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Neel Saraswati Puja 2021: आज के दिन मां सरस्वती के स्वरूप नील सरस्वती की भी की जाती है पूजा, पढ़ें स्त्रोत

Neel Saraswati Puja 2021 आज बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के एक स्वरूप जिसे नील सरस्वती भी कहा जाता है की पूजा भी की जाती है। इस दिन नील सरस्वती की पूजा करने का भी विशेष महत्व है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 16 Feb 2021 08:00 AM (IST)
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Neel Saraswati Puja 2021: आज के दिन मां सरस्वती के स्वरूप नील सरस्वती की भी की जाती है पूजा
Neel Saraswati Puja 2021: आज बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के एक स्वरूप जिसे नील सरस्वती भी कहा जाता है, की पूजा भी की जाती है। इस दिन नील सरस्वती की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। हालांकि, यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस दिन मां नील-सरस्वती की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है। नील सरस्वती देवी अपने भक्तों को धन, सुख, समृद्धि देती हैं। पुराणों के अनुसार, सरस्वती मां के नील स्वरूप को अगर सच्चे मन और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा जाए व्यक्ति शत्रुओं को पराजित कर सकता है। इनके स्वरूप का वर्णन किया जाए तो इनका वर्ण नील है। इनकी 4 भुजाएं हैं। दो हाथों में वीणा है। इनकी पूजा करते समय इनका स्त्रोत और मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए। आइए पढ़ते हैं नील सरस्वती का स्त्रोत और मंत्र।

नील सरस्वती स्त्रोत:

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि।

भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।1।।

ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।

जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।2।।

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।

द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।3।।

सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोSस्तु ते।

सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्।।4।।

जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला।

मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।5।।

वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नम:।

उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्।।6।।

बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे।

मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम्।।7।।

इन्द्रादिविलसदद्वन्द्ववन्दिते करुणामयि।

तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम्।।8।।

अष्टभ्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां य: पठेन्नर:।

षण्मासै: सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।9।।

मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम्।

विद्यार्थी लभते विद्यां विद्यां तर्कव्याकरणादिकम।।10।।

इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाSन्वित:।

तस्य शत्रु: क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते।।11।।

पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये।

य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशय:।।12।।

इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत।।13।।

नील सरस्वती का पूजा मंत्र:

ऐं ह्रीं श्रीं नील सरस्वत्यै नम:.

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '