Faridkot Tourist places: पंजाब का यह शहर है सूफी संतों की तीर्थ नगरी, सर्दियाें में जरूर करें सैर
Faridkot Tourist places ऐतिहासिक और शाही शहर के रूप में विख्यात फरीदकोट में सूफी संताें का बसेरा रहा है। बाबा फरीद के नाम पर विख्यात यह शहर सूफी संतों की तीर्थ नगरी रही है। फरीदकोट की निर्माण कला को दुनिया में खूब प्रसिद्धि हासिल है।
आनलाइन डेस्क, लुधियाना/फरीदकोट। Faridkot Tourist places: सर्दियाें के माैसम में अगर आप पंजाब में घूमने का प्लान बना रहे हैं ताे यह सबसे बेस्ट रहेगा। राज्य में घूमने के लिए कई दर्शनीय स्थल है लेकिन प्राचीन किलों और गुरुद्वारों के शहर फरीदकाेट की बात ही कुछ और है। ऐतिहासिक और शाही शहर के रूप में विख्यात फरीदकोट में सूफी संताें का बसेरा रहा है।
बाबा फरीद के नाम पर विख्यात यह शहर सूफी संतों की तीर्थ नगरी रही है। यहां राजमहल, दरबार गंज, किला मुबारक, बाबा फरीद और गुरुद्वारा गोदड़ी साहिब मुख्य पर्यटक स्थल हैं। बताया जाता है कि फरीदकोट की निर्माण कला को दुनिया में खूब प्रसिद्धि हासिल है।
किला मुबारक में देश-विदेशाें से आते थे पर्यटक
शहर के किला मुबारक की बात ही कुछ और है। यहां हर राेज देश-विदेशाें से बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं। गर्मियाें के साथ ही सर्दियाें में भी इस किले काे देखने के लिए भीड़ लगी रहती है। किले का निर्माण राजा मोकालसी ने किया था। इसके बाद इसका पुन:निर्माण राजा हमीर सिंह द्वारा किया गया था। इस खूबसूरत इमारत में एक बगीचा भी है। इस प्राचीन स्मारक के परिसर में मोदी खाना, राजसी महल, कोषागार और तोष खाना मौजूद है। यहां आने पर पर्यटकाें काे आनंद की अनूभूति हाेती है। आप भी एक बार किले की जरूर सैर करें।
गुरुद्वारा गुरु की ढाब अजूबे से कम नहीं
सिख संगत के लिए गुरुद्वारा गुरु की ढाव किसी अजूबे से कम नही हैं। यह गुरुद्वारा कोटकपूरा से लगभग 12 किमी. की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस शहर से गुज़रते समय इस गुरुद्वारे की सैर की थी। यह बहुत ही प्रभावशाली स्मारक है। गुरुद्वारे को डोडा ताल और पातशाही दसवीं के नाम से भी जाना जाता है। यह गुरुद्वारा कोटकपूरा–जैताे रोड़ स्थित गुरु की ढाब नामक एक छोटे से गांव में स्थित है। यहां हर राेज बड़ी संख्या में संगत अरदास करने आती है।
फ्रेंच वास्तुकला का बेजाेड़ नमूना है राज महल
फरीदकोट के बीचोंबीच स्थित राज महल की स्थापना महाराजा बिक्रम सिंह के शासन काल और निर्माण बलबीर सिंह के निरीक्षण में किया गया था। यह सुंदर इमारत नुकीले शिखरों और दर्पणाें के उत्कृष्ट डिज़ाइन को प्रदर्शित करती है जो फ्रेंच वास्तुकला से प्रेरित हैं। इस महल में हरे भरे घास के मैदान और सुंदर टॉवर हैं जो 15 एकड़ के क्षेत्र में फैले हुए हैं। इस इमारत की दीवारें प्राचीन पेंटिंग्स से सुसज्जित हैं। “राज ड्योढ़ी” प्रवेश द्वार है जो एक विरासत इमारत है, जिसमें एक अस्पताल है जो बलबीर हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता है।
पर्यटकाें को आकर्षित करता है दरबार गंज
पर्यटकाें काे फरीदकाेट का दरबार गंज भी खूब लुभाता है। यह एक विरासत इमारत है। बताया जाता है कि पहले राजसी परिवार अतिथि गृह के रूप में करता था। वर्तमान में यह सर्किट हाउस और फरीदकोट डिवीजन के कमिश्नर का कार्यालय है। इस उल्लेखनीय हवेली का आंतरिक भाग सुंदर है और यह भव्य उद्यानों से घिरी हुई है जो पर्यटकाें को आकर्षित करती है।
गुरुद्वारा टिल्ला बाबा फरीद
इस गुरुद्वारे में गरीबाें काे हर राेज भाेजन करवाया जाता है। यह गुरुद्वारा किला मुबारक के पास स्थित है जोकि एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां हर वीरवार को बड़ी संख्या में संगत दूर-दूर से सूफी संत की पूजा करने के लिए आती है। कहा जाता हैं कि सूफी संत बाबा फरीद ने यहां 40 वर्ष तक तपस्या की थी। बाबा शेख फरीद से संबंधित करीब आठ सदियों पुराना वृक्ष दोबारा फिर हरा-भरा हो गया है। कुछ समय पहले यह वन का पेड़ सूखना शुरू हो गया था।