देश को गड्ढों की समस्या से मिलेगा छुटकारा... इस सिस्टम से आसानी से रिपेयर हो जाएंगी खराब सड़कें
सड़क के गड्ढों की मरम्मत को ‘रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम’ आसान बनाएगा। जी हां देश में बढ़ती खराब सड़कों की संख्या को देखते हुए देश के पांच दिग्गज संस्थानों ने संयुक्त रूप से एक शोध करके इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया है। इस सिस्टम की मदद से सड़कों के गड्ढों का आकार समेत लागत के आंकलन की जानकारी आसानी से मिल जाएगी।
कपिल नीले, इंदौर। देश में खराब सड़कों के कारण प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। इन हादसों में एक बड़ा कारण खराब सड़कें भी हैं। वर्षा के बाद ज्यादातर सड़कों को मरम्मत की जरूरत पड़ती है। पानी भरने की वजह से सड़कों पर गड्ढे हो जाते हैं, जिससे हादसे बढ़ जाते हैं।
गड्ढों की जानकारी एकत्रित करके उसे दुरुस्त करने में संबंधित विभाग को काफी समय लग जाता है। ऐसे में इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए देश के पांच दिग्गज संस्थानों ने संयुक्त रूप से एक शोध करके विभागों की समस्या दूर करने का प्रयास किया है।
इस सिस्टम की मदद से मिलेगी जानकारी
बेंगलुरु का इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस, आइआइटी इंदौर, आइआइटी रुड़की, दिल्ली टेक्नोलाजिकल यूनिवर्सिटी और श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एसजीएसआइटीएस) ने मिलकर एक रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया है। इस सिस्टम की मदद से सड़कों के गड्ढों का आकार, उसे दुरुस्त करने के लिए लगने वाली सामग्री की मात्रा और उसकी लागत के आंकलन की जानकारी आसानी से मिल जाएगी। इससे खराब सड़कों का सर्वे और मरम्मत के लिए बजट तय करने में बेहद आसानी होगी।
इस तरह काम करेगा यह सिस्टम
एसजीएसआइटीएस के असिस्टेंट प्रोफेसर उपेंद्र सिंह ने बताया कि रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम को एक वैन में इंस्टाल करके इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए वैन में लेजर स्कैनर, आइपी बेस्ड कैमरे और वाटरप्रूफ इंफ्रारेड और अल्ट्रासानिक सेंसर लगाए जाएंगे। लेजर स्कैनर, सेंसर और कैमरों की मदद से सड़कों के गड्ढों को स्कैन करके तस्वीरें ली जाएंगी। इन तस्वीरों को कंप्यूटर विजन की मदद से गड्ढों के क्षेत्रफल और उसकी मरम्मत में लगने वाले मटेरियल की मात्रा व लागत की सही जानकारी मिल जाएगी।
इससे सड़क की मरम्मत के लिए बजट तैयार करने में आसानी होगी और सड़कों पर गड्ढों की जानकारी भी मिल जाएगी। इससे कार्य में गुणवत्ता भी बढ़ेगी। बता दें कि इस डिवाइस का एप्लीकेंट इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस बेंगलुरु है। साथ ही इसका पेटेंट भी ग्रांट हो चुका है। इस रोड एसेट मैनजमेंट सिस्टम को इंस्टाल करने में करीब 20 लाख का खर्चा आएगा।
इस तरह करेंगे प्रयोग
इस रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत वैन के आगे और पीछे सेंसर और लेजर स्कैनर लगाया जाएगा। साथ ही दो कैमरे आगे और दो पीछे लगेंगे। इनकी लाइव मानिटरिंग के लिए वैन के भीतर दो एलईडी लगी रहेगी, जिसमें लाइव तस्वीरें प्रदर्शित होती रहेंगी। सड़क का स्कैन करने के लिए करीब 20 से 30 किलोमीटर की स्पीड से गाड़ी को चलाना होगा। इस सर्वे का डाटा रियल टाइम में लोकल और क्लाउड में सुरक्षित होता रहेगा।
इस टीम ने किया महत्वपूर्ण शोध
इस डिवाइस को संयुक्त रूप से पांच दिग्गज संस्थानों ने तैयार किया है। इस टीम में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस (आइआइएससी) बेंगलुरु के डिपार्टमेंट आफ सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर आशीष वर्मा, आइआइटी इंदौर की कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर अरुणा तिवारी, आइआइटी रुड़की के डिपार्टमेंट आफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर नीतेश कुमार, दिल्ली टेक्नोलाजिकल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट आफ साफ्टवेयर इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय पाटीदार और एसजीएसआइटीएस के डिपार्टमेंट आफ इंफार्मेशन टेक्नोलाजी के असिस्टेंट प्रोफेसर उपेंद्र सिंह शामिल हैं।
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