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दुल्हन बन स्कूल पहुंची 9वीं और 10वीं में पढ़ने वालीं दो बहनें, देखकर सब हुए हैरान, अब सामने आया सच

Rajasthan News राजस्थान में बाल विवाह के मामले थम नहीं दिख रहे हैं। अब दो नाबालिग बहनों की शादी का मामला सामने आया है। दुल्हन के रूप में दोनों बहनें के स्कूल पहुंचने पर मामले का खुलासा हुआ। हालांकि स्थानीय पुलिस ने बाल विवाह की जानकारी होने से इंकार कर दिया है। दोनों की शादी 15 जुलाई को हुई थी।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 29 Jul 2024 11:21 PM (IST)
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राजस्थान में बाल विवाह के दो मामले आए सामने।

पीटीआई, कोटा। राजस्थान के कोटा जिले में दो लड़कियों के बाल विवाह का मामला सामने आया है। मामले का खुलासा तब हुआ जब दोनों बहनें दुल्हन के रूप में स्कूल पहुंचीं। दोनों बहनों की शादी 15 जुलाई को हनुमान जी झोपड़ा गांव स्थित उनके घर में धूमधाम से हुई।

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दोनों बहनों का संबंध अन्य पिछड़ी जाति से है। वे बूंदी जिले के हिंडोली इलाके के एक सरकारी स्कूल में कक्षा नौ और 10वीं में पढ़ती हैं। लड़कियों की ताई बूंदी शहर में घरेलू सहायिका का काम करती है। उन्होंने बताया कि ताई होने के नाते मैंने दो में से एक का कन्यादान किया।

शिक्षक बोले शादी की जानकारी नहीं

स्कूल के शिक्षकों से जब दो बहनों की शादी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात कही। मगर यह जरूर कहा कि दोनों बहनें काफी दिनों से स्कूल नहीं आ रही थीं।

बाल विवाह निषेध अधिनियम में संशोधन की मांग

बता दें कि गांवों में अक्सर माता-पिता अपनी छोटी बेटियों की शादी बड़ी बेटी के साथ ही कर देते हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि अधिक खर्च से बचा जा सके। लोगों का कहना है कि बालिग होने तक दुल्हन को ससुराल विदा नहीं किया जाता है। कुछ ग्रामीणों ने बाल विवाह निषेध अधिनियम- 2006 में संशोधन की मांग की। एक ग्रामीण का कहना है कि बाल विवाह के बाद भी अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रखते हैं।

भाजपा नेता ने माना- होते हैं बाल विवाह

बूंदी जिले के भाजपा ओबीसी फोरम के महासचिव दीक्षांत सोनी ने बाल विवाह के पीछे अलग ही तर्क देते हैं। उन्होंने माना कि गांवों में बाल विवाह होते हैं। उन्होंने भी बाल विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग की। उनका कहना है कि ग्रामीण इलाकों में माता-पिता गरीबी के कारण कम उम्र में ही अपनी लड़कियों की शादी करने को मजबूर होते हैं।

नेता का तर्क- समय से पहले आ रहा यौवन

भाजपा नेता दीक्षांत सोनी का कहना है कि बाल विवाह के लिए खान-पान की आदतों के साथ बदलते पर्यावरण को भी जिम्मेदार ठहराया, जिसके कारण लड़के और लड़कियों में समय से पहले यौवन आ रहा है। उनका कहना है कि लड़कियां और लड़के जल्दी परिपक्व हो जाते हैं और किसी और के साथ भागकर माता-पिता को अपमानित करते हैं।

अक्षय तृतीया के दिन होते हैं अधिक बाल विवाह

सामाजिक न्याय एवं महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक भैरू प्रकाश नागर ने हिंडोली गांव में बाल विवाह होने की जानकारी से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि अक्षय तृतीया के दिन और उसके आसपास अक्सर बाल विवाह होते हैं। अक्षय तृतीया को राजस्थान में आखा तीज और पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय पुलिस उपाधीक्षक घनश्याम मीना ने बाल विवाह की खबरों से इंकार कर दिया।

शिक्षकों ने कई मामलों का किया खुलासा

कई शिक्षकों ने खुलासा किया कि बाल विवाह के सिर्फ ये दो ही मामले नहीं हैं। एक शिक्षक के मुताबिक हिंडोली के सुखपुरा गांव में कक्षा सात की एक लड़की की पिछले साल कक्षा नौ के लड़के से सगाई हुई थी। एक अन्य कक्षा सात की लड़की की पिछले साल शादी हुई थी। कक्षा 10 की एक लड़की की शादी इसी साल चार मार्च को हुई। पिछले साल शादी के बाद दो नाबालिग लड़कियों ने 12वीं की पढ़ाई भी छोड़ दी थी।

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