जागरण एग्री पंचायत समिट: एक्सपर्ट ने बताया- कैसे बढ़ाई जा सकती है किसानों की आय
जागरण न्यू मीडिया द्वारा आयोजित एंग्री पंचायत कार्यक्रम में मिट्टी की सेहत पर बात करते हुए डॉ मंडल ने बताया SOIL चार वर्णों से मिलकर बना है S- सोर्स O-ऑफ I- इनफाइनाइट L- लाइफ्स। उन्होंने बताया कि मिट्टी की सेहत सिर्फ आयरन और फॉस्फोरस की मात्रा के जरिए नहीं मापी जा सकता है इसके लिए अन्य भी कई पैरामीटर्स होते हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जागरण न्यू मीडिया की ओर से मंगलवार को दिल्ली के द अशोका होटल में आयोजित 'जागरण एग्री पंचायत समिट एंड अवार्ड' कार्यक्रम में देश के किसानों की आय कैसे बढ़ाई जाए, इस पर चर्चा हुई। अलग-अलग संस्थानों से आए एक्सपर्ट ने कृषि इनपुट, डेयरी और पुशधन पर आधारित कई सुझाव दिए। यहां जानिए, अन्नदाताओं की आय बढ़ाने से संबंधित एक्सपर्ट की राय...
Emeritus Dhanuka Group के चेयरमैन आरजी अग्रवाल का कहना है कि आज हमारे देश का किसान उत्पादकता बढ़ाने के लिए उर्वरक और कीटनाशक का इस्तेमाल करता है, लेकिन इसकी गारंटी नहीं है कि वो असली हैं। देश में नकली सामान भरपूर मात्रा में मिल रहा है, जिससे असली और नकली में भेद करना भी मुश्किल हो गया है। पहले ये जो पैरलर नकली प्रोडक्ट की चैन है, इसके खिलाफ लड़ना होगा। इसके लिए हम सबको आगे आना होगा।
थोड़ी सी मिट्टी में जितने किटाणु, वह धरती की आबादी से ज्यादा
थोड़ी सी मिट्टी में जितने किटाणु-विषाणु, माकइक्राइनफाइनाट्स और फंगस पाए जाते हैं, वह पूरी धरती की आबादी से ज्यादा होते हैं, यह कहना है कि सॉइल साइंस एंड एग्रीकल्चर केमेस्ट्री IRAI के प्रमुख देबाशीष मंडल का।
SOIL चार वर्णों से मिलकर बना है
जागरण न्यू मीडिया द्वारा आयोजित एंग्री पंचायत कार्यक्रम में मिट्टी की सेहत पर बात करते हुए डॉ मंडल ने बताया SOIL चार वर्णों से मिलकर बना है, S- सोर्स, O-ऑफ, I- इनफाइनाइट, L- लाइफ्स। उन्होंने बताया कि मिट्टी की सेहत सिर्फ आयरन और फॉस्फोरस की मात्रा के जरिए नहीं मापी जा सकता है, इसके लिए अन्य भी कई पैरामीटर्स होते हैं। जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।
किसानों को सलाह है कि वे मिट्टी जांच कराएं
मंडल ने कहा, ''मेरी किसानों को सलाह है कि वे मिट्टी जांच कराएं। इससे ये पता चल सकेगा कि खेत में कितना पोषक तत्व डालने की जरूरत है, क्योंकि कम या ज्यादा मात्रा में पोषक तत्व डालने से पूरा लाभ नहीं मिलेगा।''
डेयरी और पुशधन के जरिए किसानों की आय में वृद्धि
आईसीएआर-सीआईआरसी के डायरेक्टर डॉ. अशोक कुमार मोहंती ने बताया कि अगर किसान गाय, भैंस, बकरी जैसे पशुधन की ब्रीड जांच-परखकर पाले तो तो डेयरी उत्पादन के जरिए उनको अच्छा फायदा हो सकता है। हमारे देश में 15 अलग-अलग क्लाइमेट जोन हैं। हर जानवर हर क्लाइमेट में सर्वाइव नहीं कर सकता है। ऐसे में जरूरी है कि ब्रीड देखें। अभी क्या होता है कि ऐसे पशुधन की संख्या ज्यादा है, जो चारा और दाना ज्यादा खाते हैं, लेकिन दूध कम देते हैं। सरकार की मानें तो अभी देश में 70 प्रतिशत पशुधन की ब्रीड पता ही नहीं है लोगों को।
गाय-भैंस में भी प्रजनन चक्र आता है
अशोक कुमार मोहंती के मुताबिक, जिस तरह महिलाओं में माहवारी के बाद फर्टाइल साइकिल आती है, उसी तरह गाय-भैंस में भी प्रजनन चक्र आता है। कई बार नासमझी में यह किसान और पशुपालकों से यह मिस हो जाती है और दोबारा यह साइकिल 21 दिन बाद आती है, जिससे एक गाय भैंस से साल में जितना दूध मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल पाता है।
प्रजनन चक्र का पता कर नुकसान से बचा सकता
इसके लिए वैज्ञानिकों ने एक किट बनाई, जिसका यूज कर समय प्रजनन चक्र का पताकर नुकसान से बचा सकता है। इसी तरह पशुधन को होने वाली तमाम बीमारियों के लिए भी किट तैयार किए जा रहे हैं, जिससे घर पर आपका पशु ठीक है या नहीं ये पता किय जा सकता है।