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केतन पारेख के घोटाले से डूबा सहकारी बैंक

शेयर दलाल केतन पारेख के दो हजार करोड़ के घोटाले के चलते माधवपुरा मर्केटाइल कोऑपरेटिव बैक आखिरकार दिवालिया हो गया। भारतीय रिजर्व बैक ने भी अब उसे जोखिम भरा मानते हुए उसका लाइसेस रद कर दिया है। बैक पारेख और अन्य कर्जदारो से रकम वसूल नही कर पाया। इससे करीब 13 हजार खातेदारो के करोड़ो रुपये डूबने की आशंका पैदा हो गई है।

By Edited By: Updated: Tue, 05 Jun 2012 07:25 PM (IST)
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अहमदाबाद [जासं]। शेयर दलाल केतन पारेख के दो हजार करोड़ के घोटाले के चलते माधवपुरा मर्केटाइल कोऑपरेटिव बैंक आखिरकार दिवालिया हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अब उसे जोखिम भरा मानते हुए उसका लाइसेंस रद कर दिया है। बैंक पारेख और अन्य कर्जदारों से रकम वसूल नहीं कर पाया। इससे करीब 13 हजार खातेदारों के करोड़ों रुपये डूबने की आशंका पैदा हो गई है।

अहमदाबाद के प्रतिष्ठित माधवपुरा कोऑपरेटिव बैंक की माली हालत को देखते हुए रिजर्व बैंक ने 16 मार्च, 2012 को एक नोटिस जारी कर बैंक के बोर्ड सदस्यों को लाइसेंस रद करने की चेतावनी दी थी। पारेख ने इस बैंक से 12 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। यह रकम अब ब्याज मिलाकर 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। पारेख ने खुद को दिवालिया घोषित कर कर्ज चुकाने में असमर्थता जताई थी जिसके बाद धोखाधड़ी के आरोप में उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। भाजपा नेता अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर उसे जमानत दिलाई थी।

इस मुद्दे को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया आरोप लगाते रहे हैं कि पूर्व मंत्री अमित शाह और राजनीतिक फाइनेंसर गिरीश दाणी ने तीन सौ करोड़ से अधिक में पारेख के बच निकलने का रास्ता तैयार किया था। राज्य सरकार की ओर से अदालत में पारेख के खिलाफ पर्याप्त सुबूत पेश नहीं किए गए। सरकारी वकील की कमजोर दलीलों की वजह से वह जमानत पर छूट गया।

नोटिस का जवाब नहीं देने पर रिजर्व बैंक ने गत 1 जून को बैंक का लाइसेंस रद कर दिया। वर्ष 2001 में इस बैंक की नेटवर्थ माइनस 1147 करोड़ थी जो 2011 में बढ़कर 1316 करोड़ तक पहुंच गई। 2001 में बैंक की 82 फीसदी रकम ऋण पर दी हुई थी जो 2011 में 99.99 प्रतिशत हो गई।

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