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Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या पर विधिपूर्वक करें इन दो स्त्रोत्र का पाठ, दूर होंगी सभी समस्याएं

Somvati Amavasya 2023 सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस विशेष दिन पर भगवान शिव और चंद्र देव के चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 19 Feb 2023 02:14 PM (IST)
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Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या पर जरूर करें इन दो स्तोत्र का पाठ।

नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Somvati Amavasya2023, Shivashtakam Stotra and Chandra Stotra: फाल्गुन मास की पहली सोमवती अमावस्या कल यानि 20 फरवरी 2023 के दिन मनाई जाएगी। इस विशेष दिन पर भगवान शिव और चंद्र देव की उपासना का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र स्नान के बाद भगवान शिव की उपासना से कई प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही रात्रि के समय चंद्र देव की पूजा करने से आरोग्यता और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। वेदों में भगवान शिव और चंद्र देव को समर्पित दो स्तोत्र उल्लेखित हैं, जिनके शुद्ध उच्चारण से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए पढ़ते हैं शिवाष्टकम स्तोत्र और चंद्र सोत्र।

शिवाष्टकं स्तोत्रम् (Shivashtakam Stotra in Sanskrit)

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानन्दभाजाम् ।

भवद्भव्यभूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् ।

जटाजूटभङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महामण्डल भस्मभूषधरंतम् ।

अनादिह्यपारं महामोहहारं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

तटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् ।

गिरीशं गणेशं महेशं सुरेशं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

गिरिन्द्रात्मजासंग्रहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदा सन्नगेहम् ।

परब्रह्मब्रह्मादिभिर्वन्ध्यमानं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ।

बलीवर्दयानं सुराणां प्रधानं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्द पात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।

अपर्णाकलत्रं चरित्रं विचित्रं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ।

श्मशाने वदन्तं मनोजं दहन्तं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः ।

स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कलत्रं विचित्रं समासाद्य मोक्षं प्रयाति ॥

चंद्र स्तोत्रम् (Chandra Stotram lyrics)

श्वेताम्बर: श्वेतवपु: किरीटी, श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहु: ।

चन्द्रो मृतात्मा वरद: शशांक:, श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देव: ।।

दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।

नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम ।।

क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणी सहित: प्रभु: ।

हरस्य मुकुटावास: बालचन्द्र नमोsस्तु ते ।।

सुधायया यत्किरणा: पोषयन्त्योषधीवनम ।

सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिन्धुनन्दनम ।।

राकेशं तारकेशं च रोहिणीप्रियसुन्दरम ।

ध्यायतां सर्वदोषघ्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहु: ।।

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