जालंधर की सड़कों पर खुलेआम दौड़ रही 'मौत', ओवरलोड ट्रक की चपेट में आने से एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत
जालंधर में एक ओवरलोड ट्रक की चपेट में आने से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की दुखद मौत हो गई। मृतकों के परिजन पुलिस और प्रशासन की लापरवाही को हादसे का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि अगर अधिकारी ओवरलोड वाहनों पर सख्ती करते तो उनके प्रियजन आज जीवित होते। इस घटना ने सड़क सुरक्षा के मुद्दे को एक बार फिर उठाया है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर। जालंधर में ओवरलोड ट्रक की चपेट में आकर सोमवार को मारे गए एक ही परिवार के तीन सदस्यों का श्री दुर्ग्याणा तीर्थ के श्मशान घाट में मंगलवार की शाम अंतिम संस्कार कर दिया गया।
परिवार बिलख रहा था और एक ही बात कह रहा था कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के कारण उनको आज अपने तीन परिजनों से बिछड़ना पड़ रहा है। अगर पुलिस और प्रशासन ऐसे सड़कों को हर रोज दनदनाते दौड़ रहे ओवरलोड वाहनों पर सख्ती करता तो उनकी जान बच सकती थी।
हादसे में तीन लोगों की गई जान
गुरुद्वारा गुरु का महल वाली गली में रहने वाले वरुण ने बताया कि वह नहीं चाहते कि उनके 13 साल के बेटे पीयूष, पत्नी पलक और चाची ज्योति की तरह किसी अन्य परिवार की इस तरह के सड़क हादसे में जान न जाए।वरुण ने कहा कि सरकार का काम लोगों की जान की रक्षा करना है लेकिन वह लाचार लग रही है। सरकार से, पुलिस से और प्रशासन से उनको कोई उम्मीद नहीं कि वे इन ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे।
हाई कोर्ट से गुहार लगाने की कही बात
वरुण ने कहा कि मैं तो हाई कोर्ट से ही गुहार लगा सकता हूं कि जिस तरह वह अन्य मामलों में सुमोटो लेकर सरकार को कड़े आदेश पारित करती है, वह इस मामले में भी सरकार को कड़े आदेश दे। यही नहीं, इस तरह की लापरवाही करने वालों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हो ताकि कोई भविष्य में इस तरह लोगों की जान से न खेले।'शवों को जालंधर से अमृतसर लाना पहाड़ चढ़ने के बराबर'
मेडिकल पेशे से जुड़े वरुण ने बताया कि जालंधर के पोस्टमार्टम हाउस में अपने परिवार के तीन सदस्यों के शवों को देखना उनके क्या उनके परिवार के सभी सदस्यों पर भारी पड़ रहा था। जालंधर से अमृतसर का 80 किमी का रास्ता उनके लिए आठ हजार किमी से ज्यादा का लगने लगा था। साढ़े पांच बजे जब वह अमृतसर पहुंचे तो बड़ी संख्या में लोग श्मशान घाट पहुंचे हुए थे।
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