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Assembly Elections: विधानसभा चुनावों में राज्यों के कौन से मुद्दों को प्राथमिकता दे रही कांग्रेस? सबसे ज्यादा यहां है फोकस

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के मुखर होने के बावजूद हरियाणा में पार्टी के पहले तीन एजेंड़े में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी का सवाल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर प्रणव झा ने कहा कि इसमें कोई विरोधाभास नहीं है। किसानों की मुश्किलें बेरोजगार नौजवानों की बेचैनी और महिलाओं की अस्मिता व सुरक्षा के सवाल इंतजार नहीं कर सकते।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sun, 15 Sep 2024 08:02 PM (IST)
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी (File Photo )

संजय मिश्र, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में सामाजिक मुद्दों के प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस अब विधानसभा चुनावों में राज्यों के सामाजिक-राजनीतिक मिजाज के अनुरूप चुनावी मुद्दों की प्राथमिकता तय करने का रणनीतिक दांव आजमाते हुए नजर आ रही है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव में पार्टी के चुनावी मुद्दों का फोकस इसका साफ संकेत दे रहा है।

फेहरिस्त में जाति जनगणना

आम चुनाव के समय से ही आबादी के हिसाब से भागीदारी के लिए जाति जनगणना के मुद्दे को सबसे आगे रखती आ रही कांग्रेस का हरियाणा के चुनाव में मुख्य फोकस किसान, जवान, महिला सुरक्षा तथा युवाओं के रोजगार पर है और प्राथमिकता की फेहरिस्त में जाति जनगणना का नंबर इसके बाद ही दिख रहा है। जम्मू-कश्मीर में भी रोजगार, सुरक्षा-शांति के साथ उसकी राज्य के दर्जे की बहाली पार्टी के प्रमुख मुद्दे हैं और जाति जनगणना का चुनावी विमर्श यहां भी मुखर रूप में अब तक नहीं आया है।

सियासी-सामाजिक समीकरणों की जमीनी वास्तविकता

हरियाणा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के चुनाव प्रचार अभियान की अगले कुछ दिनों में शुरूआत होगी और पूरी संभावना है कि संबोधनों में जाति जनगणना का मुद्दा भी उनके द्वारा उठाया जाएगा। मगर सूबे के सियासी-सामाजिक समीकरणों की जमीनी वास्तविकता को देखते हुए कांग्रेस जिन चुनावी मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है उसे देखते हुए राहुल गांधी का फोकस भी उन पर ही रहने के पुख्ता संकेत हैं।

किसान आंदोलनों की मुख्य धुरी

पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों की मानें तो किसानों-कृषि के सवाल हरियाणा के लिए बेहद अहम व संवेदनशील हैं और किसान आंदोलनों की मुख्य धुरी हरियाणा-पंजाब के किसान ही रहे हैं। इसी तरह सेना में भर्ती के लिए सूबे के युवाओं में परंपरागत रूप से जज्बा रहा है मगर अग्निवीर भर्ती योजना लागू होने के बाद युवाओं में एक असहज स्थिति है।

हरियाणा में महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न

इसीलिए अग्निवीर के बहाने सूबे के नौजवानों के आक्रोश को चुनाव में भुनाने का पार्टी मौका देख रही है। महिला सुरक्षा का मुद्दा भी सियासी विमर्श को गहरे रूप से प्रभावित कर रहा है और पार्टी नेताओं का दावा है कि हरियाणा में महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में घिरे कुश्ती फेडरशन के प्रमुख रहे भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह से जुड़े विवाद का गांवों-खाप पंचायतों पर गहरा असर है। विशेषकर महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान उनसे हुई बदसलूकी लोगों की स्मृतियों से अभी गायब नहीं हुई हैं।

बेरोजगारी के संकट

पार्टी रणनीतिकारों के अनुसार, महिला पहलवानों की इस लड़ाई का सबसे प्रमुख चेहरा रहीं पहलवान विनेश फोगाट को कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारकर सूबे महिला सम्मान, अस्मिता और सुरक्षा को सूबे में जन विमर्श की धुरी बना दिया है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी के संकट से कोई राज्य अछूता नहीं है और इसीलिए नौजवानों व रोजगार के मुद्दे फिलहाल जाति जनगणना से ज्यादा प्रभावी रहेंगे।

जाति जनगणना कराना केंद्र का विषय

प्राथमिकता के हिसाब से इनका तत्काल समाधान अपरिहार्य है। जाति जनगणना कराना केंद्र का विषय है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तथा नेता विपक्ष राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए जोरदार आवाज उठा सरकार पर दबाव बना रहे हैं और पार्टी के रूख में किसी तरह के किन्तु-परंतु या संदेह की गुंजाइश टटोलना मुनासिब नहीं होगा।

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