हों, वापस भारत को लौटाया जाना चाहिए।
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