पंजाब में ग्रामीण विकास निधि की राशि किसान कर्जमाफी पर कर दी खर्च, केंद्र ने जताया एतराज
पंजाब को केंद्र से इस साल भी ग्रामीण विकास निधि की राशि नहीं मिलने पर सियासी विवाद तेज हो गया है। राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास निधि की राशि किसान कर्ज माफी पर खर्च कर दी। केंद्र सरकार ने इस पर एतराज जताया है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। केंद्र सरकार की ओर से रबी के बाद खरीफ की फसल का ग्रामीण विकास फंड (आरडीएफ) रोकने का मामला अब राजनीतिक रूप लेता जा रहा है। धान पर तीन फीसद देहाती विकास फंड न देने के बाद अब केंद्र सरकार ने रबी की फसल की भी ग्रामीण विकास फंड की राशि रोक ली है। दरअसल पंजाब सरकार ने ग्रामीण विकास फंड की राशि किसान कर्जमाफी के लिए खर्च कर ली थी। बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने इसी कारण आगे की राशि रोक ली है।
इस मुद्दे को लेकर पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल से मिले भी थे और उन्होंने आरडीएफ तुरंत जारी करने की मांग की। इस दौरान गोयल ने किसान कर्ज माफी के लिए आरडीएफ की राशि खर्च करने पर एतराज जताया।
इस बार भी आरडीएफ न मिलने को लेकर पीयूष गोयल से मिले वित्तमंत्री मनप्रीत बादल
वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि हमारी लंबी चली बैठक में पीयूष गोयल ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से पिछले आरडीएफ को खर्च करने का जो ब्यौरा भेजा गया है, उनमें कई मद ऐसी हैं जिस पर खर्च करना सही नहीं है। गोयल ने कहा कि राज्य सरकार इस पैसे को किसानों की कर्जमाफी के लिए उपयोग नहीं कर सकती और न ही देहाती अस्पताल या स्कूलों पर लगा सकती है।
मनप्रीत ने कहा, इस पर मैंने उन्हें बताया कि राज्य सरकार आरडीएफ को अपनी मर्जी के अनुसार खर्च नहीं कर रही है बल्कि इसके लिए बाकायदा विधानसभा में कानून पारित किया हुआ है और उसमें जिन स्थानों पर यह खर्च किया जा सकता है, उसी के लिए यह राशि खर्च की गई है। अगर राज्य सरकार ने उसके बाहर जाकर कुछ खर्च किया है तो वह राशि केंद्र सरकार काट ले और बाकी पैसा पंजाब सरकार को वापस करे।
मनप्रीत बादल ने कहा, मैंने केंद्रीय मंत्री को यह भी बताया कि यह स्टेचुरी फंड है, केंद्र सरकार की ओर से ग्रांट नहीं दी जा रही है। अगर केंद्र सरकार चाहती है कि जिन स्थानों पर यह फंड खर्च नहीं किया जा सकता तो हमें बता दे। हम कानून को बदल सकते हैं।
मनप्रीत ने कहा कि विधानसभा जो कानून पारित करती हैं उसके आधार पर लगाया हुआ टैक्स रोका नहीं जा सकता और न ही राज्य सरकार से यह पूछा जा सकता है कि आपने कहां खर्च किया। इसके बावजूद केंद्र सरकार आरडीएफ के बारे में पूछ रही है। अगर हम अदालत में चले गए तो यह एक मिनट के लिए भी स्टैंड नहीं करेगा और पूरी राशि सरकार को देनी पड़ेगी। लेकिन यह हमारे पास अंतिम विकल्प है। फिलहाल हम बातचीत के जरिये समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि धान के सीजन का 920 करोड़ और गेहूं के सीजन का 712 करोड़ रुपया केंद्र की तरफ लंबित हो गया है।