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Magh Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्र की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगा सुख-समद्धि का आशीर्वाद

हर साल में 4 नवरात्र आते हैं जिसमें से 2 गुप्त नवरात्र होते हैं और 2 प्रकट नवरात्र होते हैं। माघ और आषाढ़ माह में आने वाले गुप्त नवरात्र का भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दौरान दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में आप गुप्त नवरात्र के दौरान दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ करके इन देवियों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 08 Feb 2024 09:00 PM (IST)
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Magh Gupt Navratri 2024 गुप्त नवरात्र की पूजा दौरान करें स्तोत्र।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Magh Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की आराधना गुप्त तरीके से की जाती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्र की पूजा जिनती गुप्त तरीके से की जाती है, साधक की मनोकामना भी उतनी ही जल्दी पूर्ण होती है। यह पूजा तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। साल 2024 में माघ माह के गुप्त नवरात्र 10 फरवरी, शनिवार के दिन से शुरू हो रहे हैं। साथ ही इनका समापन 18 फरवरी, रविवार के दिन होगा।

दस महाविद्या स्तोत्र (Das Mahavidya Stotra)

दुर्ल्लभं मारिणींमार्ग दुर्ल्लभं तारिणींपदम्।

मन्त्रार्थ मंत्रचैतन्यं दुर्ल्लभं शवसाधनम्।।

श्मशानसाधनं योनिसाधनं ब्रह्मसाधनम्।

क्रियासाधनमं भक्तिसाधनं मुक्तिसाधनम्।।

तव प्रसादाद्देवेशि सर्व्वाः सिध्यन्ति सिद्धयः।।

नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनी।

नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनी।।

शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे।

प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम्।।

जगत्क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम्।

करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम्।।

हरार्च्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम्।

गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालंकार भूषिताम्।।

हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम्।

सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरगणैर्युताम्।

मंत्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंगशोभिताम्।।

प्रणमामि महामायां दुर्गा दुर्गतिनाशिनीम्।।

उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम्।

नीलां नीलघनाश्यामां नमामि नीलसुंदरीम्।।

श्यामांगी श्यामघटितांश्यामवर्णविभूषिताम्।

प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्व्वार्थसाधिनीम्।।

विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम्।

आद्यमाद्यगुरोराद्यमाद्यनाथप्रपूजिताम्।।

श्रीदुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मा सुरेश्वरीम्।

प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम्।।

त्रिपुरासुंदरी बालमबलागणभूषिताम्।

शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम्।।

सुंदरीं तारिणीं सर्व्वशिवागणविभूषिताम्।

नारायणी विष्णुपूज्यां ब्रह्माविष्णुहरप्रियाम्।।

सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यगुणवर्जिताम्।

सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्च्चितां सर्व्वसिद्धिदाम्।।

दिव्यां सिद्धि प्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम्।

महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम्।।

प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम्।।

रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजविमर्दिनीम्।

भैरवीं भुवनां देवी लोलजीह्वां सुरेश्वरीम्।।

चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम्।

त्रिपुरेशी विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम्।।

अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशीनीम्।

कमलां छिन्नभालांच मातंगीं सुरसंदरीम्।।

षोडशीं विजयां भीमां धूम्रांच बगलामुखीम्।

सर्व्वसिद्धिप्रदां सर्व्वविद्यामंत्रविशोधिनीम्।।

प्रणमामि जगत्तारां सारांच मंत्रसिद्धये।।

इत्येवंच वरारोहे स्तोत्रं सिद्धिकरं परम्।

पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनी।।

कुजवारे चतुर्द्दश्याममायां जीववासरे।

शुक्रे निशिगते स्तोत्रं पठित्वा मोक्षमाप्नुयात्।

त्रिपक्षे मंत्रसिद्धिः स्यात्स्तोत्रपाठाद्धि शंकरि।।

चतुर्द्दश्यां निशाभागे शनिभौमदिने तथा।

निशामुखे पठेत्स्तोत्रं मंत्रसिद्धिमवाप्नुयात्।।

केवलं स्तोत्रपाठाद्धि मंत्रसिद्धिरनुत्तमा।

जागर्तिं सततं चण्डी स्तोत्रपाठाद्भुजंगिनी।।

मिलेंगे ये लाभ

गुप्त नवरात्र की पूजा के दौरान दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ करने से साधक को सुख-समृद्धि से लेकर धन कीर्ति और यश की प्राप्ति हो सकती है। इस स्तोत्र का पाठ से व्यक्ति की समस्त बाधाओं का अंत हो सकता है। यह भी माना है कि दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ करने से साधक के लिए मोक्ष के रास्ते खुलते हैं।

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