अध्ययन में बड़ा खुलासा- पंजाब, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में गलत थी किसान कर्जमाफी की नीति
Farmers Debt Waiver नाबार्ड द्वारा कराए गए अध्ययन में पंजाब सहित किसान कर्ज माफी योजना को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। नाबार्ड द्वारा भारतीय कृषक समाज द्वारा कराए गए अध्ययन में सामने आया है कि पंजाब उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में किसान कर्जमाफी नीति गलत थी।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। Farmer Debt Waiver: पंजाब, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों द्वारा की गई कर्जमाफी भी किसानों पर कर्ज का दबाव कम नहीं कर पाई है। कर्जमाफी की नीति में गलतियों के अलावा किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोई कदम न उठाने के कारण किसान फिर कर्ज की उसी दलदल में फंसे हैं, जिसमें पांच साल पहले थे। यह दावा भारत कृषक समाज द्वारा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के लिए किए गए अध्ययन में किया गया है।
नाबार्ड के लिए किए गए भारत कृषक समाज के अध्ययन में दावा
इस अध्ययन के लिए तीनों राज्यों के तीन हजार से ज्यादा किसानों को शामिल किया गया था। भारत कृषक समाज की इस रिपोर्ट को शुक्रवार को नाबार्ड के चेयरमैन डा. जीआर चिंताला ने जारी किया। भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ का कहना है कि कर्जमाफी के लिए सही किसानों की पहचान नहीं हुई। इसके लिए ग्राम सभाओं का सहयोग लिया जाना चाहिए था। इससे सही किसानों की पहचान होती, जिन्हें कर्जमाफी की सचमुच जरूरत थी।
ग्राम सभाओं का सहयोग लेते तो सही किसानों की पहचान होती
कर्जमाफी के लिए जो बड़ी राशि खर्च की गई है, उसका भार अन्य सामाजिक क्षेत्रों सेहत, शिक्षा व ¨चाई के आधारभूत ढांचे पर पड़ा। क्योंकि कर्जमाफी के लिए सरकारों ने इन क्षेत्रों के खर्च में कटौती की है। अध्ययन में यह बात उभरकर सामने आई है कि किसानों की आय बढ़ाए बिना ऐसी योजना लागू करने का कोई औचित्य नहीं है। कारण, किसान फिर उसी स्थिति में आ गए हैं, जिसमें पांच साल पहले थे।
उल्लेखनीय है कि कर्जमाफी के लिए तीनों राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकारों ने काम किया। पंजाब में कांग्रेस, उत्तर प्रदेश में भाजपा और महाराष्ट्र में शिवसेना नीत गठबंधन की सरकार ने इस विषय पर काम किया।
किसानों के कर्ज वापस करने के रूझान में आई कमी
अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि सरकारों द्वारा कर्जमाफी का लाभ दिए जाने से किसानों में जानबूझकर कर्ज न चुकाने की प्रवृति बढ़ गई है। तीन राज्यों में 68 से 80 प्रतिशत किसानों ने इस पर सहमति जताई। जो किसान नियमित रूप से कर्ज चुका रहे थे, उन्होंने भी अब आनाकानी शुरू कर दी है।
पंजाब के किसान लेते हैं सबसे ज्यादा कर्ज
रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के किसानों ने सबसे ज्यादा कर्ज लिया हुआ है। पंजाब के सीमांत किसानों ने सालाना औसतन 3.4 लाख रुपये कर्ज लिया। महाराष्ट्र के किसानों ने सालाना औसतन 84 हजार और उत्तर प्रदेश के किसानों ने 62 हजार रुपये कर्ज लिया।
वहीं, गैर संस्थागत कर्ज पर ब्याज दर भी ज्यादा रही। आमतौर पर फसल ऋण पर ब्याज दरें चार प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2012-13 के बाद से वितरित कुल कर्ज में फसल कर्ज का हिस्सा लगातार गिर रहा है और सावधि कर्ज का हिस्सा बढ़ रहा है।
किसानों पर बढ़े कर्ज के ये भी हैं कारण
रिपोर्ट में तीनों राज्यों में किसानों पर चढ़े कर्ज के कारणों को भी उभारा गया है। खेती की बढ़ी हुई लागत, फसल व पशुधन को नुकसान और किसानों की आय में आई अस्थिरता किसानों पर कर्ज के प्राथमिक कारण हैं। वहीं मार्केटिंग की समस्या भी कर्ज बढ़ने का कारण रही। इसके अलावा बाजारी लेनदेन में गैर पारदर्शिता और बिचौलियों पर अत्यधिक निर्भरता ने भी किसानों के संकट को बढ़ाया। बढ़ती श्रम लागत और पैदावार की गुणवत्ता में कमी ने खेती की लागत को बढ़ा दिया है।
इस कारण भी किसान आत्महत्या के लिए हुए मजबूर
तीनों राज्यों में किसानों के आत्महत्या करने के प्रमुख कारण फसल को नुकसान, कर्ज और आय के लिए कृषि पर निर्भरता थी। रिपोर्ट के अनुसार किसानों को आत्महत्या के लिए फसल के नुकसान और कर्ज दोनों ने मजबूर किया।